गर्ल्स में टीनएज प्रॉब्लम्स: न हों परेशान, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ
सामान्य तौर पर जब एक लड़की 12 वर्ष की होती है, तब उसमें मेंस्ट्रअल साइकिल की शुरुआत होती है।;


बिहेवियरल प्रॉब्लम्स: इस एज में हार्मोनल इंबैलेंस होने के कारण गल्र्स खुद को बहुत ज्यादा असुरक्षित महसूस करती हैं, उनके भीतर चिड़चिड़ापन आ जाता है। इतना ही नहीं, इस हार्मोनल इंबैलेंस के कारण उनके अंदर उदासी या निराशा की भावना आ जाती है। इस सिचुएशन के लंबे समय तक बने रहने पर डिप्रेशन हो सकता है। इसलिए इसका समय रहते ट्रीटमेंट करा लेना चाहिए। इसके लिए साइकिएट्रिस्ट या साइकोलॉजिस्ट से ट्रीटमेंट जरूरी है। साइकिएट्रिस्ट जहां एंटी डिप्रेसेंट मेडिसिन देते हैं, वहीं साइकोलॉजिस्ट पर्सनल काउंसलिंग, ग्रुप ट्रीटमेंट आदि के जरिए ट्रीटमेंट करते हैं।