VVPAT स्लिप की गिनती की मांग: सुप्रीम कोर्ट के जज बोले- मेरे होम स्टेट की आबादी जर्मनी से ज्यादा, यूरोपीय देशों के उदाहरण नहीं चलेंगे

VVPAT Full Count Petition
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Ballot vs EVM: लोकसभा चुनाव से पहले याचिका में मतदान की मौजूदा व्यवस्था को चुनौती दी गई है। अभी संसदीय क्षेत्र के हर विधानसभा क्षेत्र में रेंडम आधार पर सिलेक्ट की गईं सिर्फ 5 ईवीएम को वेरिफाई किया जाता है।

Ballot vs EVM: देश में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान का पहला चरण 19 अप्रैल से शुरू होगा। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह समेत कई विपक्षी नेता ईवीएम वोटिंग सिस्टम पर सवाल उठा चुके हैं। वे मतपत्र यानी बैलट से वोटिंग के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं। इसबीच, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में मतदान की मौजूदा व्यवस्था को चुनौती देने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से बैलट वोटिंग के पक्ष में यूरोपीय देशों का उदाहरण देने पर शीर्ष अदालत के एक जज ने तीखी प्रतिक्रिया दी। इस याचिका में चुनाव के दौरान सभी वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पेपर पर्चियों की गिनती की मांग की गई है।

जज बोले- यहां काम नहीं करते यूरोपीय देशों के उदाहरण
- सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा- मेरे होम स्टेट पश्चिम बंगाल की आबादी जर्मनी से ज्यादा है। हमें किसी पर भरोसा करने की आवश्यकता है। सिस्टम को इस तरह कमजोर करने की कोशिश न करें। ऐसे उदाहरण पेश न करें। यूरोपीय देशों के उदाहरण यहां काम नहीं करते हैं।
- एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने अपनी दलीलों में जर्मनी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा- वीवीपैट पेपर पर्चियों को गिना जाना चाहिए और ईवीएम नतीजों के साथ मिलान करना चाहिए। इस पर जस्टिस दत्ता ने उनसे पूछा कि जर्मनी की आबादी कितनी है? भूषण ने जवाब दिया- करीब 5 करोड़ है, जबकि भारत में 50-60 करोड़ मतदाता हैं।
- इस दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने हस्तक्षेप करते हुए बोले- भारत में 97 करोड़ रजिस्टर्ड वोटर हैं और उन्होंने बैलट वोटिंग सिस्टम में कमियों को उजागर किया है। हम 60 के दशक में हैं। हम सभी यह जानते हैं कि जब मतपत्र चलते थे, तब क्या होता था। आप भूल गए होंगे, लेकिन हम जानते हैं। शीर्ष अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 18 अप्रैल तय की है।

किसने दायर की है याचिका?
चुनावों में सभी वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पेपर पर्चियों की गिनती की मांग वाली याचिका वकील और एक्टिविस्ट अरुण कुमार अग्रवाल ने दायर की है। जिसे शीर्ष अदालत के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने देश में चुनाव प्रक्रिया में सुधार को लेकर कार्य करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक पेंडिंग पिटिशन के साथ सुनवाई के लिए पारित किया था। (ये भी पढ़ें... चुनाव के दौरान सभी VVPAT की गिनती की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर चुनाव आयोग से मांगा जवाब; जानें क्या होंगे बदलाव)

क्या होती है VVPAT?
- वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) चुनाव के दौरान इस्तेमाल होने वाली एक मशीन है। इसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) के साथ जोड़ा जाता है। ईवीएम मशीनों में धांधली के आरोप लगने के बाद वोट वेरिफिकेशन के लिए इस प्रोसेस को अमल में लाया गया था ताकि मतदाता संतुष्ट हो सके कि उसका वोट सही जगह पड़ा है। वोटिंग के दौरान जब कोई मतदाता ईवीएम का बटन दबाता है तो उसे वीवीपीएटी में एक पेपर पर्ची दिखाई देती है। जिसमें उस उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है, जिसके लिए वोट डाला गया है। चुनाव अधिकारी मतदान के दौरान VVPAT पेपर स्लिप को वेरिफाई करके सुनिश्चित करते हैं कि वोट सही ढंग से दर्ज हो रहा है या नहीं।
- चुनाव के दौरान किसी प्रकार के विवाद या गड़बड़ी की आशंका को दूर करने के लिए ईवीएम के साथ वीवीपैट की गिनती भी की सकती है। लेकिन चुनाव आयोग के निर्देश पर यह कुछ चुनिंदा केंद्रों पर ही किया जाता है।

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