तू है क्या चीज, बाहर मिल, देखते हैं जिंदा...: दिल्ली में ओपन कोर्ट में महिला जज को धमकी, नहीं आया था हक में फैसला

Delhi Court: दिल्ली में चेक बाउंस मामले में फैसले के समय एक आरोपी और उसके वकील ने महिला जज को धमकी दी। साथ ही उस पर कुछ सामान फेंक कर मारने की कोशिश भी की।

Updated On 2025-04-21 14:18:00 IST
महिला जज को आरोपी और उसके वकील ने दी धमकी।

Delhi Court: दिल्ली की एक अदालत में सुनवाई के दौरान दोषियों ने महिला जज को धमकी दे डाली। ये सुनकर वहां मौजूद सभी लोग स्तब्ध हो गए कि आखिर कोई व्यक्ति जज को धमकी कैसे दे सकता है? दरअसल, चेक बाउंस मामले में एक दोषी और उसके वकील ने ओपन कोर्ट में महिला जज को धमकी दी और गालियां दीं। दोषी ने पक्ष में फैसला न आने के कारण जज पर कुछ फेंकने की भी कोशिश की। इसके बाद उसने अपने वकील से कहा कि कुछ भी करो, लेकिन मुझे फैसला मेरे हक में चाहिए।

'तू है क्या चीज, तू बाहर मिल'
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, 2 अप्रैल 2025 को चेक बाउंस मामले में दोषी अपने खिलाफ फैसला सुनकर भड़क गया। दोषी ने खुली अदालत में जज को परेशान किया। उसने महिला जज को धमकाते हुए कहा, 'तू है क्या चीज, तू बाहर मिल... हम देखते हैं कि तू जिंदा घर कैसे जाती है?' बता दें कि न्यायिक मजिस्ट्रेट शिवांगी मंगला ने आरोपी को परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया था। साथ ही उसे अगली सुनवाई की तारीख पर CRPC की धारा 437A के तहत जमानत बांड पेश करने का निर्देश दिया था।

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'आरोपी और उसके वकील ने मानसिक तौर पर किया परेशान'
इस मामले को लेकर जज शिवांगी मंगला ने कहा कि 'दोषसिद्धि के आरोपी और उसके वकील ने मानसिक तौर पर परेशान किया। साथ ही जज के पद से इस्तीफा देने का दबाव बनाया।' इस मामले में जज ने राष्ट्रीय महिला आयोग से कार्रवाई की इच्छा जाहिर की है। साथ ही जज ने दोषी अतुल कुमार को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है और उससे जवाब मांगा है कि उसके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई क्यों न की जाए?

आरोपियों को नोटिस जारी
वहीं कोर्ट ने दोषी अतुल कुमार के वकील को भी अदालती नोटिस जारी किया है। उनसे लिखित में इस आचरण का स्पष्टीकरण मांगा गया है। साथ ही उनसे पूछा गया है कि उनके ऐसे दुर्व्यवहार के लिए उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए हाईकोर्ट क्यों ने भेजा जाए? इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी को आईपीसी की धारी 437ए के तहत जमानत बांड भरने के लिए निर्देश दिए गए। साथ ही अगली सुनवाई से पहले वकील को जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है।   

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