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FIR on Swami Prasad Maurya: पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया पोस्ट में नागरिकता संधोशन कानून (CAA) को दलित, आदिवासी और गरीब मजलूमों को नागरिकता से वंचित करने वाला बताया है। 

FIR on Swami Prasad Maurya: उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया है। उन पर यह कार्रवाई नागरिकता संधोशन कानून (सीएए) पर की गई टिप्पणी को लेकर की गई है। पूर्व मंत्री के सोशल मीडिया एकाउंट्स से किए गए पोस्ट में CAA को लेकर भ्रामक जानकारी साझा की गई थी। मांची पुलिस ने आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू की है। 

बताया कि बाराडाड़ गांव निवासी बिंदु खरवार ने 12 मार्च को माची थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। बिंदु ने बताया कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर सोशल मीडिया पर गलत टिप्पणी कर रहे हैं। उन्होंने इसे लेकर आदिवासी जनजातीय और घुमंतू जनजातियों, दलितों, पिछड़ों, गरीबों, वंचितों, अल्पसंख्यकों को नागरिकता से वंचित करने वाला कानून बताया है। जबकि, नागरिकता संसोधन कानून में ऐसा कुछ नहीं है। उसमें तीन पड़ोसी राष्ट्रों के अल्पसंख्य शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। 

भावनाएं भड़काने और नफरती बयानबाजी का आरोप 
सदर सीओ संजीव कटियार ने बताया, तहरीर के आधार पर पूर्व मंत्री मौर्य के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने और नफरती बयानबाजी के लिए केस दर्ज किया है। फिलहाल, सभी पहलुओं पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी।

कौन हैं स्वामी प्रसाद मौर्य 
स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा और भाजपा की सरकारों में मंत्री रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले वह भाजपा छोड़कर सपा में आ गए। पार्टी ने विधान परिषद चुनाव जिताकर सदन में भेजा, लेकिन लगातार बयानबाजी के चलते दूरी बना ली। वह सरकार के निर्णय और सनातन परंपराओं पर अक्सर सवाल करते रहते हैं। गत वर्ष रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों की हटाने की मांग कर वह चर्चा में बने रहे। उनके इसी बयान को लेकर समाजवादी पार्टी ने किनारा कर लिया। जिसके बाद वह अपनी नई राजनीतिक पार्टी गठित कर मुद्दों पर मुखर यानबाजी करते रहते हैं।  

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