महुआ मोइत्रा की मांगों को SC ने ठुकराया, पूछा- क्या MP को सवाल पूछने के लिए मजबूर किया जा सकता है? लोकसभा सचिवालय को नोटिस

Mahua Moitra
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Cash For Query Case Updates: सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने मामले की सुनवाई की। महुआ मोइत्रा की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे थे। 

Cash For Query Case Updates: तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा की याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट से महुआ की 2 मांगें खारिज हो गई। महुआ ने निष्कासन के आदेश पर रोक लगाने और फरवरी में सुनवाई करने की अपील की थी। हालांकि शीर्षतम अदालत ने लोकसभा महासचिव/सचिवालय को नोटिस जारी किया है। दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। महुआ मोइत्रा ने कैश फॉर क्वेरी मामले में लोकसभा से निष्कासन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अब इस प्रकरण की सुनवाई 11 मार्च को होगी।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने मामले की सुनवाई की। महुआ मोइत्रा की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे थे।

लेन-देन की कोई कड़ी नहीं मिली
वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि महुआ मोइत्रा को सिर्फ अपनी लॉगिन आईडी शेयर करने के लिए निष्कासित किया गया है। रिश्वत के आरोपों पर गौर करना होगा। कारोबारी हीरानंदानी और जय देहाद्राई के आरोपों में विरोधाभास है। पूरे प्रकरण में धन के लेन-देन की कोई कड़ी नहीं मिली है। सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता ने पूछा कि क्या लोकसभा के किसी सदस्य को दबाव डालकर सवाल पूछने के लिए मजबूर किया जा सकता है। इस दौरान राजाराम पाल वाले मामले का भी जिक्र आया। 2005 में संसद में पैसा लेकर सवाल पूछने के मामले में राजाराम फंस चुके हैं।

दिसंबर में हुआ था निष्कासन
महुआ मोइत्रा को दिसंबर में संसद से निष्कासित कर दिया गया था। लोकसभा की आचार समिति ने उन्हें व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के साथ अपने संसदीय पोर्टल की लॉगिन क्रेडेंशियल साझा करके राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का दोषी पाया था। महुआ मोइत्रा ने कहा था कि एथिक्स पैनल के पास उन्हें निष्कासित करने की शक्ति नहीं है। व्यवसायी से रिश्वत लेने का भी सबूत नहीं है।

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