योगी सरकार का बड़ा फैसला: यूपी में ईंट-भट्ठों के लिए अब मिट्टी खनन की एनओसी हुई अनिवार्य
यह फैसला पर्यावरण संरक्षण और अवैध खनन रोकने के लिए लिया गया है। नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माने और कार्रवाई का प्रावधान है।
इस अधिसूचना के लागू होने के बाद अवैध मिट्टी खनन पर रोक लगने की उम्मीद है।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और अवैध खनन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से ईंट-भट्ठा उद्योग के लिए नियमों को सख्त कर दिया है।
शासन द्वारा जारी नई अधिसूचना के तहत अब किसी भी ईंट-भट्ठे के लिए मिट्टी का खनन करने से पहले संबंधित विभाग से एनओसी प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
यह कदम नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों और पर्यावरणीय मानकों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, जिससे अब बिना अनुमति के मिट्टी की खुदाई करना गैर-कानूनी माना जाएगा।
पुरानी छूट को किया गया समाप्त
प्रदेश में अब तक ईंट-भट्ठा संचालकों को एक निश्चित सीमा तक मिट्टी खनन के लिए किसी विशेष एनओसी की आवश्यकता नहीं होती थी।
इस छूट का लाभ उठाकर कई क्षेत्रों में अनियंत्रित खुदाई की जा रही थी, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुच रहा था। योगी सरकार ने अब इस पुरानी छूट को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। अब गहराई चाहे कितनी भी हो, मिट्टी निकालने के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना और मंजूरी लेना आवश्यक होगा।
पर्यावरण संरक्षण और अदालती आदेश का पालन
सरकार का यह निर्णय मुख्य रूप से पर्यावरण की रक्षा के लिए लिया गया है। मिट्टी के अंधाधुंध खनन को न्यायालय में चुनौती दी गई थी, जिसके बाद यह स्पष्ट किया गया कि ईंट बनाने के लिए मिट्टी निकालना भी एक प्रकार की खनन गतिविधि है।
अधिसूचना के अनुसार, अब संचालकों को पर्यावरणीय शर्तों का कड़ाई से पालन करना होगा ताकि कृषि योग्य भूमि और भूजल स्तर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
भट्ठा संचालकों के लिए नई प्रक्रिया
नई व्यवस्था के तहत, ईंट-भट्ठा मालिकों को खनन कार्य शुरू करने से पहले 'पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र' के लिए आवेदन करना होगा। जिला प्रशासन और खनन विभाग यह सुनिश्चित करेंगे कि खनन स्थल नियमों के अनुरूप हो। इसके अलावा, संचालकों को अब खनन योजना के अनुसार ही काम करना होगा।
यदि कोई बिना एनओसी के मिट्टी की खुदाई करते हुए पाया जाता है, तो उस पर भारी जुर्माना लगाने और भट्ठे को बंद करने की कार्रवाई की जाएगी।
अवैध खनन पर लगेगा अंकुश
इस अधिसूचना के लागू होने से प्रदेश में चल रहे अवैध मिट्टी खनन पर प्रभावी रोक लगने की उम्मीद है। एनओसी की अनिवार्यता से अब सरकार के पास इस बात का पूरा डेटा होगा कि किस क्षेत्र में कितनी मिट्टी निकाली जा रही है।
इससे न केवल राजस्व में पारदर्शिता आएगी, बल्कि उन क्षेत्रों की पहचान भी आसान हो जाएगी जहां खनन से पर्यावरण को खतरा है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से पूरे उत्तर प्रदेश में लागू कर दिया गया है।