RBI Repo Rate Cut 2025: आरबीआई ने ब्याज दर में की 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती, लोन होगा सस्ता, घटेगी EMI

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज 5 दिसंबर को रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट (0.25%) की कटौती कर इसे 5.25% कर दिया है। केंद्रीय बैंक इस साल फरवरी के बाद अब तक कुल 125 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर चुका है।

Updated On 2025-12-05 10:58:00 IST

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज 5 दिसंबर को रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट (0.25%) की कटौती कर इसे 5.25% कर दिया है। केंद्रीय बैंक इस साल फरवरी के बाद अब तक कुल 125 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर चुका है। रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंकों को आरबीआई से कम ब्याज दर पर कर्ज मिलेगा और इसका फायदा होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की किस्तों में कमी के रूप में मिलेगा। रेट कट के बाद होम लोन लेने वालों को सबसे बड़ा लाभ मिलेगा।

बैंक जब कम ब्याज पर पैसा उठाते हैं, तो वे नए और पुराने दोनों तरह के फ्लोटिंग रेट लोन पर ब्याज कम करते हैं। इससे ईएमआई घटती है तो लोन एलिजिबिलिटी भी बढ़ जाती है। पिछले कुछ महीनों में भारित औसत उधार दर या Weighted Average Lending Rate (WALR) में पहले ही 60 bps की गिरावट आ चुकी है, अब यह कटौती इसे और नीचे ले जाएगी।

इसी तरह डिपॉजिट दरों में भी बदलाव देखने को मिलेगा, क्योंकि Weighted Average Term Deposit (WATD) दरें नई जमा पर 105 bps और पुरानी जमा पर 32 bps तक पहले ही घट चुकी हैं। आगे भी फिक्स्ड डिपॉज़िट पर ब्याज थोड़ा और कम हो सकता है। आरबीआई ने बाजार में तरलता बनाए रखने के लिए बड़े कदम भी घोषित किए हैं। इसमें ₹1 लाख करोड़ के ओएमओ (Open Market Operations) खरीद और 3 साल की USD/INR buy-sell swap शामिल है।

इसका उद्देश्य बैंकिंग सिस्टम में durable liquidity यानी लंबे समय तक पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराना है। अक्टूबर की MPC मीटिंग के बाद से सिस्टम में ₹1.5 लाख करोड़ का अधिशेष तरलता बनी हुई है, जिससे मनी मार्केट रेट्स सामान्यतः रेपो रेट के आसपास बने रहे हैं।

आरबीआई जरूरत पड़ने पर VRRR जैसे टूल से अस्थायी तरलता भी नियंत्रित कर सकता है। विदेशी पूंजी प्रवाह के मोर्चे पर भी हालात स्थिर हैं। पहली तिमाही में ग्रॉस और नेट FDI बढ़ा है और आउटफ्लो कम हुआ है, जिससे शुद्ध निवेश में सुधार दिखा। ECBs और NRI जमा में पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट है, लेकिन कुल मिलाकर भारत का बाहरी सेक्टर लचीला यानी कि resilient बना हुआ है और फंडिंग की जरूरतें आसानी से पूरी हो जाएंगी। महंगाई की CPI प्रोजेक्शंस बढ़ती स्थिरता दिखाती हैं।

FY26 में औसत महंगाई 2.0% रहने का अनुमान है, जो पहले 2.6% थी। आने वाले क्वार्टर्स में भी महंगाई नियंत्रित दायरे में रहने की उम्मीद है, जिससे रेपो रेट कट के लिए और गुंजाइश निकल सकती है। कुल मिलाकर, आरबीआई का यह निर्णय रियल एस्टेट सेक्टर और उपभोक्ता मांग के लिए बड़ा सकारात्मक संकेत है और अर्थव्यवस्था को आसान और सस्ती फाइनेंसिंग उपलब्ध कराकर विकास की गति को तेज करेगा।

(एपी सिंह की रिपोर्ट)

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