Delhi unique baolis: एक समय दिल्ली में हुआ करती थीं 100 से ज्यादा बावड़ियां, हो गईं गुमनाम, कुछ बाकी

एक समय पर दिल्ली में 100 से ज्यादा बावड़ियां हुआ करती थीं, लेकिन वर्तमान में मात्र 10 रह गई हैं। इनमें से भी बहुत सी बावलियां धीरे-धीरे गुमनाम होती जा रही हैं। आइए जानते हैं कुछ मुख्य बावलियों के बारे में...

Updated On 2025-07-03 11:09:00 IST

दिल्ली की बावलियां।

Delhi Baolis: दिल्ली में वैसे तो घूमने के लिए काफी जगह हैं, लेकिन बहुत से लोग जब दिल्ली घूमने आते हैं, तो यहां की बावड़ियां देखना भी पसंद करते हैं। दिल्ली की अनूठी बावड़ियां अपने आप में ही खास हैं। कहा जाता है कि एक समय पर दिल्ली में 100 से ज्यादा बावड़ियां हुआ करती थीं, जो अब घटकर मात्र 10 रह गई हैं।

हजारों साल पहले बनाई गईं बावड़ियां हमारे देश का खजाना हुआ करती थीं। पानी की कमी होने के कारण इन बावड़ियों में पानी एकत्रित किया जाता था। उस पानी को कई महीनों तक संरक्षित करके रखा जाता था, ताकि पानी की कमी न हो सके। इन बावड़ियों का डिजाइन उस दौरान के अद्भुत इंजीनियरिंग कौशल को दिखाता है। आइए जानते हैं कुछ प्रसिद्ध दिल्ली की बावड़ियों के बारे में...

निजामुद्दीन की बावड़ी


दिल्ली की निजामुद्दीन की बावड़ी का निर्माण 14 वीं सदी में निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के अहाते में शुरू हुआ था। इसे बनाने के पीछे की कहानी है कि जिस समय निजामुद्दीन औलिया बावड़ी बनवा रहे थे, उसी दौरान सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक भी तुगलकाबाद का किला बनवा रहे थे। गयासुद्दीन तुगलक ने कारीगरों से और कहीं काम करने से मना कर दिया था। मगर कारीगरों ने रातों रात में निजामुद्दीन की बावड़ी बना डाली। वहीं इस बावड़ी के बारे में लोगों की मान्यता है कि इस बावड़ी के पानी से नहाने से शरीर के रोग ठीक हो जाते है।

फिरोज शाह कोटला की बावड़ी


फिरोज शाह कोटला की बावड़ी का निर्माण सुल्तान फिरोज शाह ने कोटाल-ए-फिरोजशाही के अंदर करवाया था। इस कारण इस बावड़ी नाम फिरोज शाह कोटला रखा गया था। इस की इमारत पिरामिड आकार की है। हालांकि विक्रमजीत सिंह रूप राय की किताब 'टॉप टेन बावड़ियाँ' के अनुसार इसका आकार गोलाकार है। इस बावड़ी की कई कहानियां प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इस बावड़ी में बने कुंए ने जलाशय का ही आकार ले लिया। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि इस बावड़ी के अंदर जिन्न दफन है। हालांकि इस बात की अभी तक कोई पुष्टि नहीं हो सकी है।

गंधक का बावड़ी


यह बावड़ी दिल्ली की सबसे पुरानी बावड़ी कही जाती है। गंधक की बावड़ी महरौली में अधम खां के मकबरे से 100 मीटर दूर दक्षिण में स्थित है। इसे 1211-1236 में बनाया गया था । इल्तुतमिश के शासन काल के दौरान बनवाया गया था। इस बावड़ी से गंधक की महक आती है। जिसके कारण इसका नाम गंधक की बावड़ी पड़ गया। पहले इसका पानी पीने योग्य था, परन्तु आज इसका पानी किसी काम नहीं आता है।

अग्रसेन की बावड़ी


इस बावड़ी का निर्माण 15 वीं शताब्दी में राजा अग्रसेन ने करवाया था। यह दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस के हैली रोड पर स्थित है, जोकि 60 मीटर लंबा और 15 मीटर ऊंचा एक कुआं है। इस बावड़ी का जीर्णोद्धार अग्रवाल समुदाय द्वारा करवाया जाता है। इससे जुड़ी कहानी है कि इस बावड़ी को शहर के लिए पानी की आपूर्ति के लिए बनवाया गया था।

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