राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द करने की मांग: लखनऊ हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा, जानें क्या है पूरा मामला?

Rahul Gandhi
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Rahul Gandhi की नागरिकता व संसद सदस्यता पर लखनऊ हाईकोर्ट ने सुरक्षित किया फैसला।
कटर्नाक के भाजपा कार्यकर्ता ने राहुल गांधी को विदेशी नागरिक बताते हुए संसद सदस्यता रद्द किए जाने की मांग की थी। लखनऊ हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा है।

Rahul Gandhi Case in Lucknow High Court: उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सोमवार (1 जुलाई) को राहुल गांधी की विदेशी नागरिकता व संसद सदस्यता पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा, राहुल गांधी विदेशी नागरिक हैं? यह बात आपको कहां से पता चली।

कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा, याचिका में इस बात का जिक्र क्यों नहीं किया कि आप बीजेपी कार्यकर्ता हैं। जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की डबल बेंच ने मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।

दरअसल, कर्नाटक भाजपा के कार्यकर्ता विग्नेश शिशिर ने 21 जून को याचिका लगाई थी। जिसमें राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताते हुए उनकी सदस्यता रद्द किए जाने की मांग की। विग्नेश के वकील ने याचिक को बताया कि हमने सबूत के तौर पर राहुल गांधी का ITR प्रस्तुत किया है, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश नागरिकता का जिक्र किया है। राहुल को दो साल की सजा भी हो चुकी है। ऐसे में वह सांसद चुने जाने के योग्य नहीं हैं।

हाईकोर्ट में यूं चली सुनवाई

  • लखनऊ हाईकोर्ट में जस्टिस रॉय ने मामले की सुनवाई करते हुए पूछा-याचिकाकर्ता कौन है? वकील अशोक पांडेय ने बताया कि कर्नाटक के एस विग्नेश शिशिरा। जज ने कहा, क्या करते हैं? हम इनकी साख जान सकते हैं। वकील बोले-राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं। वह सूरत कोर्ट ने एक मामले में दोषी साबित हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की सजा पर रोक लगा रखी है। लेकिन ऐसे में वह सांसद बने रहने के योग्य नहीं हैं? वकील ने कहा, राहुल ने जब विदेशी नागरिकता स्वीकार ली है तो भारतीय नागरिक बनने के योग्य नहीं हैं। गृह मंत्रालय ने 2019 में नोटिस भी भेजा था। 5 साल बाद भी जवाब नहीं दिया।
  • जज ने पूछा राहुल को विदेशी नागरिक किसने माना हैं? वकील ने कहा, कुछ दस्तावेज हैं हैं। जज ने पूछा यह दस्तावेज आपको को कहां से मिले? वकील- बोले नेट से डाउनलोड किया है। जज ने वेबसाइट का नाम पूछा तो याचिकाकर्ता विग्नेश वकील वकील से बोले- आप वहां जाकर बैठ जाइए।
  • याचिकाकर्ता ने कुछ अन्य सबूत प्रस्तुत करने की इजाजत मांगी तो जज ने पूछा-याचिकाकर्ता ने सक्षम प्राधिकारी से संपर्क किया है? वकील ने मना किया। जज ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा, कृपया कोर्ट को टेक फॉर ग्रांट मत लीजिए। हम धैर्यता बरत रहे हैं। PIL कर दिया, जबकि नागरिकता का इश्यू दो बार डिसमिस हो चुका।
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