हरियाणा विधानसभा चुनाव: बीजेपी ने विधायक दुड़ाराम पर जताया भरोसा, रतिया में नापा के विरोध के बावजूद दुग्गल को दिया टिकट

Haryana Assembly Elections:
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दुड़ाराम के आवास पर खुशी का माहौल।
Haryana Assembly Elections: हरियाणा में भाजपा द्वारा जारी की गई प्रत्याशियों की पहली सूची में कई नेता अपनी टिकट बचाने में कामयाब रहे, तो कई नेता इस लिस्ट से बाहर हुए।

Haryana Assembly Elections: हरियाणा में भाजपा द्वारा जारी की गई प्रत्याशियों की पहली सूची में फतेहाबाद से भाजपा विधायक दुड़ाराम अपनी टिकट बचाने में कामयाब रहे। उन्हें भाजपा ने रिपीट किया है, तो वहीं रतिया विधानसभा से विधायक लक्ष्मण नापा की टिकट काट दी गई है। उनके स्थान पर भाजपा ने सिरसा लोकसभा से पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल को चुनाव मैदान में उतार दिया है। इधर दो दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुए जेजेपी के बागी विधायक देवेंद्र बबली भी टिकट लेने में कामयाब रहे। बता दें कि उन्हें टोहाना से बीजेपी ने उम्मीदवार के रूप में उतारा है।

11 सितंबर को भरेंगे नामांकन

टिकट मिलते ही फतेहाबाद में भाजपा विधायक दुड़ाराम के निवास के बाहर समर्थकों का तांता लगना शुरू हो गया। देर रात तक आतिशबाजी और मिठाई बांटने का दौर जारी रहा। अपनी टिकट को लेकर दुड़ाराम शुरू से ही आश्वस्त थे और अब वे दावा कर रहे हैं कि चुनाव भी अवश्य जीतेंगे। उन्होंने टिकट मिलने पर सीएम नायब सैनी नायब सैनी सहित तमाम आला नेताओं से फोन पर बातचीत की और सीएम को 11 सितंबर को फतेहाबाद आने का न्योता भी दिया। विधायक ने बताया कि इसी दिन अपना नामांकन भरेंगे।

दुड़ाराम ने विधायक के लिए अपना पहला चुनाव 2003 में कांग्रेस की टिकट पर फतेहाबाद विधानसभा के लिए उपचुनाव लड़ा था, जो वे हार गए थे। इसके अगले ही साल उन्होंने कांग्रेस के लिए आम चुनाव लड़ा और जीत गए थे। 2009 में वे फिर वे कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़े, लेकिन इस बार वे निर्दलीय उम्मीदवार प्रहलाद गिल्लाखेड़ा के हाथों हार गए थे। 2014 के चुनाव में भी उन्हें हार ही हाथ लगी, उन्हें इनेलो के प्रत्याशी रहे बलवान दौलतपुरिया ने हराया। जबकि 2019 के चुनाव में वे एन मौके पर कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए और टिकट लेकर भाजपा को जीत दिला गए। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी जेजेपी प्रत्याशी रहे डॉ. वीरेंद्र सिवाच को 3342 मतों से हराया था। उन्हें 76 हजार से ज्यादा वोट मिले थे।

बीजेपी ने दिया इनाम

उधर सुनीता दुग्गल ने 2014 में अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में हाथ आजमाया और रतिया सीट से भाजपा की टिकट पर उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। उन्होंने पहले ही चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन किया, हालांकि मात्र 435 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। उन्हें 50 हजार 452 वोट मिले थे। इसके बाद उन्हें भाजपा ने चेयरपर्सन बना दिया। 2019 में उन्हें सिरसा लोकसभा से चुनाव मैदान में उतारा और उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी रहे डॉ.अशोक तंवर को 3 लाख 9 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराकर संसद में प्रवेश किया। 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी टिकट कट गई, लेकिन उन्होंने बगावती तेवर नहीं दिखाए, इसका इनाम अब उन्हें रतिया से प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने दे दिया है।

देवेंद्र बबली ने छोड़ी थी कांग्रेस

टोहाना से देवेंद्र बबली की बात करें तो 2007 के बाद टोहाना में बतौर उद्योगपति व समाजसेवी उन्होंने अपनी सक्रियता बढ़ाई। 2014 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा, सफल तो नहीं हुए, लेकिन हार नहीं मानी और तैयारी जारी रखी। यही कारण रहा कि 2019 में कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने के बावजूद वे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए और एन मौके पर जेजेपी ने उन्हें प्रत्याशी घोषित कर दिया।

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उन्होंने भाजपा के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला को 50 हजार से ज्यादा वोटों से हराकर रिकॉर्ड बना दिया। पंचायत मंत्री भी बने, लेकिन जेजेपी और भाजपा गठबंधन टूटने के बाद उन्होंने जेजेपी से दूरी बनानी शुरू कर दी और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन किया। अब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से टिकट न मिलने के बाद उन्होंने भाजपा ज्वाइन की और टिकट लेने में सफलता हासिल की।

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