India GDP Q1: ट्रंप टैरिफ के बीच भारत की अर्थव्यवस्था को लगे पंख, पहली तिमाही में 7.8% की रफ्तार से बढ़ी
India GDP Q1: भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी खबर आई है। सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी अप्रैल-जून तिमाही में 7.8% रही। यह अनुमानित 6.7% से ज्यादा और पिछली तिमाही के 7.4 फीसदी से बेहतर है।
इस साल अप्रैल-जून की अवधि में भारत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 7.8% रही।
India's GDP Q1: अमेरिका की तरफ से लगे टैरिफ के बीच भारत के लिए बड़ी खबर आई है। भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जोरदार प्रदर्शन किया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान सकल घरेलू उत्पाद 7.8% बढ़ा। यह पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च) के 7.4 फीसदी और पिछले साल की इसी अवधि के 6.5% की तुलना में बेहतर है। विशेषज्ञों ने पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान 6.8% लगाया था। पिछली 5 तिमाही में ये सबसे ज्यादा ग्रोथ रेट है।
ब्लूमबर्ग के सर्वे में अर्थशास्त्रियों ने इस तिमाही में जीडीपी वृद्धि 6.7% रहने का अनुमान लगाया था लेकिन वास्तविक आंकड़ा उससे कहीं ज्यादा निकला। यह दिखाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी मजबूती से आगे बढ़ रही और घरेलू मांग के साथ-साथ निवेश भी अच्छी रफ्तार पकड़ रहा।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में इजाफा मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन के कारण हुई। भारत सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है, क्योंकि अप्रैल-जून की अवधि में चीन की जीडीपी विकास दर 5.2 प्रतिशत रही।
जीवीए भी रहा मजबूत
ग्रॉस वैल्यू एडेड , जिसमें अप्रत्यक्ष कर और सब्सिडी को शामिल नहीं किया जाता, भी इस दौरान 7.6 प्रतिशत बढ़ा। पिछली तिमाही में यह 6.8 फीसदी था और पिछले साल की पहली तिमाही में 6.5 फीसदी। विशेषज्ञ मानते हैं कि जीवीए को ज्यादा भरोसेमंद माना जाता है, क्योंकि यह टैक्स और सब्सिडी के उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होता।
नेशनल स्टेटिस्टिक्स ऑफिस की तरफ से जारी गई रिपोर्ट की मुख्य बातें
- रियल जीडीपी में 2025-26 की पहली तिमाही में 7.8% की वृद्धि का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही के 6.5% से ज्यादा है।
- कृषि और उससे जुड़े सेक्टर में रियल ग्रॉस वैल्यू एडेड की बढ़ोतरी 3.7 फीसदी रही जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ये 1.5% थी।
- कॉन्सटेंट प्राइस पर इस तिमाही में सेकेंडरी सेक्टर, खासकर मैन्युफैक्चरिंग में 7.7% और कंस्ट्रक्शन में 7.6% की ग्रोथ रही।
- माइनिंग और क्वार्रिंग (-3.1%) और बिजली, गैस, पानी की आपूर्ति और अन्य यूटिलिटी सर्विस सेक्टर (0.5%) में 2025-26 की पहली तिमाही में रियल बढ़ोतरी कम रही।
- टर्सियरी सेक्टर (9.3%) ने 2025-26 के पहले क्वार्टर में स्थिर कीमतों पर अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की, जो पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 6.8 फीसदी से ज्यादा है।
- सरकारी की फाइनल कंज्प्शन एक्सपेंडिचर में मामूली रूप से 9.7% की बढ़ोतरी हुई, जो पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 4.0% से काफी बेहतर है।
- रियल प्राइवेट फाइनल कंज्प्शन एक्सपेंडिटर में वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में 7.0% की बढ़ोतरी हुई जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में ये 8.3% थी।
इसी महीने की शुरुआत में रिजर्व बैंक ने मॉनिटरी पॉलिसी मीटिंग के दौरान वित्तीय वर्ष 2026 के लिए विकास दर का अनुमान 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा था। तब रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा था कि मॉनसून सीजन अच्छा रहा और फेस्टिव सीजन भी करीब आ रहा है। ये माहौल, सरकार और रिजर्व बैंक की नीतियों के साथ, इंडियन इकोनॉमी के लिए आगे अच्छा संकेत देता है।
वित्त मंत्रालय ने जीएसटी स्लैब को 4 से घटाकर 2 करने की योजना बनाई है, ताकि देश में खपत को बढ़ावा मिल सके। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को जरूरी बूस्ट मिल सकता है। इसके अलावा एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए भी निर्यात प्रोत्साहन मिशन, और निर्यात लोन पर मोरेटोरियम जैसी योजना पर विचार हो रहा।
(प्रियंका कुमारी)