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भोपाल के भोजपाली बाबा ने 31 साल पहले संकल्प लिया था कि जब तब अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर नहीं बन जाता तब तक वे विवाह नहीं करेंगे। 6 दिसंबर 1992 को लिया गया यह संकल्प अब 22 जनवरी को पूरा होगा।

भोपाल। अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होते ही भोजपाली बाबा का संकल्प पूरा हो जाएगा। बाबा को प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का आमंत्रण मिल चुका है। वे अयोध्या जाने की तैयारी में लगे हैं। भोपाल के रविंद्र गुप्ता भोजपाली बाबा ने 31 साल पहले संकल्प लिया था कि जब तब अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर नहीं बन जाता तब तक वे विवाह नहीं करेंगे। 6 दिसंबर 1992 को लिया गया यह संकल्प अब 22 जनवरी को पूरा होने वाला है।

संकल्प पूरा होने को लेकर बाबा बहुत खुश हैं, लेकिन अब वे विवाह नहीं करेंगे। बाबा का कहना है कि वे अब संन्यासी हो गए हैं। मंदिर बन जाने के बाद श्रीराम की सेवा में जुटे रहेंगे। 

शादी का दबाव डाला तो त्याग दिया घर 
भोजपाली बाबा ने हरिभूमि से खास बातचीत में बताया कि पहले मैं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पुराना भोपाल का संयोजक था। छह दिसंबर 1992 को मैं भी कारसेवा में अयोध्या गया था। उस समय कच्चा मंदिर का निर्माण चल रहा था। तभी मन में भाव आया कि जब तक अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर नहीं बन जाएगा, तब तक विवाह नहीं करूंगा। 31 साल इसी संकल्प में निकल गए।  बाबा ने बताया कि संकल्प लेने के बाद शादी के रिश्ते खूब आए। मैं मना करता रहा। जब माता-पिता और भाई ज्यादा दबाव डालने लगे तो 2004 में मैंने परिवार छोड़ दिया। घर का त्याग करके चला गया। 

घर में शुरू से ही आरएसएस के संस्कार थे
24 जनवरी 1972 को जन्मे भोजपाली बाबा मूलत: लखेरापुरा भोपाल के रहने वाले हैं। अभी बैतूल के मिलानपुर गांव के एक मंदिर में रहते हैं। उन्होंने बताया कि उनके घर में शुरू से ही RSS के संस्कार थे। 1940 में भोपाल में RSS की पहली शाखा शुरू हुई थी। तब उनके दादा स्वर्गीय लखमी चंद्र गुप्ता संघ से जुड़ गए थे। पिता भगवती प्रसाद गुप्ता भी संघ से जुड़े थे। पिता और दादा से ही मुझे आरएसएस के संस्कार मिले। 

मां नर्मदे की परिक्रमा करने के बाद हो गए वैरागी 
बाबा चार भाइयों में वे सबसे छोटे हैं। माता-पिता का निधन हो चुका है। वे पांच बार पैदल मां नर्मदे की परिक्रमा कर चुके हैं। विवाह क्यों नहीं करेंगे यह पूछने पर भोजपाली बाबा ने कहा कि मेरे विवाह कराने की सबसे ज्यादा इच्छा मेरी मां की थी जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। दूसरा कारण यह है कि 10 साल पहले मां नर्मदा मिल गईं। मां नर्मदा की परिक्रमा अगर एक बार भी करते हैं तो आपके अंदर वैराग्य का प्रश्पोटन हो जाता है। मां नर्मदा ने एक बार नहीं पांच बार परिक्रमा करवा दी। इसलिए अब शादी नहीं करूंगा क्योंकि वैरागी हो गया हूं। आगे का पूरा जीवन भगवान राम की सेवा में दूंगा।  

सनातन का प्रचार प्रसार करूंगा 
बाबा ने भोपाल से ही शिक्षा ग्रहण की है। एलएलबी की डिग्री ले चुके हैं। पांच साल भोपाल अदालत में वकालत भी की है। मंदिर बनने के बाद क्या करेंगे यह पूछने पर बाबा ने कहा कि सनातन का एक अच्छा दौर आया है। इसलिए सनातन का प्रचार प्रसार करूंगा और संन्यासी के रूम में भगवान राम की सेवा में जुटा रहूंगा।

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