MP NEWS: आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधा बेहाल, आधुनिक चिकित्सा के दौर में भी मिर्च पाउडर से ठीक कर रहे जख्म

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शरीर के घाव पर मिर्च पाउडर
MP NEWS: आधुनिक चिकित्सा के दौर में भारत में बड़ी-बड़ी बीमारियों का इलाज सुगमता से किया जा रहा है, लेकिन बालाघाट के आदिवासी इलाकों में लोग शरीर पर लगे जख्मों का इलाज खुद से मिर्च पाउडर से करने को मजबूर हैं।

MP NEWS (राहुल टेंभरे): आधुनिकता के इस दौर में जहां बड़ी-बड़ी बीमारियों का इलाज आसानी से संभव हो गया है। वहीं बालाघाट जिले के आदिवासी इलाकों में लोग अपने शरीर पर लगे जख्मों का इलाज मिर्च-पाउडर से करते हुए देखे जा सकते हैं। शरीर पर हुए घाव पर मिर्च का पाउडर लगाना कितना असहनीय होता है, इसकी कल्पना की जा सकती है।

घरेलू नुस्खा
बालाघाट जिले के आदिवासी क्षेत्र में बैगा परिवार के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी शरीर पर होने वाले जख्मों, बुखार और अन्य बीमारियों के होने पर घरेलू नुस्खा अपनाते हुए अक्सर देखे जाते हैं। अज्ञानता के अभाव में इन परिवारों के लोग अक्सर अपने दादी-नानी के नुस्खे को अपनाते हुए अपना इलाज खुद से ही करते हैं।

दर्द के बारे में
आदिवासी क्षेत्र के सुकलदंड की रहने वाली बुजुर्ग महिला अपने पैर पर हुए घाव पर अपने ही हाथों से मिर्च पाउडर लगाती दिखी। महिला से जब मिर्च लगाने और शरीर में होने वाले दर्द के बारे में पूछा गया तो उसने आसानी से जवाब दिया कि शरीर पर हुए घाव पर मिर्च पाउडर लगाने से घाव में पानी नहीं भरता और वह जल्द ठीक भी हो जाता है। हालांकि, महिला ने यह स्वीकार किया कि घाव पर मिर्च का पाउडर लगाने से जलन बहुत ज्यादा होती है।

स्वास्थ सेवा का अभाव
बुजुर्ग महिला ने बताया कि रिश्तेदार के यहां शादी में शामिल होने ऑटो से जा रही थी। तभी ऑटो में बैठते वक्त वह गिर गई, जिससे उनके पांव में घाव हो गया था। आदिवासी क्षेत्रों में बसे लोगों का नुस्खा यह बताता है कि उनके गांव व आसपास के क्षेत्र में स्वास्थ सेवा का अभाव है। ऐसा भी कहा जा सकता है कि आदिवासी लोगों में जागरूकता का भी अभाव है।

प्राथमिकता दी जाती है
देश और प्रदेश के सभी नागरिकों के लिए खासतौर पर आदिवासी समाज के लिए शासन-प्रशासन के द्वारा कई ऐसी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। जिनमें उनके लिए ध्यान देते हुए प्राथमिकता भी दी जाती है। इसके बावजूद भी लोग पुराने नुस्खे को अपनाते हुए अपना इलाज कर रहे हैं, जोकि बहुत ही घातक साबित हो सकता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रदेश के दूर-दराज इलाकों में जागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। जिससे कि लोग अपने ऊपर ले रहे जोखिम से बच सकें और अपना इलाज ठीक ढंग से करा सकें।

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