West Bengal Lok Sabha Election: पश्चिम बंगाल लोकसभा चुनाव में नवाब सिराजुद्दौला की एंट्री हो गई है। तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि कृष्णानगर से बीजेपी उम्मीदवार राजमाता अमृता रॉय के परिवार ने अंग्रेजों का साथ दिया था। हालांकि रॉय ने दावों को खारिज कर दिया और उन्हें झूठा बताया। राजमाता अमृता रॉय को भाजपा ने अपनी पांचवीं लिस्ट में जगह दी है। उन्हें टीएमसी की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ कृष्णा नगर सीट से उतारा गया है।

कुणाल घोष ने लगाए गद्दारी के आरोप
तृणमूल कांग्रेस ने सोमवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार राजमाता (रानी मां) अमृता रॉय का परिवार अंग्रेजों के पक्ष में था। कुणाल घोष ने कहा कि जब बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ रहे थे, तो कृष्णानगर के राजा राजा कृष्णचंद्र रॉय ने ब्रिटिश सेना की मदद की थी।

उन्होंने कहा कि इतिहास कहता है कि जब सिराजुद्दौला ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी तो कृष्णानगर के शाही परिवार ने अंग्रेजों की मदद की थी। राजा कृष्णचंद्र रॉय ने ब्रिटिश सेना की मदद की थी।

घोष ने बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि (वीर) सावरकर की पार्टी, जो महात्मा गांधी की हत्या के लिए जिम्मेदार है, उस परिवार से किसी को उम्मीदवार बनाएगी, जिसने अंग्रेजों का समर्थन किया था। दूसरी ओर महुआ मोइत्रा देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रही हैं।

मोइत्रा कृष्णानगर से तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार हैं। यह सीट उन्होंने पिछले साल कैश-फॉर-क्वेरी मामले में सांसद के रूप में अयोग्य घोषित होने से पहले 2019 में जीती थी। 

BJP Candidate Rajmata Amrita Roy

अमृता रॉय ने तृणमूल के दावों का खंडन किया
घोष पर पलटवार करते हुए अमृता रॉय ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये झूठे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हर बंगाली और हर भारतीय इस बात से सहमत होगा कि मेरे परिवार के बारे में जो कुछ भी कहा जा रहा है वह पूरी तरह से झूठ है। आरोप यह है कि राजा कृष्णचंद्र रॉय ने अंग्रेजों का पक्ष लिया था। उन्होंने ऐसा क्यों किया? उन्होंने ऐसा सिराजुद्दौला की प्रताड़ना की वजह से किया। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया होता, तो क्या हिंदू धर्म यहां बच पाता? क्या सनातन धर्म बच पाता? नहीं। तब, वह एक और पहचान में बदल गया होता। अगर ऐसा है तो हम यह क्यों नहीं कह सकते कि महाराजा ने हमें सांप्रदायिक विरोधी हमले से बचाया था। 

क्या है प्लासी के युद्ध से कनेक्शन?
266 साल पहले 23 जून 1757 को प्लासी का युद्ध हुआ था। यह युद्ध अंग्रजों और सिराजुद्दौला के बीच लड़ा गया था। कहा जाता है कि सिराजुद्दौला के सेनापति मीर जाफर ने बगावत कर दी थी। मीर के साथ जगत सेठ, ओमीचंद और राजा कृष्ण रॉय भी थे, जिन्होंने अंग्रेज अधिकारी रॉबर्ट क्लाइव से सांठगांठ की थी। इसके चलते सिराजुद्दौला प्लासी का युद्ध हार गए थे। इस युद्ध के बाद हिंदुस्तान पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राज पुख्ता हुआ था।