दिल्ली ब्लास्ट: आतंकी डॉक्टर्स के मददगारों पर NIA करेगी सख्ती, हरियाणा, UP और J&K के 5 शहरों में बड़ी कार्रवाई की तैयारी
NIA ने इस 'बी टीम' के संदिग्धों की लिस्ट तैयार कर ली है, जो हरियाणा के फरीदाबाद-नूंह-गुरुग्राम, यूपी के लखनऊ-कानपुर-सहारनपुर और जम्मू-कश्मीर में सक्रिय थे।
दिल्ली ब्लास्ट का फाइल फोटो।
दिल्ली ब्लास्ट के आतंकी मॉड्यूल की जांच में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) अब एक बड़े ऑपरेशन की तैयारी में है। आतंकी डॉक्टरों के मुख्य नेटवर्क को ध्वस्त करने के बाद एजेंसी अब उनके जमीनी मददगारों और 'बी टीम' पर शिकंजा कसने वाली है। ये वे लोग हैं जिन्होंने इस आतंकी मॉड्यूल को छिपने के ठिकाने, वाहन, लॉजिस्टिक सपोर्ट और सबसे महत्वपूर्ण फाइनेंस मुहैया कराया।
कई राज्यों में फैला आतंकी सपोर्ट नेटवर्क
जांच में सामने आया है कि आतंकी मॉड्यूल को लॉजिस्टिक सपोर्ट देने वाले वर्कर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के कई शहरों में सक्रिय थे। NIA ने ऐसे संदिग्धों की विस्तृत सूची तैयार की है। जिसमें हरियाणा के फरीदाबाद, नूंह और गुरुग्राम, उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर और सहारनपुर, जम्मू-कश्मीर के कई ठिकाने शामिल हैं।
जांच एजेंसी को पक्के सबूत मिले हैं कि ये वर्कर आतंकी गतिविधियों को जमीन पर अंजाम देने में सहायक थे। फरीदाबाद से दर्जन भर ऐसे लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिन पर आतंकी डॉक्टर्स को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मदद करने का आरोप है।
मरीजों की आड़ में भर्ती
NIA की जांच में खुलासा हुआ है कि दिल्ली ब्लास्ट में एक पूरा डॉक्टर नेटवर्क काम कर रहा था। डॉ. आदिल, डॉ. मुजम्मिल शकील, डॉ. शाहीन सईद और ब्लास्ट में मारा जा चुका आतंकी डॉ. उमर नबी इस टेरर मॉड्यूल की अहम कड़ी थे। ये सभी डॉक्टर सुरक्षा एजेंसियों से बचने के लिए अस्पतालों, क्लीनिकों और मेडिकल सेटअप को एक कवर की तरह इस्तेमाल कर रहे थे।
यह भी सामने आया है कि ये आतंकी डॉक्टर मरीजों की मदद के बहाने ऐसे लोगों को ढूंढते थे, जिनका उपयोग वे ज़रूरत पड़ने पर कर सकें। वे मरीजों के घर तक जाते थे और उनके परिवार का बारीकी से जायजा लेते थे। इस नेटवर्क में अच्छे पढ़े-लिखे लोगों को शामिल किया गया था, ताकि उनका असली मकसद छुपा रहे।
'बी टीम' पर बड़ा एक्शन
NIA की प्रारंभिक जांच फिलहाल लखनऊ, कानपुर, सहारनपुर, फरीदाबाद और जम्मू-कश्मीर पर केंद्रित है। इन शहरों में जांच एजेंसियों द्वारा लगातार हाई-इंटेंसिटी रेड और इंटेलिजेंस ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं।
जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, अब इस आतंकी मॉड्यूल की बी टीम पर बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी है। इस टीम में वो लोग शामिल हैं जो सीधे धमाके में शामिल नहीं रहे, लेकिन इन आतंकी डॉक्टर्स को छुपाने, वाहन उपलब्ध कराने और वित्तीय सहायता देने में सक्रिय थे। चैट, कॉल डेटा और डिजिटल फुटप्रिंट से साफ हो चुका है कि यह आतंकी नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ था और इन मददगारों की पहचान पूरी हो चुकी है।
फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी को कवर के रूप में इस्तेमाल किया
जांच में यह भी सामने आया है कि इन आतंकियों ने अस्पतालों और मेडिकल इंस्टीट्यूट का इस्तेमाल कवर के तौर पर किया। फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी को मुख्य कवर के रूप में इस्तेमाल किया गया। यहीं पर इन आतंकी डॉक्टरों ने विस्फोटक और हथियार छिपाए थे। बाद में यहीं से 2900 किलो विस्फोटक सामग्री को फरीदाबाद के गांव धौज और गांव फतेहपुरा तगा में शिफ्ट किया गया था, जिसका उपयोग दिल्ली ब्लास्ट में किया गया। फरीदाबाद और सहारनपुर से बरामद वाहनों की फोरेंसिक जांच भी पूरी कर ली गई है।
NIA के राडार पर हैं 5 प्रमुख शहर
1. फरीदाबाद: यह मॉड्यूल का सेंटर पॉइंट रहा है। डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन और डॉ. उमर नबी यहीं अल-फलाह यूनिवर्सिटी में नौकरी कर रहे थे। यहीं के कमरा नंबर 13 में दिल्ली ब्लास्ट का प्लान बना। यहीं से 2900 किलो विस्फोटक और आतंकी डॉक्टरों के वाहन बरामद किए गए थे।
2. लखनऊ: लेडी आतंकी डॉ. शाहीन लखनऊ की रहने वाली है। यहां उसके पैतृक घर (डालीगंज) और उसके भाई डॉ. परवेज अंसारी के घर पर NIA और यूपी एटीएस ने छापेमारी की। शाहीन का काम मुजम्मिल द्वारा चुने गए लोगों का ब्रेन वॉश करना था।
3. सहारनपुर: आतंकी डॉ. आदिल को सहारनपुर से ही गिरफ्तार किया गया था, जहां वह फेमस हेल्थ मेडिकेयर अस्पताल में ₹5 लाख प्रति माह की नौकरी कर रहा था। आदिल ने ही विस्फोटक सामग्री फरीदाबाद में जमा करने का सुझाव दिया था।
4. कानपुर: आतंकी षड्यंत्र में शामिल डॉ. शाहीन के कई करीबी फंडिंग के लिए कानपुर में चार माह से ज़्यादा तीन संदिग्ध एनजीओ के संपर्क में थे। शाहीन वर्ष 2006 से 2013 तक जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर में विभागाध्यक्ष रही थी। एनजीओ के खातों में संदिग्ध लेनदेन मिले हैं, जो खाड़ी देश (बहरीन, कुवैत, कतर आदि) से पैसा मंगा रहे थे।
5. जम्मू-कश्मीर: डॉ. मुजम्मिल, डॉ. उमर नबी और डॉ. आदिल मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। डॉ. उमर और डॉ. आदिल अनंतनाग के एक अस्पताल में नौकरी करते थे। आदिल ही वह शख्स था जिसने श्रीनगर में जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर लगाए थे, जिसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया था।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी में छात्रों की चिंता बरकरार
इस बीच अल-फलाह यूनिवर्सिटी में माहौल अभी भी तनावपूर्ण है। वीसी भूपिंदर कौर आनंद ने एमबीबीएस फाइनल ईयर के छात्रों से दोबारा मुलाकात कर उन्हें आश्वासन दिया है कि सभी मामले सुलझ गए हैं और उनके भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ नहीं होगा। हालांकि, छात्रों में पढ़ाई और डिग्री को लेकर चिंता बरकरार है। कई कश्मीरी प्रोफेसर अभी भी छुट्टी पर हैं और वापस नहीं लौटे हैं, जिससे क्लास पूरी तरह नहीं चल पा रही हैं। अभिभावक भी बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं और उन्होंने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से हस्तक्षेप कर छात्रों को अन्य चिकित्सा महाविद्यालयों में स्थानांतरित करने की अपील की है।
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