Tourist Places: पर्यटक स्थल के रूप में उभर रहा कुरुक्षेत्र, जानें क्यों महाभारत की यह धरती बन रही है नया आकर्षण

पवित्र ब्रह्म सरोवर में डुबकी लगाने से मोक्ष मिलने की मान्यता है, जबकि स्थानेश्वर महादेव मंदिर में पांडवों ने भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त किया था। यहां आप मुगल वास्तुकला से प्रेरित शेख चिल्ली का मकबरा और राजा हर्ष के टीले पर सदियों पुराने अवशेषों को देख सकते हैं। इसके अलावा, कृष्ण संग्रहालय और धरोहर संग्रहालय इस क्षेत्र की समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं।

Updated On 2025-08-01 08:32:00 IST

कुरूक्षेत्र स्थित ब्रह्म सरोवर। 

हरियाणा का कुरुक्षेत्र जिला सिर्फ एक भौगोलिक स्थान नहीं, बल्कि हिंदू धर्म की आस्था और प्राचीन इतिहास का केंद्र है। महाभारत के महायुद्ध की यह पवित्र भूमि, जिसे अक्सर "धर्मक्षेत्र" भी कहा जाता है, सदियों से ज्ञान, संस्कृति और आध्यात्म का केंद्र रही है। मौर्य साम्राज्य के समय यह शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र था और आज भी इसकी मिट्टी में सदियों पुराना इतिहास और अनूठी लोककथाएं बसी हुई हैं। आइए, इस प्राचीन और मनमोहक शहर के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में विस्तार से जानते हैं, जो हर साल कई लाख पर्यटकों व श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

ऐसे पहुंचें कुरुक्षेत्र

• हवाई मार्ग : कुरुक्षेत्र का निकटतम हवाई अड्डा चंडीगढ़ (लगभग 90 किमी) और दिल्ली (लगभग 160 किमी) में है। इन हवाई अड्डों से आप बस या टैक्सी से आसानी से कुरुक्षेत्र पहुंच सकते हैं।

• रेल मार्ग : कुरुक्षेत्र जंक्शन रेलवे स्टेशन दिल्ली-कालका और कुरुक्षेत्र-जींद रेल लाइनों के जंक्शन पर स्थित है। यह देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

• सड़क मार्ग : राष्ट्रीय राजमार्गों के माध्यम से कुरुक्षेत्र सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। दिल्ली और चंडीगढ़ से नियमित बसें और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं।

कुरुक्षेत्र के प्रमुख पर्यटन स्थल

1. ब्रह्म सरोवर : यह आस्था और शांति का केंद्र है। ब्रह्म सरोवर, थानेसर में स्थित एक विशाल और पवित्र जलकुंड है। इसे हिंदुओं द्वारा अत्यंत पूजनीय माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि यहां डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। शाम के समय जब सूरज डूबता है और उसका लाल-सुनहरा प्रतिबिंब पानी में पड़ता है। यह दृश्य मन को बहुत शांति और सुकून देता है। यहां कारीगरों की दुकानें, स्वादिष्ट व्यंजनों के स्टॉलों के साथ ही धार्मिक गतिविधियां पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।

• प्रवेश शुल्क: निःशुल्क।

• समय: हमेशा खुला रहता है।

2. शेख चिल्ली का मकबरा : फारसी वास्तुकला का अद्भुत नमूना

यह मकबरा एक प्रसिद्ध सूफी संत शेख चिल्ली को समर्पित है। इसकी वास्तुकला में फारसी और मुगल शैली का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है। मुख्य मकबरे के अलावा, यहां संत की पत्नी को समर्पित एक छोटा मकबरा, एक मस्जिद और सुंदर मुगल उद्यान भी हैं। मकबरे के परिसर में एक संग्रहालय भी है, जिसमें खुदाई से मिलीं पुरातात्विक कलाकृतियां रखी गई हैं।

• प्रवेश शुल्क : निःशुल्क।

3. राजा हर्ष का टीला : इतिहास के अवशेष

वर्तमान थानेसर शहर एक प्रागैतिहासिक स्थल पर बसा है, जिसे 'हर्ष का टीला' कहा जाता है। यह एक किलोमीटर लंबा टीला है, जिसकी खुदाई में सातवीं शताब्दी के अवशेष मिले हैं। यहां कुषाण काल से लेकर मुगल काल तक के महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोजें की गई हैं। यह टीला कुरुक्षेत्र के लंबे और समृद्ध इतिहास का एक महत्वपूर्ण प्रमाण है।

• प्रवेश शुल्क: निःशुल्क।

• समय- सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक।

4. कृष्ण संग्रहालय : भगवान कृष्ण की लीलाएं

1987 में स्थापित यह संग्रहालय भगवान कृष्ण और उनके जीवन से जुड़ी वस्तुओं का भंडार है। इसमें छह गैलरियां हैं, जहां पहली से ग्यारहवीं शताब्दी के बीच की मूर्तियां, लकड़ी की नक्काशी, कांसे की मूर्तियां और हाथीदांत की कलाकृतियां प्रदर्शित हैं। यहां महाभारत और भगवद्गीता पर आधारित मिट्टी और कागज़ की लुगदी से बनी झांकियां भी मौजूद हैं।

• प्रवेश शुल्क: 30 रुपये।

• समय: सुबह 10:00 बजे से शाम 4:15 बजे तक।

5. स्थानेश्वर महादेव मंदिर : पांडवों की आस्था

माना जाता है कि यह वही स्थान है जहां पांडवों ने महाभारत युद्ध से पहले भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त किया था। मंदिर परिसर में एक कुंड है, जिसके पानी में आरोग्यवर्धक शक्तियां मानी जाती हैं। इस मंदिर की छत पर आंवले के गुंबद जैसी संरचना है। मंदिर में भगवान शिव के शिवलिंग की एक प्राचीन मूर्ति स्थापित है।

• प्रवेश शुल्क : 50 रुपये।

• समय - : सुबह 6 से शाम 6 बजे तक।

6. धरोहर संग्रहालय : हरियाणा की संस्कृति का दर्पण

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष में स्थापित धरोहर संग्रहालय, हरियाणा की समृद्ध सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पुरातात्विक विरासत को दर्शाता है। इसकी 23 से अधिक गैलरियां कलाकृतियों, तस्वीरों और पांडुलिपियों के माध्यम से क्षेत्र के इतिहास को प्रदर्शित करती हैं। यहां एक आउटडोर एम्फीथिएटर भी है, जहां लोक संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

• प्रवेश शुल्क : 100 रुपये।

• समय- : सुबह 9 से शाम 6 बजे तक।

अन्य महत्वपूर्ण स्थल

• कोस मीनारें : मुगल काल की ये मीनारें दूरी मापने के लिए बनाई गई थीं और इतिहास को दर्शाती हैं।

• भीष्म कुंड : महाभारत की कथा से जुड़ा यह वह स्थान है, जहां अर्जुन ने बाण मारकर भीष्म पितामह की प्यास बुझाई थी।

• कुरुक्षेत्र पैनोरमा : यह केंद्र विज्ञान और धर्म के संगम को दर्शाता है, जहां महाभारत युद्ध का एक जीवंत पैनोरमा मौजूद है।

• लक्ष्मी नारायण मंदिर : 18वीं शताब्दी का यह मंदिर भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां सात परिक्रमा करने से चार धाम यात्रा का पुण्य मिलता है।

कुरुक्षेत्र का हर एक स्थल अपनी एक खास कहानी कहता है, जो यहां आने वाले हर व्यक्ति को इतिहास और आध्यात्म के गहरे अनुभव से जोड़ता है। 

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