Ratlam Lok Sabha Seat Ground Report: भाजपा के लिए रतलाम सीट में कब्जा बरकरार रखना कठिन, भूरिया दे रहे कड़ी टक्कर

Ratlam Lok Sabha Seat Ground Report
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Ratlam Lok Sabha Seat Ground Report
Ratlam Lok Sabha Seat Ground Report: मध्य प्रदेश के मालवा अंचल की चर्चित रतलाम लोकसभा सीट में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। यहां चौथे चरण यानी 13 मई को मतदान होगा। भाजपा ने अनीता नागर सिंह चौहान और कांग्रेस ने कांतिलाल भूरिया को मैदान में उतारा है।

Ratlam Lok Sabha Seat Ground Report: पहले की झाबुआ और परिसीमन के बाद बनी रतलाम लोकसभा सीट कांग्रेस के आदिवासी चेहरे कांतिलाल भूरिया का गढ़ है। वे यहां से कई चुनाव जीते हैं। भूरिया पिछली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े रिटायर्ड अफसर जीएस डामोर से हार गए थे। भाजपा ने इस बार डामोर का टिकट काट कर प्रदेश सरकार में मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता सिंह को मैदान में उतारा है। मुकाबला कड़ा है। भाजपा के लिए सीट पर कब्जा बरकरार रख पाना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि कांतिलाल की ओर से कड़ी चुनौती मिल रही है। लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले आठ विधानसभा क्षेत्रों में से कहीं भाजपा मजबूत है तो कहीं कांग्रेस का दबदबा है। माहौल और दलगत आधार पर भाजपा भारी दिख रही है तो सामाजिक आधार पर कांग्रेस को बढ़त लेने की खबर है। इसलिए मुकाबला कड़ा और रोचक देखने को मिल रहा है।

रतलाम में भाजपा को तोड़ना पड़ी अपनी परंपरा
रतलाम संभवत: पहला ऐसा लोकसभा क्षेत्र है, जहां से भाजपा ने प्रदेश सरकार के मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता चौहान को टिकट दिया है। नरेंद्र मोदी-अमित शाह के युग में इस तरह परिवार में दो लोगों को टिकट देने की परंपरा नहीं है। पार्टी के कई बड़े नेताओं के बेटे और परिजन टिकट का इंतजार ही कर रहे हैं। नियम तोड़ने की वजह है रतलाम सीट, जो कांग्रेस से ज्यादा कांतिलाल भूरिया का गढ़ है। भाजपा नेतृत्व किसी भी हालत में इस सीट पर कब्जा बरकरार रखना चाहता है। पहले सीट का नाम झाबुआ था लेकिन 2008 में हुए परिसीमन के बाद नाम बदलकर रतलाम कर दिया गया। इसके बाद हुए चार चुनावों में से दो बार कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया जीते और दो बार भाजपा। इनमें से एक बार कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए स्व दिलीप सिंह भूरिया जीते और दूसरी बार 2019 के चुनाव में जीएस डामोर ने जीत दर्ज की। भाजपा ने कांतिलाल भूरिया को हराने वाले डामोर का टिकट ठीक उसी तरह काट दिया जैसे गुना-शिवपुरी में ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराने वाले सांसद केपी सिंह यादव का काटा गया।

कांतिलाल- अनीता के बीच कड़ा मुकाबला
भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही अनीता नागर सिंह चौहान भिलाला आदिवासी हैं जबकि कांतिलाल भूरिया भील आदिवासी। क्षेत्र में भील समाज की तादाद भिलाला से काफी ज्यादा है। इसके अलावा झाबुआ में ईसाई मिशनरियों का काम भी काफी है। दो से ढाई लाख आदिवासी धर्म परिवर्तन कर चुके हैं। इसका सीधा लाभ कांग्रेस के भूरिया को मिलता है। भाजपा प्रत्याशी अनीता के पति सरकार में मंत्री के खिलाफ कुछ एंटी- इंकम्बेंसी भी है। दूसरी तरफ क्षेत्र में संघ का काम भी अच्छा है। रतलाम में विधायक चेतन कश्यप के कारण भाजपा को ताकत मिलती है। लोगों से बातचीत करने पर पता चलता है कि झाबुआ जिले के झाबुआ, थांदला और पेटलावद में कांग्रेस की स्थिति अच्छी है लेकिन पेटलावद कांग्रेस के हाथ से निकल सकता है। रतलाम जिले की तीन सीटों में से सैलाना और रतलाम ग्रामीण में कांग्रेस- भाजपा के बीच अच्छी टक्कर है जबकि रतलाम शहर में भाजपा बढ़त में बताई जाती है। अलीराजपुर जिले के जोबट में कांग्रेस की स्थिति अच्छी है जबकि अलीराजपुर में भाजपा मजबूत दिखती है। कुल मिलाकर रतलाम में भाजपा- कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है।

भाजपा-कांग्रेस लड़ रहे विकास के मुद्दे पर चुनाव
रतलाम चूंकि आदिवासी बाहुल्य सीट है, इसलिए यहां राम मंदिर और हिंदू-मुस्लिम से जुड़े मुद्दों का ज्यादा असर नहीं है। यहां चुनाव का पहला मुद्दा आदिवासी विकास है। भाजपा और कांग्रेस दोनों बता रहे हैं कि उन्होंने इस वर्ग के लिए क्या-क्या किया है। भाजपा की अनीता केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा कराए गए काम गिना रही हैं तो कांतिलाल अपने कार्यकाल में किए कामों का प्रचार कर रहे हैं। शहरी इलाकों में जरूर राम मंदिर, धारा 370, भोजशाला जैसे मुद्दों का असर देखने को मिल रहा है। यही वजह है कि रतलाम शहर और ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा को ज्यादा फायदा होता दिख रहा है। यहां कांग्रेस बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की आय दोगुनी न होने जैसे मुद्दे उठा रही है। कांग्रेस घोषणा पत्र में किए वादों का भी प्रचार कर रही है। भाजपा के पास न मुद्दों की कमी है और नेताओं की। इसलिए उसका प्रचार ज्यादा व्यवस्थित और तेज दिखाई पड़ रहा है।

विधानसभा में कांग्रेस पर भाजपा को मामूली बढ़त
रतलाम लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली 8 विधानसभा सीटों के लिए 4 माह पहले हुए चुनाव में भाजपा को कांग्रेस पर मामूली बढ़त हासिल है। क्षेत्र की तीन विधानसभा सीटें कांग्रेस जीती जबकि भाजपा के खाते में 4 सीटें गई हैं। एक सीट सैलाना में भारत आदिवासी पार्टी ने जीत कर सबको चौंका दिया था। इस तरह विधानसभा में ताकत के लिहाज से भाजपा-कांग्रेस में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। भाजपा ने चार विधानसभा सीटें 1 लाख 4 हजार 402 वोटों के अंतर से जीती हैं जबकि कांग्रेस की तीन सीटों में जीत का अंतर 55 हजार 808 वोट रहा है। सैलाना में भारत आदिवासी पार्टी 4 हजार 618 वोटों के अंतर से जीतने में सफल रही है। लोकसभा चुनाव की दृष्टि से यह अंतर इतना ज्यादा नहीं है कि इसे कवर न किया जा सके। हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने क्षेत्र की 8 में से 5 सीटें जीती थीं और भाजपा सिर्फ 3 में सिमट गई थी। बावजूद इसके 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस नहीं जीत सकी थी।

कांग्रेस की ओर झुका रहा राजनीतिक मिजाज
रतलाम लोकसभा सीट का भौगोलिक एरिया तीन जिलों तक फैला है। ये जिले झाबुआ, रतलाम और अलीराजपुर हैं। लोकसभा क्षेत्र में झाबुआ जिले की तीन विधानसभा सीटें झाबुआ, थांदला, जोबट और रतलाम जिले की भी तीन रतलाम ग्रामीण, रतलाम शहर और सैलाना आती हैं। अलीराजपुर की दो विधानसभा सीटें जोबट और अलीराजपुर भी इसी लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हैं। इनमें से झाबुआ जिले की 2 और अलीराजपुर की एक सीट कांग्रेस के पास हैं जबकि रतलाम जिले की 2 और झाबुआ-अलीराजपुर की एक-एक सीट पर भाजपा का कब्जा है। जहां तक सीट के राजनीतिक मिजाज का सवाल है तो यहां कांग्रेस ज्यादा जीती है। जब सीट का नाम झाबुआ था तब कांग्रेस के दिलीप सिंह भूरिया यहां जीतते थे लेकिन परिसीमन के बाद जब सीट का नाम रतलाम हो गया तब वे भाजपा में चले गए। इसके बाद 2009 के पहले चुनाव में कांतिलाल ने दिलीप सिंह को हरा दिया जबकि 2014 में दिलीप ने कांतिलाल को हरा कर जीत दर्ज की। दिलीप सिंह के निधन के बाद 2015 के उप चुनाव में भाजपा ने उनकी बेटी निर्मला भूरिया को टिकट दिया लेकिन वे कांतिलाल से हार गई।

सामाजिक, जातीय आधार पर होता रहा मतदान
रतलाम लोकसभा सीट के कई हिस्सों में जातीय और सामाजिक आधार पर मतदान होता रहा है। इस बार भी ऐसा हो सकता है। जैसे अनीता नागर सिंह चौहान को आदिवासियों में भिलाला समाज का पूरा वोट मिलेगा और कांतिलाल भूरिया को भील समाज का। इन दोनों समाजों के वोट यहां ज्यादा हैं। झाबुआ जिले में ईसाई मिशनरियों का बड़ा नेटवर्क है। इनके प्रयास से बड़ी तादाद में आदिवासियों ने धर्म परिवर्तन किया है। मिशनरियों के प्रभाव वाले ये धर्मांतरित ईसाई कांग्रेस के पक्ष में वोट करते हैं। क्षेत्र के वैश्य, ब्राह्मण और अन्य सामान्य वर्ग जिनकी तादाद रतलाम जिले में ज्यादा है, उनका झुकाव भाजपा के पक्ष में रहता है। रतलाम के शहरी क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की तादाद भी काफी है, यह कांग्रेस के समर्थन में रहता है। इस तरह रतलाम क्षेत्र में सामाजिक और जातीय आधार पर भी मतदाता बंटे दिखाई पड़ते हैं।

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