संचार साथी ऐप: अब फोन में प्री-इंस्टॉल नहीं होगा, सरकार ने आदेश वापस लिया; विपक्ष ने जासूसी का आरोप लगाया
सरकार ने संचार साथी एप का प्री-इंस्टॉलेशन आदेश वापस लिया। सिंधिया बोले- यह जासूसी एप नहीं, ऑप्शनल है। 1.40 करोड़ डाउनलोड पूरे।
Sanchaar Saathi app
Sanchaar Saathi app: केंद्र सरकार ने मोबाइल फोन में ‘संचार साथी’ एप को प्री-इंस्टॉल करने की अनिवार्यता को वापस ले लिया है। टेलिकॉम विभाग (DoT) ने कहा कि एप की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए यह फैसला बदला गया है और अब इसे फोन कंपनियों के लिए अनिवार्य नहीं रखा गया। विभाग के मुताबिक, बुधवार दोपहर तक 1.40 करोड़ यूजर्स एप डाउनलोड कर चुके हैं, जो दो दिन में पहले के मुकाबले 10 गुना ज्यादा है।
बुधवार को लोकसभा में केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भरोसा दिलाया कि यह एप किसी तरह की जासूसी नहीं करता। उन्होंने कहा कि संचार साथी एप सिर्फ वही डेटा लेता है जिसे यूज़र खुद फ्रॉड या स्पैम के रूप में रिपोर्ट करता है। न यह कॉल सुनता है, न मैसेज पढ़ता है और न ही किसी की निजी जानकारी चेक करता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एप पूरी तरह ऑप्शनल है। इसे यूज़र कभी भी अनइंस्टॉल कर सकते हैं।
विवाद तब शुरू हुआ जब 28 नवंबर को DoT ने सभी मोबाइल कंपनियों को आदेश दिया था कि वे नए फोन में यह एप पहले से इंस्टॉल करके बेचें और पुराने फोन में सॉफ्टवेयर अपडेट से इसे जोड़ें। विपक्ष ने इस आदेश को 'जासूसी का प्रयास', 'निजता पर हमला' और "तानाशाही कदम" बताते हुए कड़ा विरोध जताया। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और रेणुका चौधरी समेत कई नेताओं ने कहा कि सरकार नागरिकों की निगरानी करना चाहती है।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने संचार साथी ऐप को लेकर तंज कसते हुए कहा,“संचार साथी नाम सुनकर धोखा मत खाइए, ये कोई साथी नहीं है। ये तो सरकार का हाथी है जो आपके फोन के अंदर घुस आया है- बिल्कुल ‘हाथी मेरे साथी’ फिल्म की तरह! जासूसी की इनकी पुरानी आदत है, पुरानी बीमारी है। गुजरात में तो ये इसी के लिए मशहूर हैं।”
सरकार की ओर से भाजपा नेता संबित पात्रा ने कहा कि यह एप न तो व्यक्तिगत डेटा पढ़ता है और न कॉल रिकॉर्ड करता है। इसका उद्देश्य केवल डिजिटल सुरक्षा बढ़ाना है, जैसे फ्रॉड कॉल पकड़ना, फर्जी सिम की पहचान करना, और चोरी के मोबाइल फोन ट्रैक करना। सरकार ने दावा किया कि इस तकनीक की मदद से अब तक 7 लाख से ज्यादा चोरी या गुम मोबाइल वापस मिल चुके हैं, जबकि DoT के अनुसार सितंबर तक 22.76 लाख डिवाइस ट्रेस किए जा चुके थे।
क्या करता है संचार साथी एप?
- फ्रॉड कॉल/मैसेज रिपोर्ट करने का आसान टूल
- चोरी या खोए फोन को IMEI के आधार पर ब्लॉक करने की सुविधा
- डुप्लीकेट IMEI का पता लगाने में मदद
- साइबर फ्रॉड रोकने में पुलिस और टेलिकॉम कंपनियों की मदद
हालांकि सरकार इसका फायदा बता रही है, लेकिन प्राइवेसी से जुड़े सवाल आगे भी उठ सकते हैं, क्योंकि भविष्य में यदि एप में नए फीचर जुड़े, तो नियंत्रण और पारदर्शिता दोनों महत्वपूर्ण होंगे।