नैना का वार: उचाना के नाम पर बीरेंद्र ने भोगी सत्ता, दुष्यंत ने किया विकास, गांवों में पहुंचाया भाखड़ा का नीला पानी

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उचाना में महिलाओं के बीच बैठकर अपनी बात रखती नैना चौटाला।
दुष्यंत ने उचाना के लिए साढ़े चार साल में जितना काम किया, बीरेंद्र सिंह व उनका पूरा परिवार मिलकर पांच दशक में भी उतना काम नहीं कर पाया।

जींद। जननायक जनता पार्टी की उम्मीदवार नैना चौटाला के काफिले पर गत सप्ताह उचाना में किसानों ने हमला कर दिया था। जिसके लिए उन्होंने सीधे तौर पर कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश को जिम्मेदार ठहराया था। हमले के बाद फिर से उचाना पहुंची नैना चौटाला ने अब सीधे पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह व उनके परिवार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि बीरेंद्र सिंह ने हमेशा उचाना के नाम पर सत्ता सुख भोगा है, जबकि उचाना का विकास दुष्यंत ने किया है। क्षेत्र में करोड़ो की विकास परियोजनाएं दुष्यंत के कार्यकाल में आई। जो क्षेत्र के विकास में काफी मददगार साबित होंगी।

घरों में पहुंचाया भाखड़ा का नीला जल

नैना चौटाला ने कहा कि यदि जजपा प्रदेश की सत्ता में भागीदारी नहीं करती तो लोगों से किए वादे कैसे पूरे होते। डिप्टी सीएम बनने के बाद दुष्यंत ने पाइप लाइन बिछाकर 17 गांवों में भाखड़ा का नीला पानी पहुंचाने का रास्ता साफ किया। हर गांव कस्बे को जोड़ने के लिए सड़कें बनाई। पुरानी सड़कों की मरम्मत की। नई सड़कें, जिनमें नेशनल हाइवे भी शामिल है। उचाना शहर में सर्विस लेन, बस अड्डे का नवीनीकरण, प्रदेश का पहला सोलर पैनल विलेज गुरुकुल खेड़ा, गांवों में ई-लाइब्रेरी, फसल खरीद सेंटर, आईटीआई बनाई।

केवल सत्ता सुख भोगा

बीरेंद्र सिंह पिछले पांच दशक से उचाना के नाम पर राजनीति करते आ रहे हैं। राज्य सरकार में एक दशक से अधिक समय तक वित्तमंत्री सहित पॉवरफुल मंत्री रहे और पांच साल तक केंद्र में मंत्री रहे। यहां के लोगों ने उनकी पत्नी को विधानसभा व बेटे को संसद भेजने में अपना अहम योगदान दिया। एक ही परिवार से तीन तीन लोगों को सत्ता का भागीदार बनाने के बाद भी जनता को क्या मिला।

चौधर के नाम पर लोगों को ठगा

खुद बीरेंद्र सिंह करीब पांच दशक से उचाना की चौधर के नाम पर यहां के मतदाताओं को ठगते आ रहे हैं। वहीं काम विधायक बनी उनकी पत्नी व सांसद बने उनके बेटे ने किया। दुष्यंत ने उचाना के लिए साढ़े चार साल में जितना काम किया, बीरेंद्र सिंह व उनका पूरा परिवार मिलकर पांच दशक में भी उतना काम नहीं कर पाया। जिस कारण बीरेंद्र सिंह का परिवार अब जनता का विश्वास खो चुका है।

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