हरिभूमि की खबर का असर : जबरिया भेजी गई करोड़ों की दवाएं पहले हुई एक्सपायर अब नष्ट करने में खर्च होंगे लाखों

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डीके के अलावा कई अस्पतालों में ढेर सारी दवाइयां एक्सपायर हुई हैं। जिला स्तर पर अस्पतालों से सीजीएमएससी को भेजी गई डिमांड और हुई सप्लाई के आंकड़े मंगाए गए हैं।

रायपुर। जबरिया तरीके से सरकारी अस्पतालों में भेजी गई करोड़ों की दवाइयां पहले एक्सपायर हुईं, अब उन्हें नष्ट करने लाखों रुपए खर्च कर एजेंसी तय की जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने डीके सहित अन्य अस्पतालों में भेजी गई दवाओं के बारे में जिला स्तर पर जानकारी मांगी है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच करने के बाद जवाबदेही तय होगी और कार्रवाई भी होगी। हरिभूमि में डीके अस्पताल में बिना उपयोग के एक्सपायर हुई आईवी फ्लूड की खबर को स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने संज्ञान में लिया है। उन्होंने चर्चा के दौरान कहा है कि डीके के अलावा कई अस्पतालों में ढेर सारी दवाइयां एक्सपायर हुई हैं।

जिला स्तर पर अस्पतालों से सीजीएमएससी को भेजी गई डिमांड और हुई सप्लाई के आंकड़े मंगाए गए हैं। यह भी पूछा गया है कि दवा कार्पोरेशन द्वारा बिना डिमांड की कितनी मात्रा में दवाई हेल्थ सेंटरों को भेजी गई है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि, इस मामले में जिम्मेदारी तय करने के लिए दवा सप्लाई की जांच होगी और दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी। दूसरी ओर बिना उपयोग के सरकारी अस्पताल में कालातीत हुई इन करोड़ों रुपए की दवाओं को नष्ट करने के लिए लाखों रुपए खर्च करने की जरूरत होगी। नियम के मुताबिक इसके लिए सीजीएमएससी अथवा डंप हेल्थ सेंटर द्वारा टेंडर जारी कर दवा नष्टीकरण के लिए एजेंसी तय की जाएगी। संबंधित एजेंसी दवा को निर्धारित नियम के तहत दवाओं को नष्ट करेगी और इसके लिए उन्हें संस्था द्वारा राशि का भुगतान करना होगा।

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अस्पताल प्रबंधन से ली जानकारी

डीके अस्पताल में लगभग 32 लाख रुपए की दवा एक्सपायरी होने के मामले में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने डीके अस्पताल प्रबंधन से भी जानकारी मांगी है। मंत्री को बताया गया कि दो साल पहले सीजीएमएससी द्वारा अपने पुश मैकेनिज्म के तहत इस कैल्शियम युक्त आईवी फ्लूड की सप्लाई की गई थी। इसका उपयोग ऑपरेशन थियेटर अथवा आईसीयू में भर्ती गंभीर मरीजों के लिए किया जाता है। हुई सप्लाई में ग्लूकोज की आधी से भी कम बोतलों का उपयोग मरीज हित में किया जा सका था।

कई अस्पतालों की जांच मशीन भी

दवाओं की तरह स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकीय सुविधा बढ़ाने के लिए की कीमती उपकरणों की सप्लाई भी कर दी गई थी। उपकरण तो हेल्थ सेंटरों तक पहुंचे, मगर उनका उपयोग विशेषज्ञों के अभाव में शुरू नहीं हो पाया। राजधानी के कुछ हमर अस्पताल में इसी तरह डेंटल चेयर, एक्स-रे, सोनोग्राफी मशीन की सप्लाई की गई, मगर विशेषज्ञ चिकित्सकीय स्टाफ के अभाव में इसे शुरू ही नहीं किया जा सका है। रायपुर के अलावा राज्य के अन्य की सेंटरों में इस तरह की मशीन डंप होने की जानकारी भी सामने आ रही है।

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