नवरात्र का छठा दिन : घने जंगलों के बीच विराजमान है मां डोंगरदेवी, हर साल लगता है भक्तों का तांता

Mother Dongardevi
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मां डोंगरदेवी
नालों और घने जंगलों के बीच मां डोंगरदेवी विराजमान हैं। हर साल नवरात्रि पर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। 

कुश अग्रवाल-पलारी। बलौदाबाजार के पलारी से 25 किमी दूर महानदी के तट पर मां डोंगरदेवी का मंदिर स्थित है। प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है। हर साल चैत्र और क्वार नवरात्रि के अवसर पर दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है। भक्तों का मानना है कि, मां डोंगरदेवी के दरबार में सच्चे मन से मांगी गई मन्नत पूरी होती है।

बता दें कि, इस मंदिर में पेड़ के खोह से निकली डोंगरदेवी और काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी भगवान विष्णु की बहुत ही पुरानी प्रतिमा स्थापित है। यह स्थान धार्मिक आस्था और देवी शक्ति उपसाना के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि, 125 साल पहले गांव मलपुरी के मालगुजार बालकृष्ण अग्रवाल को माता ने स्वप्न में दर्शन देकर इस स्थान के बारे में बताया था।

खुदाई के दौरान मिली देवी और भगवान विष्णु की प्रतिमा

जब उन्होंने महानदी के किनारे इस छोटे से टीले की खुदाई की। इस दौरान उन्हें ग्रेनाइड से बनीं भगवान विष्णु की प्रतिमा मिली और एक पेड़ के अंदर खोह में देवी की प्रतिमा मिली। प्रतिमा स्थापना के बाद से मंदिर में पूजा-अर्चना की शुरुआत हुई। हर साल नवरात्र के अवसर पर ज्योति कलश स्थापना कर विधि-विधान से पूजा की जाती है।

ग्रामीणों ने मिलकर करवाया मंदिर का निर्माण

गांव के बुजुर्ग नकुल दास मानिकपुरी ने मंदिर निर्माण के पीछे की कहानी बताई। उन्होंने कहा कि, उस समय यह स्थान नालों और घने जंगलों से घिरा हुआ था। यहां तक पहुंच पाना बेहद कठिन था। ग्रामीणों ने मिलकर यहां तक पहुंचने का रास्ता और मंदिर का निर्माण करवाया।

जयकारे और जसगीत से भक्तिमय माहौल

स्थानीय विधायक संदीप साहू भी माता के दर्शन के लिए डोंगरदेवी पहुंचे। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने ग्राम गिधपुरी से मंदिर तक रास्ता बनाने की बात कही। दिनभर मातारानी के जयकारे और जसगीत से मंदिर परिसर का माहौल भक्तिमय रहता है।

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