Human right commission action: दिव्यांग CA को थाने में अर्धनग्न कर फोटो किए वायरल, 2 पुलिस वालों पर जुर्माना
फरीदाबाद में एक दिव्यांग सीए पर थाने में ज्यादती करने पर दो पुलिस कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की गई है। मानवाधिकार आयोग ने उन पर 50 हजार रुपये जुर्माना किया है।
हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने दिव्यांग सीए की प्रताड़ना पर सुनाया अहम फैसला।
Human right commission action : फरीदाबाद के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट को पुलिस हिरासत में अर्धनग्न कर प्रताड़ित करने और उनके फोटो सोशल मीडिया पर वायरल करने के आरोप में मानवाधिकार आयोग ने आरोपी पुलिस कर्मचारियों पर शिकंजा कसा है। चार साल तक चली लड़ाई के बाद पीड़ित के पक्ष में फैसला आया है। पीड़ित को 50 हजार रुपये मुआवजा देने के आदेश दिए गए हैं। यह राशि दोनों आरोपी पुलिस कर्मचारियों से वसूली जाएगी। इसके साथ ही आयोग ने सख्त टिप्पणी की है कि पुलिस हिरासत को यातना स्थल नहीं बनने दिया जा सकता।
इंसाफ देर से सही, पर मिला
पीड़ित सीए अनिल ठाकुर ने कहा कि इंसाफ देर से सही, पर मिला। मेरी गरिमा को जो ठेस पहुंची, अब उसका संज्ञान लिया गया। हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने एक अहम और संवेदनशील निर्णय में स्पष्ट किया कि पुलिस हिरासत में किसी भी व्यक्ति विशेषकर दिव्यांग नागरिक के साथ ऐसा अपमानजनक और क्रूर व्यवहार पूर्णतः अस्वीकार्य है।
थाने में प्रताड़ित कर फोटो किए वायरल
दिव्यांग सीए अनिल ठाकुर को 24 मई 2021 को एक आपराधिक मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया। उनकी शिकायत के अनुसार उन्हें फरीदाबाद के सरन पुलिस स्टेशन में हिरासत के दौरान अर्धनग्न कर दिया गया, उनकी तस्वीरें और वीडियो बनाए गए। इन तस्वीरों को बाद में सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया। यह घटना न केवल उनके आत्म-सम्मान पर सीधा प्रहार थी, बल्कि एक विकलांग व्यक्ति के मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन भी हैं।
निजता, गरिमा और मानसिक शांति को भी रौंदने वाला कृत्य
अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा और सदस्यों कुलदीप जैन एवं दीप भाटिया को मिलकर बने पूर्ण आयोग ने अपने आदेश में लिखा है कि जांच शाखा की निष्पक्ष रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि एएसआई जगवती और कांस्टेबल राकेश कुमार द्वारा सीए ठाकुर को अर्धनग्न किया गया। पुलिस हिरासत में वीडियो रिकॉर्डिंग करने की अनुमति दी गई। यह सब न केवल पुलिस आचरण नियमों के खिलाफ था, बल्कि व्यक्ति की निजता, गरिमा और मानसिक शांति को भी रौंदने वाला कृत्य था। आयोग ने आदेश में कहा कि यह घटना हमारे संवैधानिक मूल्यों और मानव गरिमा की अवधारणा को ललकारने वाली है। कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी आरोप में हिरासत में क्यों न हो इस प्रकार के अपमान और सार्वजनिक अपदस्थता का पात्र नहीं हो सकता। यह घटना अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का खुला उल्लंघन है।
पुलिस हिरासत को यातना स्थल नहीं बनने दिया जा सकता
प्रोटोकॉल, सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने जानकारी दी कि पूर्ण आयोग के निर्देश के अनुसार हरियाणा सरकार के गृह विभाग को 50 हजार की मुआवजा राशि पीड़ित अनिल ठाकुर को अदा करने के आदेश दिए गए हैं। यह राशि दोषी पुलिसकर्मियों एएसआई जगवती और कांस्टेबल राकेश कुमार से बराबर हिस्सों में वसूली जाएगी। यह मुआवजा राशि प्रतीकात्मक है, परंतु यह यह संदेश देती है कि राज्य व्यवस्था किसी भी नागरिक के सम्मान और गरिमा की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। पुलिस हिरासत को यातना स्थल नहीं बनने दिया जा सकता।