पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार: राष्ट्रपति मुर्मू, ट्रम्प सहित 170 देशों के प्रतिनिधि अंतिम यात्रा में होंगे शामिल

Pope Francis Funeral: ईसाई कैथोलिक धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का आज शनिवार (26 अप्रैल) को अंतिम संस्कार होगा। वेटिकन के सेंट पीटर्स स्क्वायर में सुबह 10 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक अंतिम संस्कार की रस्में होंगी। इसके बाद वेटिकन के बाहर पोप के शव को दफनाया जाएगा। अंतिम संस्कार में 2 लाख श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद है। पोप की अंतिम यात्रा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलेई सहित 170 देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
21 को हुआ था निधन
बता दें कि 21 अप्रैल को 88 साल की उम्र में बीमारियों के चलते पोप का निधन हुआ था। तीन दिन से पोप के पार्थिव शरीर को ताबूत में अंतिम दर्शन के लिए सेंट पीटर्स बेसिलिका में रखा है। पोप के अंतिम दर्शन के लिए लंबी कतारें लगी रहीं। तीन दिनों में करीब डेढ़ लाख लोगों ने अंतिम दर्शन किए।
कड़ी सुरक्षा के बीच अंतिम संस्कार
पोप के अंतिम संस्कार में कड़ी सिक्योरिटी तैनात की गई है। हजारों इटैलियन पुलिस, मिलिट्री और वेटिकन के स्विस गार्ड तैनात हैं। सैनिकों के पास बंदूकें हैं। इमारतों की छतों पर स्नाइपर्स और फाइटर जेट्स को स्टैंडबाई पर रखा गया है। सेंट पीटर्स बेसिलिका के अंदर और बाहर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेड्स पहले ही लगाए जा चुके हैं और सिक्योरिटी चेक बढ़ा दिए गए हैं।
एक महीने से ज्यादा अस्पताल में रहे भर्ती
पोप फ्रांसिस कई महीनों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। 14 फरवरी को रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया था। पोप फेफड़ों में इन्फेक्शन के चलते अस्पताल में भर्ती थे। डबल निमोनिया भी था। अस्पताल में चिकित्सकों की निगरानी में उनका चला था। एक महीने से ज्यादा समय अस्पताल में बिताने के बाद 14 मार्च को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया था। सोमवार(21 अप्रैल) को वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली।
फ्लोरेंस में हुआ था जन्म
- पोप का जन्म 17 दिसम्बर 1936 को अर्जेंटीना के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। पोप बनने से उन्हें जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो नाम से जाना जाता था। पोप फ्रांसिस के दादा-दादी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी से बचने के लिए इटली छोड़कर अर्जेंटीना चले गए थे। पोप ने अपना ज्यादातर जीवन अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में बिताया है।
- 21 साल की उम्र में 1958 में जेसुइट समुदाय में शामिल हुए। 1969 में ब्यूनस आयर्स में पादरी बने। 1998 में ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप बने। 2001 में पोप जॉन पॉल ने फ्रांसिस को कार्डिनल बनाया। 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप चुने गए।
पोप फ्रांसिस का अंतिम संदेश
पोप फ्रांसिस ने अपने आखिर संदेश में जरूरतमंदों की मदद करने, भूखों को खाना देने और विकास को बढ़ावा देने वाली पहलों को प्रोत्साहित करने की अपील की थी। ईस्टर पर जारी अपने संदेश में उन्होंने लिखा-'मैं हमारी दुनिया में राजनीतिक जिम्मेदारी के पदों पर बैठे सभी लोगों से अपील करता हूं कि वे डर के आगे न झुकें। डर दूसरों से अलगाव की ओर ले जाता है। सभी जरूरतमंदों की मदद करने, भूख से लड़ने और विकास को बढ़ावा देने वाली पहलों को प्रोत्साहित करने के लिए उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करें।
