भोपाल के बड़े तालाब में शुरू हुई शिकारा सैर: CM मोहन यादव ने की लॉन्चिंग, 400 रुपए में मिलेगा डल झील जैसा अनुभव
मध्यप्रदेश पर्यटन का उद्देश्य है कि भोपाल को देश का प्रमुख वॉटर-टूरिज्म हब बनाया जाए और आने वाले वर्षों में यहां डल झील जैसी लोकप्रियता हासिल की जा सके।
भोपाल के बड़े तालाब में अब पर्यटकों को कश्मीर की डल झील जैसा अनुभव मिलने लगा है। गुरुवार से यहां 20 नए शिकारे तैरने लगे हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हरी झंडी दिखाकर इस सुविधा की शुरुआत की और खुद शिकारे में बैठकर तालाब की सैर का आनंद लिया। उनके साथ विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी भी मौजूद रहे।
सीएम ने शिकारा सुविधाओं और तैयारियों की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल भोपाल में वॉटर टूरिज्म को एक नई पहचान देगी। सैर के दौरान उन्होंने शिकारा-बोट रेस्टोरेंट से चाय, पोहा, समोसे और फलों का नाश्ता भी किया। वहीं फ्लोटिंग बोट मार्केट से साड़ी और जैकेट खरीदकर स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया।
कार्यक्रम में हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी शामिल हुए। सरकार ने सभी विधायकों को आमंत्रित किया था, लेकिन विपक्ष से केवल उमंग सिंघार ही पहुंचे। उन्होंने कहा—"अच्छा काम होगा, तो हम उसकी सराहना जरूर करेंगे।"
किराया और सैर का समय
प्रत्येक शिकारे में 4 से 6 लोग बैठ सकते हैं।
- 4 लोगों के लिए 20 मिनट – ₹300
- 6 लोगों के लिए 20 मिनट – ₹400
यह सुविधा सुबह 9 बजे से सूर्यास्त तक उपलब्ध रहेगी।
हर शिकारा करीब 2.40 लाख रुपए की लागत से तैयार किया गया है और इनका संचालन मध्यप्रदेश पर्यटन निगम करेगा। सैर के दौरान नाविक बड़े तालाब और भोपाल की विरासत से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य भी पर्यटकों को बताएंगे।
आधुनिक और प्रदूषण-रहित तकनीक
सभी शिकारे फाइबर रीइन्फोर्स्ड पॉलीयूरिथेन (FRP) और उच्च गुणवत्ता वाली नॉन-रिएक्टिव सामग्री से बनाए गए हैं, जो पानी में किसी भी तरह की रासायनिक प्रतिक्रिया नहीं करते। इससे तालाब की जल-गुणवत्ता और पारिस्थितिकी पूरी तरह सुरक्षित रहती है। ये शिकारे वही अंतरराष्ट्रीय संस्था ने तैयार किए हैं, जिसने केरल, असम और बंगाल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर भी शिकारे बनाए हैं।
बर्ड वॉचिंग और शॉपिंग की नई सुविधा
शिकारा राइड के दौरान पर्यटक दूरबीन से तालाब के आसपास के पक्षियों का नज़दीक से नज़ारा ले सकेंगे। साथ ही यहां स्थानीय हैंडीक्राफ्ट, ऑर्गेनिक फल-सब्जियां और पारंपरिक व्यंजनों की खरीदारी की भी सुविधा होगी।
मध्यप्रदेश पर्यटन का उद्देश्य है कि भोपाल को देश का प्रमुख वॉटर-टूरिज्म हब बनाया जाए और आने वाले वर्षों में यहां डल झील जैसी लोकप्रियता हासिल की जा सके।