Amitabh Bachchan 83rd Birthday: अमिताभ बच्चन की वो आइकॉनिक फिल्में जिसने भारतीय सिनेमा को दिया नया इतिहास
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन हिंदी सिनेमा को 5 दशकों से अपनी बहुमुखी प्रतिभा से संवार रहे हैं। आज उनके 83वें जन्मदिन पर एक नजर डालते हैं उनकी कुछ बेहतरीन फिल्मों और यादगार भूमिकाओं पर।
अमिताभ बच्चन 11 अक्टूबर 2025 को अपना 83वां जन्मदिन मना रहे हैं।
Amitabh Bachchan 83rd Birthday: बिग बी की ऊंची कद-काठी, बलुंद आवाज और अभिनय की ऐसी ललक, कि जब इलाहाबाद से मुंबई पहुंचे तो सिर्फ एक सपना था- हीरो बनना! अमिताभ बच्चन आज भारतीय सिनेमा के सदी के महानायक बन चुके हैं। हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े और सबसे सम्मानित अभिनेता अमिताभ बच्चन ने 50 से अधिक वर्षों तक भारतीय सिनेमा की दिशा और दशा बदल दी। 11 अक्टूबर 1942 को जन्मे बिग बी ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी है।
बॉलीवुड के 'एंग्री यंग मैन'
1970 के दशक की शुरुआत में ‘आनंद’ और ‘जंजीर’ जैसी फिल्मों से उन्हें भारी पॉपुलैरिटी मिली, लेकिन ‘दीवार’, ‘शोले’ और ‘डॉन’ जैसी फिल्मों ने उन्हें एक मैस्ट्रो बना दिया। ‘जंजीर’ में उन्होंने 'एंग्री यंग मैन' की पहचान दी, जो उस दौर के युवा वर्ग की आवाज़ बनी।
अमिताभ बच्चन ने कभी खुद को एक ही शैली तक सीमित नहीं रखा। उनकी कॉमिक टाइमिंग ‘चुपके चुपके’ और ‘अमर अकबर एंथनी’ में देखने को मिली, जबकि ‘सिलसिला’ और ‘कभी कभी’ में उनका रोमांटिक पक्ष दर्शकों को खूब भाया। ‘मोहब्बतें’, ‘ब्लैक’, ‘पा’, ‘पीकु’, ‘पिंक’ और ‘झुंड’ जैसी फिल्मों में उनके चैलेंजिंग किरदारों ने उनकी अभिनय क्षमता को और मजबूत किया।
वर्सेटाइल एक्टिंग से जीता दिल
उनका किरदार चाहे ‘पीकु’ में प्यार करने वाले पिता का हो या ‘पिंक’ में सख्त वकील का, हर भूमिका में अमिताभ बच्चन ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। बॉलीवुड के अलावा, वे क्षेत्रीय सिनेमा में भी अपनी छाप छोड़ चुके हैं। गुजराती कॉमेडी ड्रामा ‘फक्त पुरुषों खातिर’, तेलुगु साइंस-फिक्शन ‘कल्कि 2898 एडी’ और तमिल एक्शन ड्रामा ‘वेट्टय्यान’ जैसी फिल्मों में भी उनका अभिनय सराहा गया है।
आज 83 साल की उम्र में भी अमिताभ बच्चन युवा पीढ़ी के लिए इंस्पिरेशन बने हुए हैं। आइए, उनके करियर की कुछ बेहतरीन फिल्मों पर एक नजर डालते हैं, जिन्होंने उन्हें भारतीय सिनेमा के महानायक के रूप में जन्म दिया-
जंजीर (1973)
‘जंजीर’ ने अमिताभ को सुपरस्टार बना दिया। इस फिल्म में उन्होंने इंस्पेक्टर विजय खन्ना का किरदार निभाया, जिसने दर्शकों को उनका “एंग्री यंग मैन” रूप दिखाया। फिल्म के डायलॉग और कहानी ने उन्हें एक नेशनल हीरो बना दिया।
दीवार (1975)
सलीम-जावेद की लिखी और यश चोपड़ा के निर्देशित ‘दीवार’ अमिताभ की सबसे यादगार फिल्मों में से एक है। विजय वर्मा के किरदार में उनका अभिनय आज भी भारतीय सिनेमा का एक अनमोल हिस्सा है। फिल्म का मशहूर डायलॉग, “आज मेरे पास मां है,” आज भी लोगों के जहन में ताजा है।
शोले (1975)
‘दीवार’ के साथ ही रिलीज़ हुई ‘शोले’ भारतीय सिनेमा की क्लासिक फिल्म बन गई। जय के रूप में अमिताभ ने धमक और भावुकता का बेहतरीन मेल दिखाया। उनकी केमिस्ट्री और अभिनय ने फिल्म को सदाबहार बना दिया।
डॉन (1978)
‘डॉन’ में अमिताभ ने डबल रोल निभाकर अपनी अदाकारी का जलवा दिखाया। डॉन और उसके हमशक्ल विजय के किरदार में उनकी परफॉर्मेंस ने दर्शकों का दिल जीत लिया। फिल्म की कहानी और डायलॉग आज भी फैंस के बीच लोकप्रिय हैं।
कल्कि 2898 एडी (2024)
अब भी वे नए प्रयोग कर रहे हैं। नाग अश्विन द्वारा निर्देशित यह विज्ञान-कथा फिल्म उनकी बहुमुखी प्रतिभा की ताजा मिसाल है। इस फिल्म में उनका किरदार अश्वत्थामा दर्शकों और आलोचकों दोनों द्वारा सराहा जा रहा है।
अमिताभ बच्चन ने साबित कर दिया है कि उम्र केवल एक नंबर है और कला की कोई सीमा नहीं होती। 200 से अधिक फिल्मों के अपने विशाल करियर में उन्होंने हर तरह की भूमिका निभाई और हर बार सबको प्रभावित किया। वे एक सच्चे लीजेंड हैं, जिनका प्रभाव भारतीय सिनेमा पर सदाबहार बना रहेगा।