अब 24 घंटे जलाभिषेक: कुरुक्षेत्र के संगमेश्वर महादेव मंदिर में लगातार बहेगी गंगाजल की धारा

इस व्यवस्था की खास बात यह है कि इसकी निगरानी एक मोबाइल ऐप के जरिए की जाएगी, जो जल स्तर कम होने पर अलर्ट भेजेगी। यह सुविधा सभी भक्तों के लिए निशुल्क है।

Updated On 2025-08-08 12:19:00 IST

संगमेश्वर मंदिर में जल चढ़ाने के लिए लाइन में लगे श्रद्धालु।


कुरुक्षेत्र के ऐतिहासिक संगमेश्वर महादेव मंदिर में अब भक्तों को और भी अद्भुत अनुभव मिलेगा। एक हजार साल से भी अधिक पुराने इस मंदिर में अब शिवलिंग का 24 घंटे गंगाजल से जलाभिषेक किया जाएगा। इस अनोखी व्यवस्था के लिए एक आधुनिक टैंक सिस्टम लगाया गया है, जिसमें हरिद्वार से लाया गया गंगाजल भरा जाएगा। इस पहल से भक्तों को हर समय गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करने का अवसर मिलेगा।

अत्याधुनिक टैंक सिस्टम और ऐप-आधारित निगरानी

मंदिर के द्वार के पास एक विशेष टैंक सिस्टम स्थापित किया गया है। इसमें 1500-1500 लीटर की क्षमता वाले दो बड़े टैंक और एक 1000 लीटर का अतिरिक्त टैंक है। इस तीसरे टैंक से एक पाइपलाइन के जरिए लगातार गंगाजल की धार शिवलिंग पर गिरती रहेगी।

इस पूरे सिस्टम की निगरानी के लिए एक मोबाइल ऐप का उपयोग किया जाएगा। यह ऐप टैंक में जल के स्तर और उसकी शुद्धता की जानकारी स्वचालित रूप से देगा। जैसे ही किसी टैंक में गंगाजल का स्तर 100 लीटर से कम होगा, सिस्टम तुरंत एक अलर्ट भेज देगा। इस तकनीकी व्यवस्था से गंगाजल की आपूर्ति में कभी कोई बाधा नहीं आएगी और जलाभिषेक का क्रम निर्बाध रूप से चलता रहेगा।

करनाल के श्रद्धालु की गुप्त सेवा

मंदिर सेवादल के प्रबंधक भूषण गौतम ने बताया कि इस पूरी व्यवस्था का खर्च करनाल के एक श्रद्धालु ने उठाया है। उन्होंने अपना नाम गुप्त रखने की इच्छा जताई है। इस श्रद्धालु ने न केवल टैंक सिस्टम लगवाया है, बल्कि हरिद्वार से गंगाजल को नियमित रूप से मंदिर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी ली है। जब भी टैंक में जल 200 लीटर से कम होगा, मंदिर प्रबंधन उन्हें सूचित करेगा और वे तुरंत गंगाजल की व्यवस्था करेंगे। यह एक निस्वार्थ सेवा का अद्भुत उदाहरण है।

निशुल्क गंगाजल से अभिषेक

मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए यह सुविधा पूरी तरह से निशुल्क है। कोई भी भक्त टैंक से गंगाजल लेकर शिवलिंग का अभिषेक कर सकता है। अगर कोई श्रद्धालु अपने साथ गंगाजल घर ले जाना चाहे, तो मंदिर प्रबंधन को कोई आपत्ति नहीं है। यह व्यवस्था भक्तों को अधिक से अधिक धार्मिक लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से की गई है।

इस नई सुविधा का उद्घाटन श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी और अन्य संतों द्वारा किया जाएगा।

स्वयंभू शिवलिंग की कहानी

प्रबंधक भूषण गौतम के अनुसार, संगमेश्वर महादेव का शिवलिंग स्वयंभू है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महात्मा गणेश गिरि को एक घास के ढेर में शिवलिंग मिला था। जब उन्होंने उसे निकालने की कोशिश की, तो वे असफल रहे, क्योंकि उसका अंत नहीं मिला। उसी रात भगवान शिव ने उन्हें स्वप्न में उसी स्थान पर मंदिर बनाने की प्रेरणा दी। सुबह उन्होंने देखा कि शिवलिंग पर एक नाग लिपटा हुआ था, जिसके बाद मंदिर का निर्माण शुरू हुआ।

चमत्कार और मान्यताएं

इस मंदिर से जुड़ी कई अनोखी मान्यताएं हैं। यहां दूध को बिलोकर मक्खन नहीं निकाला जाता, क्योंकि ऐसा करने पर दूध खराब हो जाता है। इसके अलावा मंदिर परिसर में चारपाई या खाट का उपयोग वर्जित है। मान्यता है कि अगर किसी का बुखार ठीक नहीं हो रहा हो, तो मंदिर के भंडारे में दो दिन भोजन करने से वह ठीक हो जाता है।

तीन नदियों का संगम

इस मंदिर का नाम संगमेश्वर इसलिए पड़ा, क्योंकि यह अरुणा, वरुणा और सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है। महाभारत, वामन, गरुड़ और स्कंद पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है। 88 हजार ऋषियों ने यहां यज्ञ करके इन तीनों नदियों का संगम कराया था। इस पवित्र संगम के कारण ही भगवान शिव यहां "संगमेश्वर महादेव" के नाम से विख्यात हुए।

हर महीने की त्रयोदशी पर लगता है मेला

संगमेश्वर महादेव मंदिर में हर महीने की त्रयोदशी पर एक मेला लगता है, जिसमें हरियाणा और पंजाब के हजारों भक्त आते हैं। महाशिवरात्रि और श्रावण मास में तो यहां का दृश्य और भी भव्य होता है, जब लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। यह मंदिर भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है, जहां वे अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं। 

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