प्रीमैच्योर बच्चों का नया सहारा: रोहतक PGI में खुला हरियाणा का पहला मदर मिल्क बैंक, जानें कैसे काम करेगा

इस बैंक को कॉम्प्रिहेंसिव लैक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर (CLMC) भी कहा जाता है। यह न केवल अतिरिक्त दूध इकट्ठा करता है बल्कि माताओं को स्तनपान के लिए शिक्षित भी करता है। यहां दान किए गए दूध को -20 डिग्री सेल्सियस पर तीन महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है। वर्तमान में यह बैंक रोजाना 20-25 शिशुओं की मदद कर रहा है।

Updated On 2025-08-20 08:20:00 IST

रोहतक PGI में हरियाणा का पहला मदर मिल्क बैंक खुल चुका है। 

हरियाणा के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण पहल हुई है। रोहतक स्थित पंडित भगवत दयाल शर्मा पीजीआईएमएस में राज्य का पहला मदर मिल्क बैंक ट्रायल के आधार पर शुरू किया गया है। यह कदम उन नवजात शिशुओं के लिए वरदान साबित हो सकता है, जिनकी माताएं किसी भी कारण से उन्हें दूध नहीं पिला पाती हैं। इस बैंक की शुरुआत से विशेष रूप से प्रीमैच्योर (समय से पहले जन्मे) और कम वजन वाले शिशुओं को जीवनदान मिलने की उम्मीद है।

स्वास्थ्य सेवा में क्रांतिकारी कदम

मां का दूध किसी भी नवजात शिशु के लिए प्रकृति का सबसे सर्वोत्तम उपहार है। यह न सिर्फ बच्चे को पोषण देता है, बल्कि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। लेकिन, कई बार माताएं शारीरिक समस्याओं, बीमारी या अन्य कारणों से अपने शिशु को दूध नहीं पिला पाती हैं। ऐसे में ये बच्चे कमजोर हो जाते हैं और उनमें संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इस समस्या को देखते हुए मदर मिल्क बैंक एक सुरक्षित और प्रभावी समाधान प्रदान करता है।

हेल्थ यूनिवर्सिटी के कुलपति, डॉ. एचके अग्रवाल ने इस पहल का निरीक्षण किया और इसे नवजात शिशुओं की जान बचाने में एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने माताओं से भी बातचीत की और इस बैंक की कार्यप्रणाली को विस्तार से समझा। उनका मानना है कि यह बैंक न केवल शिशु मृत्यु दर को कम करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि हर बच्चे को जीवन की शुरुआत में ही आवश्यक पोषण मिले।

कॉम्प्रिहेंसिव लैक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर (CLMC) की भूमिका

नियोनेटोलॉजी विभागाध्यक्ष, डॉ. जगजीत दलाल ने बताया कि यह केवल एक मदर मिल्क बैंक नहीं, बल्कि एक कॉम्प्रिहेंसिव लैक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर (CLMC) है। इस केंद्र का उद्देश्य सिर्फ दूध इकट्ठा करना नहीं है, बल्कि माताओं को स्तनपान के महत्व के बारे में शिक्षित करना, उन्हें सही तरीका सिखाना और उनका मानसिक समर्थन करना भी है।

कोई भी ऐसी माता जिसके पास अतिरिक्त दूध है, वह उसे यहां दान कर सकती है। यह दूध बैंक में सुरक्षित और स्वच्छ तरीके से जमा किया जाता है। डॉ. दलाल के अनुसार, दूध को -20 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर तीन महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है। वर्तमान में, रोजाना लगभग 10-12 माताएं अपना दूध दान कर रही हैं, जिससे नियोनैटल आईसीयू में भर्ती करीब 20-25 शिशुओं की जान बचाई जा रही है।

फार्मूला मिल्क के खतरों से बचाव

डॉ. दलाल ने इस बात पर जोर दिया कि फार्मूला मिल्क नवजात शिशुओं के लिए एक सुरक्षित विकल्प नहीं है, क्योंकि इससे कई तरह के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। मां का दूध ही शिशु के स्वास्थ्य, शारीरिक विकास और मानसिक विकास के लिए सबसे अच्छा है। मदर मिल्क बैंक इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक विश्वसनीय और सुरक्षित स्रोत प्रदान करता है।

पीजीआईएमएस के निदेशक डॉ. एस.के. सिंघल ने भी उम्मीद जताई कि यह बैंक शिशु मृत्यु दर में कमी लाएगा और परिवारों के आर्थिक बोझ को भी कम करेगा। उन्होंने एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) के निदेशक डॉ. वीरेंद्र यादव का भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस पहल के लिए लगभग 40 लाख रुपये के उपकरण उपलब्ध कराए। यह मदर मिल्क बैंक हरियाणा के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक नई दिशा का प्रतीक है। यह न सिर्फ जरूरतमंद शिशुओं को जीवन देता है, बल्कि समाज में दान और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा देता है। यह एक ऐसी पहल है जो स्वास्थ्य और मानव कल्याण दोनों के लिए महत्वपूर्ण कदम है। 

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