डॉ. विनीता अरोड़ा मर्डर केस: कुरुक्षेत्र में पहली बार 5 दोषियों को एक साथ फांसी की सजा, पूर्व नौकरानी ने बुना था जाल
अपराधियों ने डॉक्टर के घर में घुसकर बेरहमी से उनकी हत्या कर दी। बदमाश घर से करीब 20 लाख के जेवर और नकदी लूटकर फरार हो गए थे। डॉक्टर के पति ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई और पुलिस को सूचना दी।
10 जनवरी 2023 को पुलिस ने इस हत्याकांड में 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में करीब तीन साल पहले हुए बहुचर्चित डॉ. विनीता अरोड़ा हत्याकांड और डकैती के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ऐतिहासिक और सख्त फैसला सुनाया है। अदालत ने इस जघन्य अपराध को समाज के लिए बेहद खतरनाक मानकर पांच आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है। यह मामला न केवल कुरुक्षेत्र के इतिहास का पहला ऐसा केस है जहां पांच लोगों को एक साथ मौत की सजा मिली, बल्कि इसे हरियाणा के सबसे सख्त न्यायिक फैसलों में से एक माना जा रहा है। वारदात की गंभीरता और जिस क्रूरता से इसे अंजाम दिया गया, उसी आधार पर एडिशनल सेशन जज हेमराज की अदालत ने इसे दुर्लभतम से दुर्लभ श्रेणी में शामिल किया।
षड्यंत्र की मुख्य कड़ी बनी पूर्व नौकरानी
इस पूरे हत्याकांड की सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि इसकी साजिश किसी बाहरी दुश्मन ने नहीं, बल्कि घर में काम कर चुकी एक पूर्व नौकरानी ने रची थी। अदालत ने कैथल के गांव टिटाना की रहने वाली पूनम और उसके प्रेमी विक्रम उर्फ विक्की को इस खौफनाक वारदात का मुख्य योजनाकार माना है। इन दोनों ने मिलकर लूट की नीयत से इस पूरी घटना का खाका तैयार किया था। इस अपराध में उनका साथ देने वालों में कैथल के चीका का निवासी विक्रमजीत उर्फ बिट्टू, नारनौंद के गांव किन्नर का सुनील कुमार और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का मनीष कुमार शामिल थे। पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि पूनम को डॉक्टर के घर की हर गतिविधि और कीमती सामान की जानकारी थी, जिसका फायदा उठाकर उसने इस वारदात को अंजाम दिलवाया।
केक खरीदने के बहाने घर में घुसे थे
यह घटना 9 जनवरी 2023 की रात को घटी थी। डॉ. विनीता अरोड़ा कुरुक्षेत्र के सेक्टर-13 में अपने क्लिनिक के ऊपर बने घर में रहती थीं। उन्हें केक बनाने और बेकिंग का काफी शौक था, जिसके लिए उन्होंने घर में ही एक छोटी सी बेकरी बना रखी थी। इसी शौक को अपराधियों ने अपना हथियार बनाया। उस रात करीब सवा नौ बजे बदमाश केक लेने के बहाने घर के दरवाजे पर पहुंचे। जैसे ही डॉ. विनीता ने दरवाजा खोला, बदमाशों ने उन पर हमला कर दिया और उन्हें पिस्तौल की नोंक पर बंधक बना लिया। हमलावर उन्हें घसीटते हुए ड्राइंग रूम तक ले गए और वहां करीब 15 मिनट तक उन्हें बेरहमी से पीटा गया ताकि वे घर में रखे कैश और गहनों का पता बता सकें।
पति ने बताया खौफनाक मंजर
मृतका के पति डॉ. अतुल अरोड़ा ने उस भयानक रात को याद करते हुए बताया कि जब उन्होंने पत्नी की चीखें सुनीं, तो वे तुरंत बाहर भागे। वहां उन्होंने देखा कि दो नकाबपोश बदमाश विनीता के सिर पर पिस्तौल रखे हुए थे। अपनी जान बचाने और मदद बुलाने के लिए डॉ. अतुल किसी तरह अपने माता-पिता के कमरे में घुस गए और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। बदमाशों ने घर के फोन और इंटरकॉम की तारें पहले ही काट दी थीं ताकि कोई बाहर संपर्क न कर सके। डॉ. अतुल पिछले दरवाजे से कूदकर पड़ोस के स्कूल में पहुंचे और वहां से शोर मचाकर लोगों को इकट्ठा किया। जब वे पुलिस के साथ वापस घर लौटे, तब तक विनीता दम तोड़ चुकी थीं और बदमाश घर से करीब साढ़े उन्नीस लाख के गहने और डेढ़ लाख की नकदी लूटकर फरार हो गए थे।
सीसीटीवी कैमरों की फुटेज के आधार पर पूर्व नौकरानी से पूछताछ की
वारदात के बाद तत्कालीन एसपी सुरेंद्र सिंह भोरिया के नेतृत्व में गठित एसआईटी ने तेजी से कार्रवाई शुरू की। सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और संदेह के आधार पर जब पूर्व नौकरानी पूनम को पकड़कर पूछताछ की गई, तो सारा सच सामने आ गया। पुलिस ने घटना के मात्र 24 घंटे के भीतर चार मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार करने का दावा किया था। रिमांड के दौरान पुलिस ने अपराधियों के पास से हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार और लूटा गया सारा माल बरामद कर लिया। हालांकि इस केस में दो अन्य नौकरों केतराम और उमेश कुमार के नाम भी सामने आए थे, लेकिन पर्याप्त सबूत न मिलने के कारण कोर्ट ने उन्हें दोषमुक्त कर दिया है।
न्यायिक प्रक्रिया और पीड़ित परिवार का पक्ष
भले ही निचली अदालत ने पांचों दोषियों को फांसी की सजा सुना दी है, लेकिन भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 203 के नियमों के तहत इस सजा पर अंतिम मुहर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की लगनी अनिवार्य है। कानूनी प्रावधानों के अनुसार जब तक उच्च न्यायालय सजा की पुष्टि नहीं कर देता तब तक इसे लागू नहीं किया जा सकता। अदालत के इस बड़े फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. अतुल अरोड़ा ने कहा कि हालांकि न्याय मिलने से उन्हें मानसिक शांति मिली है और वे अदालत के आभारी हैं, लेकिन यह सच है कि उनकी जीवन संगिनी अब कभी लौटकर नहीं आएंगी। उनके लिए यह लड़ाई अपनी पत्नी को इंसाफ दिलाने की थी, जिसमें वे सफल रहे।
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