हरियाणा MBBS घोटाले में नया खुलासा: प्राइवेट कॉलेज के छात्र भी रैकेट में शामिल, इस तरह स्टूडेंट्स को बनाते थे शिकार

Haryana MBBS Exam Scam
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प्रतीकात्मक तस्वीर।
Haryana MBBS Scam: पीजीआईएमएस के एमबीबीएस एग्जाम घोटाले की जांच के दौरान रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं। इसी कड़ी में चौंकाने वाला ताजा खुलासा हुआ है। पढ़िये ये रिपोर्ट...

Haryana MBBS Exam Scam: हरियाणा में रोहतक के पंडित भगवत दयाल शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज में एमबीबीएस एनुअल और सप्लीमेंट्री एग्जाम घोटाले में बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और छात्रों द्वार मिलकर चलाए जा रहे भ्रष्टाचार का एक नेटवर्क सामने आया है। इस एग्जाम घोटाले से परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता कमजोर होने के साथ-साथ रैकेट में शामिल छात्रों का भी पर्दाफाश किया है, जो कि एजेंट की तरह काम करते थे।

बता दें कि एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के कई छात्र बिचौलियों की तरह काम करते थे और अपने साथ पढ़ने वाले बच्चों से पैसे ऐंठते थे। इसके बदले में वे उन्हें फेल हुए सब्जेक्ट्स में पास करवाते थे। रैकेट में काम कर रहे इन छात्रों को हर एक लेनदेन के लिए कमीशन मिलता था।

फेल हुए छात्रों को बनाते थे शिकार

इस मामले की जांच कर रहे दल के सूत्रों ने बताया कि शुरुआत में ये एजेंट छात्र उन बच्चों को टारगेट करते थे, जो एग्जाम में फेल हो जाते थे। ऐसे छात्रों से संपर्क करके उन्हें अगली परीक्षा में पास कराने का आश्वासन देते थे। एक बार जो छात्र एग्जाम में पास हो जाते थे, तो वह भी रैकेट में शामिल हो जाते थे और ऐसे बच्चों को शिकार बनाते थे, जो एग्जाम में फेल हो रहे थे। ये आरोपी छात्र फेल हुए बच्चों को अलगे एग्जाम में पास कराने के लिए पैसे ऐंठते थे।

किस तरह काम करता था ये रैकेट?

जानकारी के मुताबिक, प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में बिचौलियों यानी कि दलालों के दो ग्रुप एक्टिव थे, जो रैकेट चलाने वाले लोगों से लगातार संपर्क में रहते थे। इन एजेंट छात्रों को रैकेट की ओर से आने वाले एग्जाम को लेकर गुप्त जानकारी मिलती थी, जिससे कि वे अन्य छात्रों का विश्वास जीतकर उन्हें अपने जाल में फंसा पाएं। सूत्रों के मुताबिक, इस तरह से बिचौलियों ने छात्रों के मन में अपने लिए विश्वसनीयता हासिल की।

इस तरह सामने आया घोटाला

यह रैकेट गुप्त तरीके से अपना काम रहा था, लेकिन एक समय पर कुछ छात्र पैसे देने के बाद भी एग्जाम में फेल हो गए, जिसकी वजह से रैकेट के नेटवर्क में टकराव पैदा हो गया। बता दें कि इस घोटाले में छात्रों को एक सब्जेक्ट में पास कराने के लिए 3 लाख से 5 लाख रुपए तक लिए जाते थे। ऐसे में पैसा देने के बाद भी फेल होने वाले छात्रों ने अपने पैसे वापस मांगने शुरू कर दिए। बता दें कि पिछले महीने एक एमबीबीएस छात्र ने यूएचएसआर अधिकारियों के सामने औपचारिक शिकायत दर्ज कराकर घोटाले को उजागर किया। हालांकि बाद में वह मुखबिर बन गया। इस घोटाले में एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें सारी घटना कैद हो गई।

इस वीडियो में साफ दिखाई दे रहा था कि विश्वविद्यालय के एक कर्मचारी की निगरानी में कई छात्र बिस्तर और कुर्सियों पर बैठकर अपनी आंसरशीट दोबारा से लिख ​​रहे हैं। एग्जाम में नकल करने के लिए ये छात्र ऐसी स्याही के पेन का इस्तेमाल करते थे, जिसे आसानी से मिटाया जा सके। इसके बाद बाहर जाकर हेयर ड्रायर के इस्तेमाल से लिखे हुए उत्तर को मिटा देते थे। इसके बाद दोबारा से किताबों से देखकर सही उत्तर लिख देते थे। बाद में आंसरशीट को एग्जाम सेंटर भेज दिया जाता था।

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