कुरुक्षेत्र से अमेरिका का खतरनाक सफर: 75 लाख गंवाकर बेड़ियों में लौटा हरियाणा का सोनू
एक साल बाद अमेरिका पहुंचने पर उसे जेल हुई। लगभग 6 महीने जेल में बिताने के बाद 18 नवंबर को उसे बेड़ियां डालकर भारत डिपोर्ट कर दिया गया। उसके साथ गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का भाई अनमोल भी डिपोर्ट हुआ।
कुरुक्षेत्र पहुंचने पर अपनी पीड़ा सुनाता सोनू व उसके माता-पिता।
हर माता-पिता की तरह हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के बारना गांव के नयन आर्य उर्फ सोनू के परिवार ने भी एक सपना देखा था कि बेटा अमेरिका जाकर डॉलर कमाएगा और उनकी जिंदगी में बहार आएगी। इसी सपने को पूरा करने के लिए 2 साल पहले सोनू ने अपनी 2 एकड़ जमीन बेचकर 75 लाख रुपये खर्च किए और अमेरिका के लिए निकल पड़ा।
सोनू का यह सफर 'अमेरिकन ड्रीम' की कहानी नहीं, बल्कि एक डरावने जानलेवा अनुभव का दस्तावेज है। माइनस 2 डिग्री की कड़ाके की ठंड, बंदूकधारी 'डोंकर' (मानव तस्कर) माफिया की गोलियां, सेना की फायरिंग और अंत में 6 महीने अमेरिकी जेल में बिताने के बाद सोनू अब बेड़ियों में जकड़कर खाली हाथ अपने वतन वापस लौटा है। रात में जब वह अपने घर पहुंचा, तो उसे सही-सलामत देखकर माता-पिता ने राहत की सांस ली, पर मन में बेटे के खाली हाथ लौटने का गहरा टीस है।
अमेरिका के बजाय स्पेन में उतार दिया
सोनू ने साल 2023 में अमेरिका जाने के लिए घर छोड़ा था। कैथल के नोच गांव के एजेंट राजीव ने उसे सीधा अमेरिका भेजने का वादा किया था और इसके लिए 31 लाख रुपये लिए थे, लेकिन एजेंट ने धोखा दिया और उसे सीधा अमेरिका के बजाय स्पेन में उतार दिया। यहीं से उनका खतरनाक पैदल सफर शुरू हुआ। सोनू ने बताया कि एजेंट ने उन्हें जंगल के रास्ते पैदल पार करने के लिए मजबूर किया। सर्बिया के जंगलों में 'डोंकर' (मानव तस्कर) उनको खंडहर में रखते थे।
माइनस 2 डिग्री की ठंड में कैद
जंगल में उनके हालात अमानवीय थे। डोंकर ने उनसे पासपोर्ट, फोन और सारे डॉलर पहले ही छीन लिए थे। उन्हें माइनस 2 डिग्री सेल्सियस की कड़ाके की ठंड में रहना पड़ा, जहां उनके कपड़े हमेशा गीले रहते थे। रात में ठंड और बढ़ जाती थी और डोंकर बंदूक लिए उन पर नजर रखते थे।
आपस में बात करने पर उन्हें मारा-पीटा जाता था। आग जलाना सख्त मना था, क्योंकि धुएं से पकड़े जाने का डर था।
5 दिन में एक बार मिलती थी रूखी-सूखी ब्रेड
सोनू और उसके साथियों को सिर्फ जिंदा रखने के लिए खाना दिया जाता था। उन्हें 5 दिन में केवल एक बार रूखी-सूखी ब्रेड मिलती थी। ठंड से बचने का कोई सहारा नहीं था।
एक तरफ डोंकर की गोलियां और दूसरी ओर आर्मी की फायरिंग
जंगल का यह सफर मौत के साये में था। सोनू ने बताया कि यहां डोंकरों के बीच आपस में गोलियां चलती थीं क्योंकि वे एक-दूसरे से बंधक बनाए गए लोगों को छीनने की कोशिश करते थे, ताकि उनके घरवालों को डराकर ज़्यादा पैसे ऐंठे जा सकें।
करीब एक महीने तक जंगल में रहने के बाद जब उन्होंने सर्बिया का जंगली बॉर्डर पार किया तो दूसरी तरफ से आर्मी ने उन पर फायरिंग कर दी। सोनू ने उस खौफनाक पल को याद कर बताया कि एक तरफ से वे बॉर्डर पार कर रहे थे, तो दूसरी तरफ से गोलाबारी हो रही थी। डोंकरों ने भी जवाबी फायरिंग की। जान जोखिम में डालकर वे किसी तरह बॉर्डर पार करने में कामयाब रहे।
आर्मेनिया में पुलिस की बर्बरता
जंगल पार कर वे आर्मेनिया पहुंचे, जहां पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। पुलिस ने उन्हें 2-3 दिन तक पीटा, लेकिन बाद में पैसे लेकर उनको एक कार्ड बनाकर छोड़ दिया। यहां से वे फिर पैदल अमेरिका की दीवार तक पहुंचे। दीवार पार करते समय सोनू के हाथ छिल गए। पूरे एक साल बाद उनके पांव अमेरिका की जमीन पर थे।
बेड़ियों में जकड़कर वापसी
अमेरिका पहुंचते ही पुलिस ने सोनू को पकड़ लिया और कैंप में डाल दिया। सोनू ने वकील किए और केस डाला। वकील हर तारीख पर पैसे मांगता रहा और कैंप से तो निकलवा दिया, लेकिन जिनेवा शहर में 2-3 महीने काम करने के बाद लगभग 6 महीने पहले उसका केस रद्द हो गया।
केस रद्द होने के बाद उसे 'वायलेंस' के झूठे आरोप में जेल में डाल दिया गया, जहां वह 6 महीने रहा, 18 नवंबर को उसे जेल से इंडिया डिपोर्ट कर दिया गया।
सोनू को अमेरिका से दिल्ली तक हाथ-पांव में बेड़ियां डालकर लाया गया, 2 दिन तक इसी तरह रखा गया, बाथरूम जाने के लिए भी बेड़ियां नहीं खोली गईं। खाने में सिर्फ ब्रेड दी गई और प्लेन में किसी को बात करने की इजाजत नहीं थी।
दिल्ली में गहन जांच हुई
सोनू के साथ डिपोर्ट होकर आ रहे लोगों में गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का भाई अनमोल बिश्नोई भी शामिल था। दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचते ही NIA (राष्ट्रीय जां एजेंसी) ने अनमोल को तुरंत पकड़ लिया। वहीं दिल्ली में सोनू की भी गहन जांच हुई और कल रात वह अपने गांव बारना पहुंचा।
पिता बोले- 75 लाख गए, बेटा खाली हाथ आया
सोनू के पिता सत्यवान ने बताया कि उनका करीब 75 लाख रुपये खर्च हुआ। उन्होंने 2 एकड़ जमीन बेची थी। बेटा सही-सलामत आ गया, यही सबसे बड़ी राहत है, लेकिन एजेंट ने धोखा दिया। सत्यवान ने आरोपी एजेंट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है और सरकार से अपने पैसे वापस दिलवाने की गुहार लगाई है। यह कहानी दिखाती है कि कैसे 'डॉलर ड्रीम' ने एक परिवार को लाखों रुपये के नुकसान और भयानक मानसिक पीड़ा के सिवाय कुछ नहीं दिया।
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