किसानों के समर्थन में आए खाप चौधरी: दाड़न खाप के पालवां चबूतरे पर हुई महापंचायत, जानें क्या लिया निर्णय 

Members present in the Mahapanchayat organized at Dadan Khap Palawan platform
X
दाड़न खाप पालवां चबूतरे पर आयोजित महापंचायत में उपस्थित सदस्य। 
जींद में हुई महापंचायत में खाप चौधरियों ने आंदोलन कर रहे किसान संगठनों को एक मंच पर लाने का निर्णय लिया। इसके लिए 12 सदस्यों की कमेटी इन्हें एकजुट करने का कार्य करेगी।

उचाना/जींद: मांगों को लेकर अलग-अलग कार्यक्रम तय करके आंदोलन कर रहे किसान संगठनों को एक मंच पर लाने के लिए हरियाणा के खाप चौधरी, किसान संगठन आगे आए। सर्व जातीय दाड़न खाप पालवां चबूतरे पर आयोजित महापंचायत में प्रदेश भर से विभिन्न खापों, किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। महापंचायत में सर्वसम्मति से 12 सदस्यों की तालमेल कमेटी बनाई गई, जिसमें अलग-अलग खापों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया। ये तालमेल कमेटी संयुक्त किसान मोर्चा की छह सदस्यों की कमेटी के साथ-साथ जो संगठन संयुक्त किसान मोर्चा से बाहर है, उनसे मिलेगी।

किसान संगठनों को एक मंच पर लाने का खाप करेगी प्रयास

खाप के लोगों ने कहा कि जो संगठन किसानों को लेकर अलग-अलग कार्यक्रम तय करके आंदोलन कर रहे हैं, उन सबसे मिलकर इनमें तालमेल बनाने का काम कमेटी करेगी। 55 खापों के प्रतिनिधि, 25 किसान संगठनों के पदाधिकारी इस महापंचायत में पहुंचे थे। यह महापंचायत तीन घंटे तक चली। इसमें सरकार से मांग की गई कि गिरफ्तार किसानों की जल्द रिहाई, किसानों पर दर्ज केस वापस लिए जाएं। पंजाब के किसान शुभकरण की मौत पर दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धाजंलि दी गई।

तालमेल कमेटी में इनको किया गया शामिल

तालमेल कमेटी में हुड्डा खाप से प्रदीप हुड्डा, देशवाल खाप से संजय देशवाल, सतरोल खाप से सतबीर सिंह डीपीई, किताब सिंह मोर नरवाना, नांदल खाप से ओमप्रकाश, ईश्वर सिंह जाबा, दाड़न खाप से दलबीर श्योकंद, बिनैन खाप से ईश्वर नैन, दलाल खाप से कैप्टन मान सिंह दलाल, सूबे सिंह समैन, कलकल खाप से राजपाल कलकल, देशवाल खाप से संजय को शामिल किया। 12 सदस्यों की तालमेल कमेटी जल्द संयुक्त किसान मोर्चा से बाहर जो किसान संगठन है उनसे मिलेगी। जो किसान संगठन अलग-अलग ऐलान कर आंदोलन करते है, उन्हें एक साथ लाने का काम किया जाएगा।

संगठित होकर लड़नी होगी लड़ाई

वक्ताओं ने कहा कि सरकार तानाशाही कर रही है। किसानों की मांग, मुद्दों को हल नहीं करना चाहती है। किसान की मांगों को सरकार मानने का काम करें। एमएसपी पर गारंटी कानून, कर्ज माफ सहित अन्य जो मांगे है वो पूरी की जाए। सरकार की वादाखिलाफी के चलते ही किसानों को दोबारा से आंदोलन करना पड़ रहा है। सरकार अगर अपने वायदे से नहीं मुकरती तो किसानों को आंदोलन नहीं करना पड़ता। सरकार की मंशा आंदोलन एक राज्य, एक जाति का बनाने की है लेकिन ये आंदोलन पूरे देश के किसानों के लिए है। ये मांगे एक राज्य के किसानों के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए है।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo
Next Story