Sambhal Violence: संभल में हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करेगा न्यायिक आयोग, इन चार बिंदुओं पर रहेगी नजर

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संभल में हिंसा प्रभावित इलाकों का करेगा दौरा करेगा न्यायिक आयोग।
Sambhal Violence: आयोग के अध्यक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के रिटायर्ड जज देवेंद्र अरोड़ा हैं। न्यायिक जांच आयोग चार बिंदुओं पर संभल मामले की जांच करेगा।

Sambhal Violence: यूपी के संभल में मस्जिद सर्वे के बाद हुई हिंसा की जांच के अब न्यायिक आयोग करेगा। न्यायिक आयोग की टीम सोमवार (2 दिसंबर) को संभल पहुंचेगी। आयोग के अधिकारी स्थानीय कमिश्नर आंजनेय सिंह के साथ इस मामले को लेकर बैठक करेंगे।

इस न्यायिक आयोग के अध्यक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज देवेंद्र अरोड़ा हैं। रिटायर्ड आईएएस अमित मोहन प्रसाद और रिटायर्ड आईपीएस ए के जैन को इस आयोग का सदस्य बनाया गया है। आयोग दो महीने में मामले की रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा।

किन बिंदुओं को लेकर होगी जांच?
आयोग हिंसा की जांच के लिए कुछ बिंदु तय करेगा, जिनके आधार पर जांच आगे बढ़ेगी। इसमें कुछ बिंदु होंगे कि हिंसा अचानक हुई या सुनियोजित थी? पुलिस प्रशासन ने कानून-व्यवस्था के लिए क्या प्रबंध किए थे? किन कारणों, हालातों में संभल में हिंसा घटित हुई? ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भविष्य में क्या इंतजाम किए जा सकते हैं?

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अखिलेश यादव ने घटना को लेकर उठाया था सवाल
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने संभल में हुई हिंसा को लेकर मीडिया से बातचीत में सरकार पर निशाना साधा था और कई सवाल खड़े किए थे। आखिलेश ने घटना के लिए राज्य सरकार और स्थायनीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया था। अखिलेश ने कहा कि संभल में कुछ हुआ वह पहले से नियोजित लगता है। अखिलेश ने प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग तक कर डाली थी।

संवेदनशील इलाकों में पुलिस तैनात
संभल के हालात को देखते हुए संवेदनशील स्थानों पर पुलिस सुरक्षा बढ़ा दी गई है। यहां पर हर आने-जाने वाले परल नजर रखी जा रही है। किसी भी प्रकार की संदिग्ध गतिविधि दिखने पर पुलिस फौरन कार्रवाई कर रही है। सरकाीर की ओर से स्पष्ट निर्देश है कि अगर कहीं भी किसी भी प्रकार की संदिग्ध स्थिति देखने को मिले, तो फौरन कार्रवाई की जाए।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कोर्ट में क्या कहा?
वहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति देने वाली अदालत में अपना जवाब दाखिल किया है। इसमें एएसआई ने मुगलकालीन मस्जिद को संरक्षित विरासत संरचना बताते हुए उसका नियंत्रण और प्रबंधन सौंपने का अनुरोध किया है।

एएसआई का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शर्मा ने कहा कि शुक्रवार को एएसआई ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है। जवाब में कहा गया है कि स्थल का सर्वेक्षण करने में उसे मस्जिद की प्रबंधन समिति और स्थानीय निवासियों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था।

जवाब में 19 जनवरी 2018 की एक घटना का भी जिक्र किया है जब मस्जिद की सीढ़ियों पर मनमाने तरीके से स्टील की रेलिंग लगाने के लिए मस्जिद की प्रबंधन समिति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। शर्मा ने कहा कि साल 1920 से एएसआई के संरक्षित स्थल के रूप में अधिसूचित शाही जामा मस्जिद एएसआई के अधिकार क्षेत्र में है इसलिए एएसआई के नियमों का पालन करते हुए लोगों को मस्जिद में दाखिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए।

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