इंदौर रेसीडेंसी एरिया: आखिर कहां गायब हो गई 333 एकड़ जमीन? ड्रोन सर्वेक्षण के निष्कर्षों से क्यों परेशान हैं राजस्व अधिकारी

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इंदौर के 250 बिल्डर को नोटिस, हो सकती है कार्रवाई
Indore Residency Area: एडीएम सपना लोवंशी ने बताया कि सर्वेक्षण में 750 एकड़ जमीन मिली है। रेकॉर्ड में दर्ज 1083 एकड़ जमीन से हम निष्कर्षाें का मिलान कर रहे हैं। इतना बड़ा अंतर कैस है, सही कारणों की तलाश की जा रही है।

Indore Residency Area: मध्य प्रदेश के इंदौर में कभी सत्ता का केंद्र रहे रेसीडेंसी एरिया की 333 एकड़ जमीन लापता हो गई। प्रशासन इसे तलाशने के लिए सर्वेक्षण करा रहा है। राजस्व रेकॉर्ड में रेजीडेंसी एरिया के नाम 1,083 एकड़ जमीन है, लेकिन एक सर्वेक्षण में 750 एकड़ जमीन ही मिली है। इंदौर की बेसकीमती जमीनें गायब होने अधिकारी भी हैरान हैं।

एडीएम सपना लोवंशी ने बताया कि सर्वेक्षण में 750 एकड़ जमीन मिली है। सर्वेक्षण अभी पूरा नहीं हुआ। हम रेकॉर्ड में दर्ज 1083 एकड़ जमीन से मिलान कर रहे हैं। निश्चित ही इस अंतर के पीछे कोई न कोई कारण होगा।

सर्वेक्षण के बाद सूची प्रकाशित की जाएगी
एडीएम लोवंशी ने बताया कि प्रशासन निजी और सरकारी संस्थाओं द्वारा दावा किए गए स्वामित्व की सूची प्रकाशित करेगा। ताकि, दावे-आपत्तियां सामने आ आएं। इनके समाधान के बाद रेसीडेंसी क्षेत्र के भू-स्वामियों की अंतिम सूची जारी की जाएगी। नए रिकॉर्ड में उनके नाम, शेयर, जिम्मेदारियां और अधिकार दर्ज किए जाएंगे।

बेसकीमती है इंदौर का रेसीडेंसी एरिया
रेसीडेंसी कोठी मध्य प्रदेश की सत्ता का केंद्र हुआ करता था। ब्रिटिश प्रशासक यहां से धार, झाबुआ मंदसौर और भोपाल-ग्वालियर एस्टेट के राज्यों को संभालते थे। कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार, यहां जमीन की दर 80,000 रुपए प्रति वर्गमीटर है। जबकि, बाजार दर इससे कई गुना है।

यूं सामने आई गड़बड़ी
इंदौर जिला प्रशासन ने फरवरी 2024 में रेसीडेंसी कोठी सहित अन्य ऐतिहासिक स्थलों का सर्वेक्षण कराया। ताकि, भू-अधिकारों के नए रेकॉर्ड तैयार किए जा सकें। यह इलाका सरकारी व निजी भूमि का मिश्रण है, लेकिन ठीक से दस्तावेजों का रखरखाव न होने के कारण विवाद पैदा हो गए।

ड्रोन सर्वेक्षण में क्या मिला
प्रशासन ने रेसिडेंसी एरिया का नक्शा तैयार करने दो ड्रोन सर्वेक्षण कराए। ज्यादातर जमीन मालिकों ने जरूरी दस्तावेज भी जमा कर दिए, जब अधिकारों ने नए रेकॉर्ड की प्रक्रिया शुरू की तो तमाम खामियां सामने आने लगीं। फाइलों में दर्ज 1,083 एकड़ जमीन का मिलान भी नहीं कर पाए। लगभग 333 एकड़ जमीन कम पड़ रही है। अधिकारी पशापेश में हैं कि 1,083 एकड़ जमीन रेकॉर्ड में गलती थी या फिर संपत्तियां निवास के हिस्से के रूप में पंजीकृत हैं।

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