Success Story: ऑटो चालक की बेटी और सब्जी वाले के बेटे ने रचा इतिहास, MPPSC की टॉपर दीपिका ने बताए सफलता के मंत्र 

Success Story of MPPSC topper
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सक्सेस स्टोरी: ऑटो चालक की बेटी और सब्जी वाले के बेटे ने रचा इतिहास, MPPSC की टॉपर दीपिका ने बताए सफलता के मंत्र
MPPSC toppers Story:मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग 2022 की परीक्षा में लड़कियों ने बाजी मारी। 10 में से 6 टॉपर लड़कियां हैं। प्रथम रैंक हासिल करने वाली देवास की दीपिका पाटीदार ने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी रहे युवाओं को जरूरी टिप्स दिए हैं।

MPPSC toppers Success Story: मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने शुक्रवार (18 जनवरी) को एमपीपीएससी परीक्षा 2022 का फाइनल रिजल्ट जारी किया है। देवास की दीपिका पाटीदार टॉपर हैं। रीवा में ऑटो चालक की बेटी आयशा अंसारी डिप्टी कलेक्टर और भोपाल में सब्जी वाले के बेटे आशीष चौहान ने असिस्टेंट डायरेक्टर बनकर परिवार का नाम रोशन किया। सभी ने सफलता की कहानी साझा करते हुए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं को जरूरी टिप्स दिए।

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की इस परीक्षा में लड़कियों ने बाजी मारी है। 10 टॉपर्स में 6 लड़कियों ने बाजी मारी है। देवास की दीपिका पाटीदार प्रथम रैंक हासिल हुई है। उन्होंने हरिभूमि ने खास बातचीत में सफलता की कहानी बताई। कहा, यह मेरा 5वां अटेम्प्ट था। मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मध्य प्रदेश टॉप कर पाई।

दीपिका पाटीदार ने बताए सफलता के राज

  • एमपीपीएससी की टॉपर दीपिका पाटीदार ने बताया, मैं छोटे से शहर देवास की रहने वाली हूं। इसिलए पीएससी टॉप करने का सफर उतना आसान नहीं था। मैं पूरी तरह समर्पित होकर प्रतिदिन 10-12 घंटे पढ़ती थी। सोशल मीडिया से दूरी बना ली। तैयारी के लिए जरूर मोबाइल का उपयोग करती थी, लेकिन टाइम पास नहीं किया।
  • दीपिका पाटीदार ने अपनी सफलता का श्रेय फ्रेंड, परिवार और शिक्षकों दिया। कहा, पढ़ाई के वक्त जब भी निराश होते थे, इन लोगों ने मोटिवेट किया। उनके सहयोग के बिना यहां तक पहुंचना मुश्किल था।
  • प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले युवाओं को सुझाव दिया कि निरंतर प्रयास करते रहें, सफलता जरूर मिलेगी। मैंने चार बार असफल होने पर भी भरोसा नहीं छोड़ा। लगातार प्रयास करती रही और एमपी टॉप कर पाई। तैयारी के दौरान कई बार निराशा होती है, इसलिए थोड़ा मनोरंजन और मोटिवेशन भी जरूरी है।

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बिना कोचिंग डिप्टी कलेक्टर बनीं रीवा की आयशा अंसारी

  • एमपीपीएससी 2022 की परीक्षा में 12वीं रैंक हासिल करने वाली रीवा की आयशा अंसारी ने बताया कि मेरे पिता ऑटो ड्राइवर हैं। वह चाहते थे कि परिवार में कोई बड़ा अधिकारी बने। मैंने उनका सपना पूरा करने का संकल्प लिया और कठिन मेहनत कर डिप्टी कलेक्टर बन गई। मेरी इस सफलता में माता-पिता और दोस्तों का बड़ा योगदान है।
  • आयशा ने रीवा के निजी स्कूल से शुरुआती शिक्षा प्राप्त करने के बाद आदर्श महाविद्यालय से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी शुरू की। उन्होंने बिना किसी कोचिंग यानी सेल्फ स्टडी कर पीएससी क्रेक किया है। बताया कि माता पिता ने कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद कभी कोई कमी महसूस नहीं होने दी।

रमशा अंसारी बनेंगी डीएसपी, ऐसे क्रेक किया MPPSC

  • भोपाल की रमशा अंसारी डीएसपी बनीं हैं। उन्होंने बताया कि यह मेरा चौथा अटेम्प्ट था। इसके पहले भी दो बार वह इंटरव्यू तक पहुंच चुकी हैं। 2021 का रिजल्ट आना शेष है। रमशा पिछले 6 साल से तैयारी कर रही थीं। बताया कि इस दौरान जीवन में कई उतार चढ़ाव आए, लेकिन मैंने पढ़ाई जारी रखी। कई बार निराशा भी हुई, लेकिन मैंने अपना फोकस और लक्ष्य नहीं छोड़ा, लिहाजा आज डीएसपी बनने जा रही हूं।
  • रमशा अंसारी ने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं से कहा, पढ़ाई जितनी भी करो, सीरियस होकर करो। मैं रोज 8 से 10 घंटे पढ़ती थी। यूट्यूब से से डाउट्स दूर किए। लेकिन इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म से दूर रही। पापा कृषि विभाग के रिटायर्ड ऑफिसर और मां हाउसवाइफ हैं। इसलिए परिवार का अच्छा सपोर्ट मिला। दोस्तों ने भी काफी हेल्प की है।

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आशीष सिंह चौहान: पिता लगाते हैं सब्जी का ठेला, बेटा बनेगा असिस्टेंट डायरेक्टर

  • MPPSC परीक्षा में भोपाल के आशीष सिंह चौहान को 841 अंक मिले हैं। वह शिक्षा विभाग में असिस्टेंट डायरेक्टर बनेंगे। आशीष बेहद सामान्य परिवार से हैं। उनके पिता अजब सिंह बैरागढ़ (भोपाल) में सब्जी का ठेला लगाते हैं। मां गृहणी और भाई साड़ी की दुकान में बैठते हैं। हमीदिया कॉलेज से बीए और एमए करने के बाद उन्होंने पीएससी की तैयारी शुरू की। अभी इंदौर से पीएचडी कर रहे हैं।
  • आशीष सिंह चौहान ने बताया कि मैं रोज 8 से 10 घंटे पढ़ाता करता था। एग्जाम के दौरान टाइम देखकर पढ़ाई नहीं की। फैमिली ने बहुत सपोर्ट किया है। 12 साल से हम लोग किराए का कमरा लेकर रह रहे हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, इसके बावजूद परिवार ने पढ़ाई के लिए पूरी तरह छूट दी। कभी किसी काम के लिए नहीं बोला। वह हमेशा मुझे पढ़ाई के लिए प्रेरित करते रहे। आज यह सफलता परिवार और गुरुओं की वजह से ही मिली है।
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