Sandeshkhali Protest Case: सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को बड़ी राहत, पार्लियामेंट एथिक्स कमेटी के नोटिस पर लगाई रोक

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Sandeshkhali Protest Case: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संबंधित उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किया और संदेशखाली विरोध से संबंधित मामले में पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ संसद आचार समिति की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी।

Sandeshkhali Protest Case: पश्चिम बंगाल के संदेशाली यौन उत्पीड़न केस पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार पर बड़ी राहत देते हुए पार्लियामेंट एथिक्स कमेटी के नोटिस पर रोक लगा दी है। कमेटी ने भाजपा सांसदों के साथ दुर्व्यव्हार पर यह नोटिस जारी किया था। कमेटी ने यह नोटिस भाजपा सांसद सुकांत मजूमदार की शिकायत पर जारी किया था। पिछले हफ्ते जब भाजपा कार्यकर्ता संदेशखाली जा रहे थे पुलिस ने रोका। इसके बाद पुलिस और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई। इसमें सुकांत मजूमदार को चोटें आई थीं।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संबंधित उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किया और संदेशखाली विरोध से संबंधित मामले में पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ संसद आचार समिति की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी।

बंगाल सरकार ने दी थी चुनौती
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने सभी संबंधित उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किया। बंगाल सरकार ने एथिक्स कमेटी की कार्यवाही को चुनौती दी थी। मामले की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने की। उन्होंने कोर्ट से फौरन सुनवाई की मांग की थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया था।

याचिका पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव भगवती प्रसाद गोपालिका, महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक राजीव कुमार, उत्तर 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट, बशीरहाट के पुलिस अधीक्षक और अतिरिक्त एसपी द्वारा एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड आस्था शर्मा के माध्यम से दायर की गई थी। संसद की आचार समिति ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, डीजीपी और अन्य को नोटिस जारी कर 19 फरवरी को उसके सामने पेश होने को कहा था।

राजनीतिक गतिविधियां विशेषाधिकार का हिस्सा नहीं
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भाजपा सांसद संदेशखाली गए थे और सीआरपीसी की धारा 144 का उल्लंघन किया था। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक गतिविधियां विशेषाधिकार का हिस्सा नहीं हो सकतीं। लोकसभा सचिवालय की ओर से पेश एक वकील ने अदालत को बताया कि केवल एक नोटिस जारी किया गया है और उन्हें मामले में आरोपी के रूप में नहीं बुलाया गया है, बल्कि सिर्फ तथ्यों का पता लगाने के लिए बुलाया गया है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि कार्रवाई पूरी तरह से अधिकार क्षेत्र के बिना, अवैध, अनुचित, कानून के विपरीत और असंवैधानिक है। राज्य के वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते, उन्हें अपने सार्वजनिक कर्तव्यों को छोड़कर विशेषाधिकार समिति के सामने पेश होना होगा, जो अनुचित है।

संदेशखाली में टीएमसी नेता पर गंभीर आरोप
संदेशखाली में महिलाओं ने ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के नेता शाहजहां शेख पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। महिलाओं का कहना है कि शाहजहां शेख जिसे चाहे उसे अपनी हवस का शिकार बनाता था। शाहजहां राशन घोटाले मामले में ईडी की रेड के बाद से फरार है। शेख पर ईडी की टीम पर हमले का भी आरोप है।

जमीन हड़पने और महिलाओं के यौन उत्पीड़न मामले में कुल तीन मुख्य आरोपी हैं। इनमें से दो आरोपी टीएमसी नेता शिबप्रसाद हाजरा और उत्तम सरदार अरेस्ट किए जा चुके हैं। मामले में अब तक कुल 18 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

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