पत्नी की हत्या के केस में पति बरी: कोर्ट ने कहा- डाइंग डिक्लेरेशन को सबूत नहीं माना जा सकता
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बालोद जिले की लक्ष्मीबाई की हत्या मामले में आरोपी पति को बरी कर दिया है। डॉक्टर का सर्टिफिकेट नहीं मिलने से केस पलट गया।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
पंकज गुप्ते- बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बालोद जिले की लक्ष्मीबाई की हत्या के आरोप में सजा काट रहे उसके पति भेमेश्वर उर्फ रवि बिंझेकर को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि, डॉक्टर का फिटनेस सर्टिफिकेट न होने से मरने से पहले दिए गए बयान (डाइंग डिक्लेरेशन) पर भरोसा नहीं किया जा सकता। बता दें कि, यह पूरा मामला साल 2019 का है।
दरअसल, बालोद जिले के बरही गांव में 24 अप्रैल की रात लक्ष्मीबाई को जलाकर मारने का आरोप उसके पति पर लगा था। गंभीर हालत में महिला को रायपुर के डीकेएस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उसने बयान दिया कि, पति ने उस पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी। पांच मई को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। बलोद की अदालत ने 2022 में पति को उम्रकैद की सजा दी थी। उसने हाईकोर्ट में अपील की।
कोर्ट ने दिया सबूत नहीं मानने का हवाला
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्त गुरु की डिविजन बेंच ने पाया कि, मरने से पहले दिए गए बयान के समय डॉक्टर का लिखित प्रमाण नहीं था कि महिला मानसिक रूप से बयान देने की स्थिति में थी। अदालत ने कहा कि, ऐसी स्थिति में डाइंग डिक्लेरेशन को सबूत नहीं माना जा सकता। राज्य सरकार की जांच समिति ने माना कि, महिला इलाज के दौरान होश में थी लेकिन अस्पताल में कोई लिखित मेडिकल प्रमाण नहीं मिला।
2019 से जेल में था मृतका का पति
डॉक्टर रूबी सिंह ने कहा कि, उन्होंने फिटनेस राय पुलिस को मेमो पर दी थी पर अस्पताल में उसकी प्रति नहीं रखी गई। हाईकोर्ट ने कहा कि, जांच एजेंसियों और तहसीलदार ने बड़ी लापरवाही की है। अदालत ने राज्य सरकार और पुलिस प्रमुख को निर्देश दिया कि भविष्य में किसी भी डाइंग डिक्लेरेशन से पहले डॉक्टर का लिखित प्रमाण अनिवार्य रूप से लिया जाए। भेमेश्वर 25 मई 2019 से जेल में था। अदालत ने उसकी सजा रद्द करते हुए तुरंत रिहा करने का आदेश दिया।