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मनोहर सरकार वन में पॉवरफुल रहे राव नरबीर सिंह का 2019 में टिकट काटकर भाजपा ने बड़ा झटका दिया था। करीब पांच साल बाद राष्ट्रीय परिषद में स्थान देकर अध्योध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन राजनीतिक वनवास को खत्म कर दिया है। दक्षिणी हरियाणा में राव नरबीर सिंह को राव इंद्रजीत सिंह का विरोधी माना जाता है।

Haryana BJP News। भाजपा ने हरियाणा में सभी 10 लोकसभा सीटों पर राष्ट्रीय परिषद सदस्य, प्रभारी और संयोजकों की नियुक्ति कर लोकसभा चुनाव का बिगुल बजा दिया। जिसमें कई नए चेहरों को स्थान दिया गया है तो कुछ पुराने चेहरों को भी संगठन व चुनाव से जुड़ी जिम्मेदारी दी है। जिनमें 2019 के विधानसभा चुनावों में टिकट कटने से राजनीतिक वनवास झेल रहे पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह को राष्ट्रीय परिषद में लेकर भाजपा नेतृत्व ने एक बार फिर सभी को चौका दिया है। दक्षिणी हरियाणा में राव नरबीर सिंह को केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का सबसे बड़ा विरोधी माना जाता है। राव नरबीर सिंह पहली बार 1987 में जाटूसाना से विधायक बने तथा मात्र 25 साल की उम्र में मंत्री बनकर प्रदेश के सबसे छोटी उम्र के मंत्री होने का गौरव प्राप्त किया।

दोनों घरानों का पुराना राजनीतिक इतिहास

संयुक्त पंजाब के समय से दक्षिणी हरियाणा की राजनीति में रामपुरा हाउस व बूढ़पुर हाउस का दबदबा रहा है। स्वतंत्रता सेनानी राव तुलाराम की विरासत रामपुरा हाउस की अगुवाई राव वीरेंद्र सिंह व बूढपुर हाउस की अगुवाई राव मोहर सिंह करते थे। राव मोहर सिंह के बाद बूढपुर की विरासत को राव नरबीर सिंह ने आगे बढ़ाया। जबकि रामपुरा हाउस की विरासत को आगे बढ़ाने के अगवा राव इंद्रजीत सिंह कर रहे हैं। राव नरबीर सिंह ने रामपुरा हाउस को पहली बार 1986 में जाटुसाना विधानसभा में ताल ठोंककर चुनौती दी थी, जिसके बाद से दोनों परिवारों में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा चली आ रही है। मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में पॉवरफुल मंत्री व मुख्यमंत्री का जनदीकी होते हुए भी राव नरबीर सिंह विधानसभा टिकट पाने में नाकाम रहे थे। जिसके लिए राव नरबीर समर्थक केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को जिम्मेदार मानते हैं। विधानसभा टिकट कटने के बाद चुनावी रेस से बाहर हुए राव नरबीर सिंह इसके बाद से राजनीतिक रूप से क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय नहीं दिखे, परंतु अन्य गतिविधियों के माध्यम से अपनी सक्रियता बनाए रखी। 22 जनवरी को अध्योध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन भाजपा ने लोकसभा चुनावों से ठीक पहले राव नरबीर सिंह को राष्ट्रीय कार्यसमिति में शामिल कर करीब साढ़े चार साल के राजनीतिक वनवास को खत्म कर दिया। ऐसे में अब देखना होगा कि नई भूमिका मिलने के बाद राव नरबीर सिंह 2024 में होने वाले लोकसभा व विधानसभा चुनावों में कितना भूना पाते हैं।

सरपंच से विधानसभा तक का सफर

राव नरबीर सिंह 1983 में गांव के सरपंच बने। 1986 में जाटूसाना से विधायक चुने गए तथा प्रदेश के सबसे कम उम्र के मंत्री बने। 1996 में सोहना से विधायक चुने गए तथा प्रदेश सरकार में मंत्री बने। 2009 में गुरुग्राम से लोकसभा चुनाव लड़ा, परंतु जीत नहीं पाए। 2014 में बादशाहपुर से विधायक चुने गए तथा मनोहर सरकार पार्ट वन में मंत्री बने। इससे पहले 1982 में गुरुग्राम केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक, 1983 में गांव के सरपंच व 1984 में सोहना मार्केट कमेटी चेयरमैन रहे।

भाजपा ने किसे दी क्या जिम्मेदारी

22 जनवरी को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने 10 लोकसभा प्रभारी, राष्ट्रीय परिषद सदस्य व संयोजकों के साथ विभिन्न प्रकोष्ठों के प्रभारी व सह प्रभारी भी नियुक्त किए।

राष्ट्रीय परिषद सदस्य 

अंबाला से पूर्व सांसद रत्न लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया, गुरुग्राम से राव नरबीर सिंह, कुरूक्षेत्र से कृष्ण बेदी, भिवानी से शंकर धूपड़, यमुनानगर से संगीता सिंघला, फरीदाबाद से संदीप जोशी, रोहतक से प्रदीप जैन, सिरसा से विजयपाल, हिसार से रवि सैनी को जगह दी गई है।

लोकसभा प्रभारी व संयोजक 

अंबाला लोकसभा के डॉ. पवन सैनी प्रभारी व विधायक असीम गोयल संयोजक, करनाल लोकसभा के घनश्याम दास अरोड़ा प्रभारी व हरविंद्र कल्याण संयोजक, सोनीपत लोकसभा के महिपाल ढांडा प्रभारी व जवाहर सैनी संयोजक, गुरुग्राम लोकसभा अजय गौड़ प्रभारी व मनीष मित्तल संयोजक, फरीदाबाद लोकसभा के जीएल शर्मा प्रभारी व दीपक मंगला संयोजक, भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा के लक्ष्मण सिंह यादव प्रभारी  व शंकर धुपड़ संयोजक, रोहतक लोकसभा के राजीव जैन प्रभारी व सतीश नांदल संयोजक, हिसार लोकसभा के सुभाष बराला प्रभारी व रवि सैनी संयोजक, सिरसा लोकसभा के डॉ. कमल गुप्ता प्रभारी व आदित्य चौटाला को संयोजक बनाया गया है। 
 

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