शादियों में 'होम' की होगी वापसी: बागपत में खाप का बड़ा फैसला, मैरिज होम के बजाय अब घर के आंगन में गूंजेगी शहनाई
चौधरियों का मानना है कि आधुनिक शादियां फिजूलखर्ची बढ़ा रही हैं और इनमें संस्कारों की कमी के कारण रिश्ते जल्दी टूट रहे हैं। सादगी और परंपरा को बचाने के लिए यह सख्त कदम उठाया गया है।
पंचायत के फैसले का एक मुख्य उद्देश्य सामाजिक ताने-बाने को फिर से मजबूत करना है।
बागपत : उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रमाला क्षेत्र में स्थित किरठल गांव में खाप चौधरियों की एक बड़ी पंचायत आयोजित की गई। इस पंचायत में समाज में बढ़ती कुरीतियों और टूटते वैवाहिक संबंधों पर गहन मंथन हुआ।
खाप चौधरियों ने सर्वसम्मति से यह निष्कर्ष निकाला कि मैरिज होम और बैंक्वेट हॉल की आधुनिक संस्कृति परिवारों के विघटन का एक मुख्य कारण बन रही है।
इसी के मद्देनजर पंचायत ने निर्णय लिया है कि अब शादियां मैरिज होम के बजाय पारंपरिक तरीके से घरों के आंगन में ही संपन्न की जाएंगी ताकि रिश्तों की मर्यादा और मजबूती बनी रहे।
मैरिज होम की संस्कृति और पारिवारिक कलह
पंचायत में मौजूद चौधरियों ने तर्क दिया कि मैरिज होम में होने वाली शादियां महज एक व्यापारिक और दिखावे का आयोजन बनकर रह गई हैं।
वहां परिवार के बुजुर्गों का नियंत्रण नहीं रहता और अनुशासन की कमी के कारण छोटे-छोटे विवाद बड़े झगड़ों में बदल जाते हैं। खाप का मानना है कि इन जगहों पर होने वाले आयोजनों में संस्कारों की कमी होती है, जिसका सीधा असर नवविवाहित जोड़ों के रिश्तों पर पड़ता है और शादियां जल्द ही टूटने की कगार पर पहुंच जाती हैं।
फिजूलखर्ची पर लगाम और आर्थिक सुरक्षा
खाप पंचायत ने शादियों में होने वाली बेतहाशा फिजूलखर्ची पर भी कड़ा रुख अपनाया है। चौधरियों ने कहा कि मैरिज होम की बुकिंग और दिखावे के चक्कर में लोग कर्ज के जाल में फंस रहे हैं।
समाज में बढ़ती इस आर्थिक प्रतिस्पर्धा को रोकने के लिए सादगी से शादी करने का आह्वान किया गया है। पंचायत का मानना है कि जब शादियां घरों से होंगी, तो अनावश्यक खर्चों में अपने आप कमी आएगी, जिससे गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी।
पारंपरिक जुड़ाव और भाईचारे की बहाली
पंचायत के फैसले का एक मुख्य उद्देश्य सामाजिक ताने-बाने को फिर से मजबूत करना है। खाप के अनुसार, जब घर से शादी होती है, तो पूरा मोहल्ला और गांव मिलकर जिम्मेदारी उठाता है।
इससे आपसी भाईचारा बढ़ता है और मेहमानों का सत्कार व्यक्तिगत रूप से होता है। घरों में होने वाली शादियां रिश्तों में वह अपनापन और गर्माहट पैदा करती हैं जो मैरिज होम के पेशेवर माहौल में पूरी तरह गायब हो चुकी है।
डीजे और शोर-शराबे पर प्रतिबंध का संकल्प
शादियों को घरों में आयोजित करने के साथ-साथ पंचायत ने डीजे और देर रात तक होने वाले शोर-शराबे पर भी अंकुश लगाने का निर्णय लिया है।
चौधरियों का कहना है कि पश्चिमी संस्कृति के अंधानुकरण ने हमारी शांत ग्रामीण जीवनशैली को प्रभावित किया है। इस दौरान युवाओं से अपनी जड़ों की ओर लौटने की अपील की गई और स्पष्ट किया गया कि सामाजिक मर्यादाओं का पालन करना हर ग्रामीण का कर्तव्य है।