एस जयशंकर का चीन पर हमला: जापानी विदेश मंत्री से कही अहम बात, बताया आखिर क्यूं हुई लद्दाख में चीनी-भारतीय सैनिकों में खूनी झड़प

S Jaishankar Attacked China
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को जापान दौरे के दौरान चीन पर निशाना साधा।
S Jaishankar Attacked China: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को जापान के विदेश मंत्री कामीकावा योके से मुलाकात की। इसके बाद चीन पर निशाना साधा। विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि आखिर क्या वजह रही कि लद्दाख में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई।

S Jaishankar Attacked China:जापान के दौरे पर पहुंचे केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को चीन पर निशाना साधा। विदेश मंत्री ने कहा कि जापान हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति कायम रखने, स्थिरता लाने और समृद्धि के लिए एक स्वभाविक पार्टनर देश है। जयंशंकर ने कहा कि चीन ने भारत के साथ हुए समझौते को तोड़ा है। यही वजह रही कि पूर्वी लद्दाख में भारत और जापान की सेना के बीच तनाव बढ़ा और खूनी संघर्ष तक की नौबत आ गई।

जापानी समकक्ष कामीकावा योके से की मुलाकात
इस बीच विदेश मंत्री ने अपने जापानी समकक्ष कामीकावा योके के साथ मुलाकात की। विदेश मंत्री ने दोनों देशाें के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए हुई द्विपक्षीय वार्ता की अध्यक्षता की। इस दौरान बुलेट ट्रेन, सेमीकंडक्टर, वीजा देने की प्रक्रिया को आसान बनाने और हिंद प्रशांत की क्षेत्र की मौजूदा स्थितियों, चुनौतियों और उनके समाधान को लेकर विस्तार से बातचीत हुई।

जापान-भारत के हिंद प्रशांत क्षेत्र के दो अहम देश
एस जयशंकर ने जापानी विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान कहा कि भारत और जापान दोनों ही हिंद प्रशांत क्षेत्र के अहम देश हैं। इन दोनों देशों को क्षेत्र में सामने आ रही चुनौतियों के लिए मिलकर प्रयास करने की जरूरत होगी। इसके लिए जापान और भारत तैयार हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि मौजूदा समय में वैश्विक स्थिति ज्यादा अस्थिर है। ग्लोबल कम्युनिटी को लेकर राय बनाने चुनौतिपूर्ण बन गया है। इसके साथ ही जोखिम भी बढ़ रहे हैं। एशिया में इंटरनेशनल कानूनों का उल्लंघन हो रहा है, मिडिल इस्ट में तनाव की स्थिति और हथियारों को लेकर देशों के बीच होड़ बढ़ गई है।

हिंद प्रशांत क्षेत्र की शक्तियों में आ रहा बदलाव
एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का मुद्दा भी उठाया। एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र की शक्तियों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीते एक दशक में चीन के साथ हमारा अनुभव ऐसा नहीं रहा कि जिससे यह कहा जा सके कि चीजों को स्थिर बनाने की कोशिश हुई है। दो देशों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हो सकता है, हालांकि जब कोई देश अपने ही पड़ोसी देश के साथ किए गए लिखित समझौतों को मानने से इनकार करने लगे तो उसकी मानसिकता पर सवाल खड़े होते हैं।

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