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Prayagraj Bus Conductor Attack: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लारेब हाशमी ने बस कंडक्टर पर जिस मौलाना का नाम लेकर हमला किया। पढ़ें कौन है मौलाना खादिम हुसैन रिजवी।

Prayagraj Bus Conductor Attack: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुक्रवार (24 नवंबर) को बस कंडक्टर हरिकेश विश्वकर्मा पर चापड़ से जानलेवा हमला करने के आरोपी लारेब हाशमी के पाकिस्तान कनेक्शन की खूब चर्चा हो रही है। उसने पुलिस के सामने कबूल किया है कि वह पाकिस्तानी मौलाना और तहरीक-ए-लब्बैक के संस्थापक खादिम हुसैन रिजवी से बहुत प्रभावित है। लारेब के इंटरनेट हिस्ट्री से यह भी पता चला कि वह हुसैन रिजवी के भाषण सुनता था और घटना के बाद जारी किए गए वीडियो में उसने हुसैन रिजवी का नाम भी लिया था। इसके अलावा वह लब्बैक शब्द का भी इस्तेमाल करते नजर आया।

वीडियो में लारेब हाशमी लब्बैक या रसूलल्लाह के नारे भी लगा रहा है। यह नारा राजस्थान के उदयपुर में हुए कन्हैया लाल हत्याकांड में भी सुनाई दिया था। इस नारे को खादिम हुसैन रिजवी ने लोकप्रिय बनाया। पूछताछ के दौरान लारेब ने पुलिस को बताया कि खादिम हुसैन रिजवी बरेलवी हैं, इसलिए वह उनका सम्मान करता है। उसकी विचारधारा हमारे जैसी ही है। आइए जानते हैं कौन थे खादिम हुसैन रिजवी।

हुसैन रिजवी अपने भाषणों के लिए बहुत फेमस था

खादिम हुसैन रिजवी बरेलवी विचारधारा का था और एक इस्लामी विद्वान, लेखक और तहरीक-ए-लब्बैक संगठन का संस्थापक था। वह इस्लाम के पैगंबर हजरत मोहम्मद के जीवन और विचारों पर अपने भाषणों के लिए फेमस था। हुसैन रिजवी ने पाकिस्तान सरकार में भी काम किया। उसने कुरान को कंठस्थ कर लिया था और इस्लामी धर्मशास्त्री अहमद रजा खान बरेलवी का प्रबल अनुयायी था। अहमद रजा खान का जन्म 19वीं सदी में अविभाजित भारत के बरेली में हुआ था और उन्होंने बरेलवी विचारधारा की स्थापना की थी। खादिम हुसैन ने अहमद रजा खान को श्रद्धांजलि के रूप में रिजवी नाम अपनाया। जब पाकिस्तान सरकार ने हुसैन रिजवी को लाहौर की पीर मक्की मस्जिद का इमाम बनाया तो उनके भाषणों को बहुत पसंद किया जाने लगा और उनकी लोकप्रियता भी बहुत बढ़ गई। वह अल्लामा इकबाल की शायरी का शौकीन था।

पाकिस्तान सरकार घुटनों पर आ गई

खादिम हुसैन रिजवी का साल 2020 में 54 साल की उम्र में निधन हो गया। वह व्हीलचेयर पर था, लेकिन उनका और उनकी पार्टी का रुतबा इतना ऊंचा था कि एक समय उन्होंने पाकिस्तान सरकार को घुटनों पर ला दिया था। खादिम हुसैन रिजवी खुद को पैगंबर इस्लाम का पहरेदार मानते थे और हदीस का जानकार भी था। उसका जन्म 22 जून 1966 को एटक जिले में हुआ था। एक सड़क दुर्घटना का शिकार होने के बाद वह व्हीलचेयर पर आ गया क्योंकि वह बिना सहारे के नहीं चल सकता था।

हुसैन रिजवी ईशनिंदा कानून का बड़ा समर्थक था

खादिम हुसैन रिजवी पाकिस्तान में ज़ोर पकड़ रहे ईशनिंदा आंदोलन का जाना-माना नेता था। वह इस कानून का बड़ा समर्थक था और इसके दुरुपयोग के आरोपों को खारिज करता रहा था। इसके समर्थन में उसने पाकिस्तान में कई कार्यक्रम आयोजित किए, जिससे उसे पहचान मिली। साल 2017 में हुसैन रिजवी को असली पहचान इस्लामाबाद के फैजाबाद में ईशानिदा कानून के समर्थन में हुए प्रदर्शन से मिली। उसने ईशनिंदा कानून में बदलाव के विरोध में यह धरना दिया था। इसके अलावा वह पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर के हत्यारे मुमताज कादरी को दी गई मौत की सजा के मामले में भी काफी सक्रिय था

मुमताज कादरी ने ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार ईसाई महिला आसिया बीबी का समर्थन करने पर सलमान तासीर की हत्या कर दी थी। हुसैन रिजवी मुमताज कादरी की मौत की सजा के मामले में बहुत सक्रिय था, जिसके कारण उसे पंजाब के बंदोबस्ती विभाग से हटा दिया गया था। इसके बाद 2017 में उन्होंने तहरीक-ए-लब्बैक पार्टी की नींव रखी। जनवरी 2017 में खादिम हुसैन रिजवी ने ईशनिंदा कानून के समर्थन में लाहौर में रैली निकाली थी। इस दौरान उसे गिरफ्तार कर लिया गया और पंजाब सरकार ने उन्हें चौथी अनुसूची में डाल दिया, जिसका मतलब था कि वह प्रशासन को सूचित किए बिना कहीं भी नहीं जा सकते था।

लारेब ने बस कंडक्टर पर हमला क्यों किया

लारेब हाशमी ने हरिकेश विश्वकर्मा पर चापड़ से हमला करने के पीछे का कारण बताते हुए कहा कि बस कंडक्टर ने उसके दोस्तों के सामने उसकी बेइज्जती की थी, जिसके कारण उसने ऐसा किया। उसने कहा कि बस कंडक्टर ने उससे कहा था कि उन्होंने तुम्हारे जैसे कई दाढ़ी वाले लोगों को देखा है और इससे लारेब को बहुत बुरा लगा। उसका कहना है कि उसने हरिकेश को सबक सिखाने के लिए ऐसा किया और वीडियो बनाया ताकि लोगों को इसके बारे में पता चल सके।

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