चार केंद्रों में 20 लाख टन धान डंप : कोड़िया में नीलामी से पहले मिलाई जा रही थी मिट्टी, ग्रामीणों ने बनाया वीडियो,अब जांच 

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मिट्टी मिलाकर धान घोटाला
दुर्ग जिले के कोड़िया संग्रहण केंद्र में डंप धान में अजीबोगरीब घोटाला सामने आया है। मजदूर धान के बोरे से निकालकर ढ़ेरी लगाकर उसमें तगाड़ी से मिट्टी मिलाते मिले हैं।

भिलाई। धान खरीदी के बाद संग्रहण केंद्रों में डंप धान की सरकार नीलामी की तैयारी कर रही है। एक तरफ इस नीलामी से पहले धान का वजन बढ़ाने के लिए मिट्टी मिलाई जा रही है। दुर्ग जिले के कोड़िया संग्रहण केंद्र में डंप धान में यह अजीबोगरीब घोटाला सामने आया है। यहां के मजदूर धान के बोरे से निकालकर ढ़ेरी लगाकर उसमें तगाड़ी से मिट्टी मिलाते मिले हैं। इसे ग्रामीणों ने देखा और इसकी खबर उच्च अधिकारियों व मीडिया को दी।

ग्रामीणों ने बताया कि, कोड़िया धान संग्रहण केंद्र में मिट्टी मिलाकर धान घोटाला किया जा रहा है। सात ट्रक धान आता है, उसमें तीन ट्रक मिट्टी मिलाकर 10 ट्रक बना लिया जाता है। तीन ट्रक मिट्टी के एवज में इतना ही धान बाहर बेच दिया जाता है। केंद्र में तीन हाईवा मिट्टी धान की ढेरी के पास पड़ा मिला है। कोड़िया में दो संग्रहण केंद्र हैं और इनके प्रभारी दीपक कन्नौजे हैं। इन केंद्रों में 7.74 लाख क्विंटल धान का संग्रहण मार्कफेड द्वारा करवाया गया है। इसलिए इस घोटाले में मार्कफेड के अधिकारियों और संग्रहण केंद्र के प्रभारी की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा खेल संभव नहीं है।

चार धान संग्रहण केंद्रों में 20 लाख क्विंटल धान डंप

दुर्ग जिले में पांच धान संग्रहण केंद्रों में 20 लाख क्विंटल धान डंप है। इसमें कोड़िया, सेलूद, अरसनारा और जेवरासिरसा शामिल हैं। इन संग्रहण केंद्रों में दुर्ग जिले का 5 लाख क्विंटल धान है। शेष 15 लाख क्विंटल धान दुर्ग संभाग के बेमेतरा, कवर्धा, मानपुर-मोहला और खैरागढ़ जिले का धान यहां परिवहन किया गया है। कोड़िया के दो संग्रहण केंद्रों में एक में 3.74 लाख क्विंटल और दूसरे में 4 लाख क्विंटल धान रखा गया है। धान का उठाव मिलरों ने कर लिया है। इस डंप धान को सरकार नीलामी करने वाली है। इसलिए भी धान में मिट्टी मिलाकर वजन बढ़ाने और उतनी की मात्रा धान बाहर बेचकर करोड़ों रुपए अपनी जेब में भरने की मिलीभगत को अंजाम दिया जा रहा है।

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धान स्टेक की क्यों लगाई ढेरी

धान में मिट्टी मिलावट घोटाला इसलिए भी पुख्ता हो गया है कि संग्रहण केंद्रों तक धान लाने के लिए बोरे में भरकर परिवहन किया गया है। बोरे का स्टेक लगाकर उसकी गिनती की गई थी। उसके बाद सैकड़ों बोरियों से धान को निकाला गया और जमीन पर ढेरी लगाई गई है। इस देरी में मजूदरों द्वारा तगाड़ी से मिट्टी डाली गई। सवाल यह है कि यदि धान में मिट्टी मिलावट नहीं करनी तो बोरे में भरा धान खुला जमीन पर किसलिए रखा गया। इन दिनों बारिश भी नहीं हुई है कि धान को सुखाया जा रहा।

वृक्षारोपण के लिए मंगवाई मिट्टी

कोड़िया संग्रहण केंद्र प्रभारी दीपक कन्नौजे ने बताया कि, गांव के दाऊ स्व केपी चंद्राकर की बरसी है। बरसी में वृक्षारोपण करना है। इसलिए हाईवे में मिट्टी मंगवाई गई है। धान में मिट्टी नहीं मिलाई गई है।

नोटिस भेजा है

दुर्ग के डीएमओ भौमिक बघेल ने बताया कि, संग्रहण केंद्रों में डंप धान की नीलामी होनी है। सरकार के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। कोड़िया धान संग्रहण केंद्र में धान में मिट्टी मिलाने की सूचना मिली है। इस मामले में मैंने संग्रहण केंद्र प्रभारी को नोटिस भेजा है। जवाब आने दीजिए उसके बाद देखेंगे।

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