CM आवास में चैंपियन बेटी का सम्मान: क्रांति गौड़ ने बताए संघर्ष, सेमीफाइनल का भावुक किस्सा भी किया साझा

World Champion Kranti Gaur honored at CMs residence bhopal
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CM आवास में क्रांति गौड़ का सम्मान

CM डॉ. मोहन यादव ने वर्ल्डकप विजेता क्रांति गौड़ को किया सम्मानित। पिता की बहाली का वादा, छतरपुर में बनेगा स्टेडियम। क्रांति ने सेमीफाइनल 4 महीने की बेटी के लिए खेलने का खुलासा किया।

भोपाल, 7 नवंबर। वर्ल्डकप विजेता भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ऑलराउंडर और मध्यप्रदेश की बेटी क्रांति गौड़ का गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास में भव्य सम्मान किया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, क्रांति के पिता मुन्नालाल गौड़, मां नीलम गौड़ और कोच राजीव बिरथरे मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश की बेटी की उपलब्धि पर गर्व जताते हुए क्रांति के पिता की बहाली के लिए मदद का आश्वासन दिया, साथ ही छतरपुर में नया क्रिकेट स्टेडियम बनाने का ऐलान भी किया।

सीएम यादव ने फिटनेस और योग पर दिया जोर देते हुए कहा, “जीवन में रोज फिटनेस जरूरी है। योग को प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व पटल पर पहुंचाया, आज करोड़ों लोग इससे आत्मबल और एकाग्रता पा रहे हैं।”

उन्होंने अपने बचपन की याद साझा करते हुए बताया कि वे मां के साथ शिप्रा नदी में स्नान और तैराकी करने जाते थे। खेल जगत से जुड़े लोगों के बीच आकर उन्हें पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं।










15 नवंबर को बिरसा मुंडा जयंती पर फिर होगा सम्मान

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि 15 नवंबर को बिरसा मुंडा जयंती पर जबलपुर में आयोजित कार्यक्रम में भी क्रांति गौड़ का सम्मान किया जाएगा।

“कभी एक वक्त का खाना ही मिलता था, आज विश्व विजेता हूं”

भावुक होते हुए क्रांति ने अपने संघर्ष और सफलता की प्रेरणादायी कहानी साझा की। उन्होंने कहा, "वर्ल्डकप जीतना उनके जीवन का सबसे बड़ा और गर्व का पल है। आज मेरे पास सबकुछ है, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब एक वक्त का खाना भी बड़ी मुश्किल से मिलता था।” उन्होंने अपनी फिटनेस को लेकर कहा कि हार-जीत के दबाव में वो योग और ध्यान से बना लेती हैं। फिटनेस के चलते क्रांति मीठा बिलकुल भी नहीं खाती हैं। उन्होंने कहा- “पीएम मोदी से मिलना मेरे जीवन का बड़ा अवसर था।”

सेमीफाइनल किसके लिए खेला? क्रांति ने खोला राज

क्रांति ने एक बेहद भावुक किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया, “एक दिन मंदिर के बाहर एक महिला मिली, उसकी गोद में 4 महीने की बच्ची थी। उसने कोच से कहा-मैं चाहती हूं, मेरी बेटी बड़ी होकर क्रिकेटर बने। तभी हमने तय किया कि सेमीफाइनल मैच हम उस 4 महीने की बेटी के लिए खेलेंगे।” यह सुनकर पूरा सभागार भावुक हो गया।

युवाओं को दिया प्रेरक संदेश

क्रांति ने अंत में कहा- “कितनी भी मुश्किल आए, न हार माननी है, न पीछे हटना है। मेहनत करो, सपने जरूर पूरे होंगे।”

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