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हरियाणा की गुरुग्राम लोकसभा सीट पर भाजपा की चुनावी जनसभा से पार्टी के प्रदेश प्रभारी बिप्लब देब का किनारा करना राव इंद्रजीत के लिए बड़े झटके से कम नहीं है। प्रदेश प्रभारी के आगमन पर भीड़ की ताकत दिखाने के राव के अरमानों पर पानी फिर गया। राव के सारे अरमान धरे रह गए।

नरेन्द्र वत्स, रेवाड़ी: 2013 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए राव इंद्रजीत सिंह की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से दूरी का खामियाजा उन्हें इस लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। क्षेत्रीय भाजपा नेताओं की उनसे पहले ही दूरी बनी हुई है। शनिवार को बावल में आयोजित चुनावी जनसभा से पार्टी के प्रदेश प्रभारी बिप्लब देब का किनारा करना उनके लिए बड़े झटके से कम नहीं है। प्रदेश प्रभारी के आगमन पर भीड़ की ताकत दिखाने के राव के अरमानों पर पानी फिर गया। बिप्लब देब के नहीं आने का दर्द राव इंद्रजीत सिंह की जुबान पर खुलकर छलकता नजर आया। बिप्लब देब के 27 अप्रैल को बावल आगमन की तैयारियां राव इंद्रजीत सिंह ने खुद शुरू कराई और अपने समर्थकों को भारी भीड़ जुटाकर पार्टी हाईकमान को बड़ा संदेश देने का काम करने के निर्देश दिए। लेकिन सारे अरमान धरे रह गए।

जनसभा में नहीं पहुंचा पार्टी का कोई दिग्गज

सूत्रों के अनुसार बीते शुक्रवार को ही बिप्लब देब के आगमन को लेकर संशय की स्थिति पैदा हो गई थी। उनके स्थान पर पूर्व सीएम मनोहरलाल के आगमन की चर्चा शुरू हुई, लेकिन इस जनसभा में पार्टी का कोई भी दिग्गज नेता शरीक नहीं हुआ। चीफ गेस्ट के तौर पर खुद ही राव को जनसभा संबोधित करनी पड़ी। उनके माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखने को मिल रही थी। राव ने मंच से ही भड़ास निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने स्पष्ट किया कि बिप्लब देब का चुनाव खत्म होने के बाद ही उन्होंने उन्हें बावल आने के लिए आमंत्रित कर दिया था। उनका इस जनसभा में नहीं आना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने समर्थकों से यहां तक कह डाला कि भीड़ की पीछे तक की फोटो लेकर प्रदेश प्रभारी के पास भेजकर उन्हें यह बताओ कि उनकी ताकत कम नहीं है।

भीड़ जुटाने में बनवारी लाल नंबर वन

बावल में हुई राव इंद्रजीत सिंह की चुनावी जनसभा में भीड़ जुटाने में कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल नंबर वन साबित हुए। अपने हलके में सफल जनसभा का आयोजन कराना लोकल एमएलए की जिम्मेदारी थी, जिस पर वह पूरी तरह खरा उतरे। भीड़ जुटाने के लिए डॉ. बनवारीलाल की टीम मजबूती के साथ मैदान में थी। उनके साथ-साथ राव के निजी समर्थक भी अपने स्तर पर भीड़ जुटाने की मुहिम में लगे हुए थे।

गृह क्षेत्र में मंडरा रहा बड़ा खतरा

भाजपा के वरिष्ठ और क्षेत्रीय नेताओं से दूरी इस बार राव के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकती है। उनके पास अपने गृह क्षेत्र के रेवाड़ी हलके में पार्टी का कोई सीनियर लीडर साथ नहीं है। इस हलके में ऐसे सिपहसालार भारी मतों के अंतर से जीत के सब्जबाग दिखा रहे हैं, जिनके अपने हाथ वोटों के नाम पर खाली हैं। इस हलके में राव के साथ भीतरघात की आशंका भी सबसे ज्याद बनी हुई है।

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