मैदानी इलाके में पंहुचा टाइगर : टेरिटरी की तलाश में कान्हा से भटककर बेमेतरा पहुंचा

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शेर के पंजों के निशान
कान्हा टाइगर रिजर्व के एक और टाइगर टेरिटरी की तलाश में भोरमदेव के रास्ते इन दिनों बेमेतरा के साजा में पहुंच गया है।

रायपुर। देश में टाइगर स्टेट के रूप में स्थापित मध्यप्रदेश स्थित कान्हा टाइगर रिवर्ज के बाघ सुरक्षित टेरिटरी की तलाश में लगातार छत्तीसगढ़ में अपनी दस्तक दे रहे हैं। कान्हा टाइगर रिजर्व के एक और टाइगर टेरिटरी की तलाश में भोरमदेव के रास्ते इन दिनों बेमेतरा के साजा में पहुंच गया है। टाइगर जिस क्षेत्र में पहुंचा है, वह इलाका जंगल विहीन है। ऐसे में बाघ की सुरक्षा को लेकर दुर्ग वनमंडल के साथ स्थानीय प्रशासन सुरक्षा में जुट गया है।

दुर्ग डीएफओ जी. चंद्रशेखर परदेशी के अनुसार, साजा में पहुंचा बाघ भोरमदेव के रास्ते साजा में पहुंचा है। है। क्षेत्र क्षेत्र में में बाघ बाघ आने आने की की पुष्टि होने की बाद साजा के अलावा बाघ के संभावित मूवमेंट स्थानों को चिन्हांकित कर गांवों में मुनादी कराई जा रही है। बाघ तथा ग्रामीणों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्थानीय प्रशासन के साथ वन विभाग की टीम बाघ के मूवमेंट पर नजर रख रहे हैं। वन अफसरों को जानकारी मिली है कि बाघ 50 एकड़ में फैले किसी गन्ने के खेत में घुस गया है। इस बात को ध्यान में रखते हुए पूरे इलाके को सेनेटाइज कर वन विभाग तथा स्थानीय प्रशासन की टीम ने सर्चिग की, लेकिन बाघ की वहां मौजूदगी नहीं मिली। बाघ गन्ने के खेत से जा चुका था।

ड्रोन से निगरानी

साजा तथा आस-पास के जिन इलाकों में बाघ का मूवमेंट देखा गया था। उन इलाकों में बाघ की जानकारी जुटाने ड्रोन कैमरे भी लगाए गए। आस- पास खेत तथा पेड़ होने की वजह से बाघ ड्रोन कैमरे में कैद नहीं हो पाया। वन विभाग तथा स्थानीय प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि बाघ किसी पालतू मवेशी का शिकार करता है, तो ग्रामीण बाघ को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाएं। मवेशी के शिकार होने की स्थिति में मुआवजा देने का वन विभाग के अफसरों ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया है।

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गंडई के रास्ते महाराष्ट्र में दाखिल

वन अफसर के अनुसार, बाघ के साजा से निकलकर गंडई के रास्ते महाराष्ट्र स्थित सालेकसा, गोंदिया के रास्ते नवेगांव- नागझिरा के जंगल से सटे जंगल में प्रवेश करने की संभावना है। बाघ के महाराष्ट्र में पहुंचने के बाद तड़ोबा टाइगर रिजर्व पहुंचने की संभावना है। महाराष्ट्र के जंगल में दाखिल होने के बाद बाघ अपने लिए स्वयं रास्ता तय कर आगे बढ़ जाएगा।

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