बच्ची से दरिंदगी: यमुनानगर में एक दिन की नवजात बच्ची का शव पॉलीथिन में डालकर कूड़े में फेंका
हरियाणा के यमुनानगर में एक दिन की नवजात बच्ची का शव पॉलीथिन में डालकर किसी ने कूड़े में फेंक दिया। अब पुलिस इस बच्ची के मां-बाप की तलाश कर रही है।
यमुनानगर में नवजात बच्ची का शव मिलने के बाद जांच करती पुलिस टीम।
बच्ची से दरिंदगी : यमुनानगर जिले से गुरुवार दोपहर दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। शहर के बाइपास रेलवे पुल के पास कूड़े के ढेर में एक नवजात बच्ची का शव मिलने से सनसनी फैल गई। शव को किसी ने कपड़े में लपेटकर पॉलीथिन बैग में डालकर फेंक दिया था। वहां भेड़-बकरियां चरा रहे युवक की नजर में यह पॉलीथिन आया, जिसने तुरंत आसपास के लोगों को बताया और पुलिस को सूचना दी।
पॉलीथिन से आ रही थी दुर्गंध
मौके पर मौजूद रिहान नामक व्यक्ति ने बताया कि दोपहर करीब 12 बजे जब वह रेलवे पुल के नीचे से गुजर रहा था, तो उसे चरवाहे युवक ने पास बुलाकर जानकारी दी। जब दोनों वहां पहुंचे तो कूड़े के ढेर में पॉलीथिन से दुर्गंध आ रही थी। अंदर देखा तो कपड़े में लिपटा नवजात बच्ची का शव मिला। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद लोग दंग रह गए और तुरंत पुलिस को सूचना दी गई।
10 से 15 घंटे पुराना बताया जा रहा शव
सूचना पर हमीदा चौकी पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और क्षेत्र को घेराबंदी कर लिया। प्राथमिक जांच में फोरेंसिक टीम ने पाया कि बच्ची का शव करीब 10 से 15 घंटे पुराना है। अनुमान है कि जन्म के तुरंत बाद बच्ची को बेरहमी से यहां फेंक दिया गया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर सिविल अस्पताल यमुनानगर भेज दिया, जहां पोस्टमॉर्टम कराया जाएगा।
अस्पतालों में होगी पूछताछ
चौकी इंचार्ज शमशेर सिंह ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच तेज कर दी गई है। आसपास के अस्पतालों और प्राइवेट नर्सिंग होम्स से पूछताछ की जाएगी कि हाल ही में किसी महिला की डिलीवरी हुई है या नहीं। साथ ही, रिकॉर्ड खंगालने के साथ सीसीटीवी कैमरों की मदद से भी सुराग जुटाने का प्रयास किया जाएगा। घटनास्थल के पास कोई कैमरा नहीं लगा है, जिससे जांच में चुनौती बढ़ गई है। लेकिन पुलिस का मानना है कि आसपास के रास्तों और अस्पतालों के सीसीटीवी फुटेज से आरोपी तक पहुंचा जा सकता है।
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इसलिए रिवर्स ट्रैकिंग करवा रहा विभाग
नवजात बच्ची के शव मिलने की यह घटना सिर्फ एक आपराधिक केस नहीं बल्कि समाज के लिए गहरी चिंता का विषय है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों के बीच इस तरह बच्चियों को जन्म के बाद कूड़े में फेंकना इंसानियत पर सवाल खड़े करता है। ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए ही स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं की रिवर्स ट्रैकिंग भी करवाता है ताकि पता चल सके कि जन्म के बाद बच्चा ठीक है या नहीं।