Patparganj History of Delhi: दिल्ली के पटपड़गंज का नाम कैसे पड़ा?, इसके पीछे की कहानी जानकर दंग रह जाएंगे आप

History of Patparganj
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दिल्ली के पटपड़गंज का नाम कैसे पड़ा।
History of Patparganj: दिल्ली के पटपड़गंज इलाके में आप कभी ना कभी तो जरूर गए होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं यहां का इतिहास क्या है। इसके अजीबो-गरीब नाम के पीछे की कहानी क्या है।

History of Patparganj: दिल्ली में घूमने के लिए तो कई जगहें हैं, जहां पर रोजाना लाखों लोग आते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि राजधानी का पटपड़गंज इलाका, जो अपने अजीबो-गरीब नाम के कारण काफी मशहूर है, उसका इतिहास जानते हो। आप भी यहां कभी ना कभी जरूर गए होंगे। सभी के तरह आपके मन में भी इसके नाम को लेकर सवाल तो जरूर आते होंगे। यह क्षेत्र दिल्ली के फेमस इंडस्ट्रियल एरिया में से एक है, जहां पर कई फैक्ट्रियां हैं। इस आर्टिकल में आज हम पटपड़गंज के नाम के पीछे की दिलचस्प कहानी के बारे में।

क्या है पटपड़गंज शब्द का अर्थ

कहा जाता है कि पटपड़गंज एक उर्दू शब्द है। उर्दू में पटपड़ का मतलब जमीन का निचला समतल हिस्सा होता है, जहां पर खेती का काम नहीं किया जा सकता है और गंज का मतलब होता है बाजार। यानी वो इलाका जहां खेती नहीं हो सकती और व्यापार किया जा सकता हो, उसे पटपड़गंज कहा जा सकता है। आज के समय में भी इस इलाके में कई फैक्ट्रियां हैं, जिस माध्यम से कई तरह के व्यापार किया जाता है।

मुगलों के शासन काल में थी बड़ी अनाज मंडी

माना जाता है कि पटपड़गंज का इतिहास सालों पुराना है। 18वीं शताब्दी में यह क्षेत्र एक समृद्ध शहर था। यहां एक बड़ा अनाज मंडी मौजूद था, जहां कई थोक के व्यापारी काम किया करते थे। पटपड़गंज में अनाज को स्टोर करने के लिए बाड़े बनाए गए थे। यह क्षेत्र यमुना नदी के किनारे स्थित है, यहां से अनाज पहाड़गंज और शाहजहांनाबाद के बाजारों में ले जाया जाता था। कहा जाता है कि अहमद शाह के शासनकाल में दिल्ली आंतरिक लड़ाई से घिर गई। ऐसे में एक समझौते के तहत यहां बहादुर खान बलौच का कब्जा हो गया। हालांकि, 26 नवंबर 1753 में वे दिल्ली छोड़कर चले गए थे।

पटपड़गंज बना था जंग का मैदान

11 सितंबर 1803 को दिल्ली के पटपड़गंज जंग का मैदान बन गया था। यहां अंग्रेजों और मराठों के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में जनरल लुइस बोरक्विन के नेतृत्व में ब्रिटिश सैनिकों ने मराठों और मुगलों पर हमला किया था। यह युद्ध लगभग तीन दिनों तक चला था, जिसमें अंग्रेजों की जीत हुई और मुगल हार गए थे। इस घटना का जिक्र एक किताब पटपड़गंज - देन एंड नॉउ' में किया गया है, जिसे आरवी स्मिथ ने लिखा है।

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पटपड़गंज

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आजादी के बाद यह क्षेत्र बना राजधानी का हिस्सा

आजादी के बाद यह क्षेत्र राजधानी दिल्ली के अंतर्गत आ गया और यमुना के किनारे होने के कारण यह तेजी से फेमस इंडस्ट्रियल एरिया में से एक बन गया और यह दिल्ली के ट्रांस-यमुना क्षेत्र में आ गया। 1990 के दशक तक यहां कई अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स और सोसाइटी बन गए। इस बीच दिल्ली मास्टर प्लान में एक औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिए ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी को 175 एकड़ भूमि आवंटित की गई थी। वहीं, 2010 में आनंद विहार और गाजीपुर चौराहे के बीच पटपड़गंज इंडस्ट्रियल एरिया के पास 690 मीटर लंबा छह लेन का फ्लाईओवर खोला गया, ताकि इस क्षेत्र में यातायात की सुविधा को आसान बनाया जा सके।

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