कैथल के हुडा में ईडी की छापेमारी: 10618 करोड़ के वेट घोटाले का मामला, तत्कालीन सिरसा इटीओ अशोक सुखीजा के निवास पर की पूछताछ 

Vehicles parked outside the house during ED raid in Kaithal.
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कैथल में इडी की रेड के दौरान मकान के बाहर खड़ी गाड़ियां। 
कैथल में 10618 करोड़ के वेट घोटाले में बुधवार को ईडी की टीम द्वारा कैथल के हुडा सेक्टर 19 में रेड की गई। रेड में आधा दर्जन पुलिस व इडी के अधिकारी उपस्थित रहे। 

Kaithal: प्रदेश में 2010 से 2014 तक हुए 10618 करोड़ के वेट घोटाले में बुधवार को ईडी की टीम द्वारा कैथल के हुडा सेक्टर 19 में रेड की गई। बताया जा रहा है कि उस समय जो अधिकारी घोटाले में संलिप्त पाए गए, उनके 14 स्थानों पर रेड की गई थी। इनमें से कैथल निवासी तत्कालीन इटीओ सिरसा अशोक सुखीजा जो वर्तमान में कैथल हुडा 19 पार्ट वन का निवासी है, इडी द्वारा मंगलवार सुबह 06 बजे से लेकर सांय 08 बजे तक उसके निवास पर जांच चलती रही। इसमें आधा दर्जन पुलिस व इडी के अधिकारी उपस्थित रहे।

वेट घोटाला बोगस बिलिंग के आधार पर किया

बता दें कि वेट घोटाला बोगस बिलिंग के आधार पर किया गया था जो पूरे हरियाणा में 10618 तथा सिरसा में 300 करोड़ का पाया गया। इनमें कुल 69 अधिकारियों को लोकायुक्त की जांच में दोषी पाया गया। इनमें से कुछ अधिकारी सेवानिवृत हो चुके हैं तथा उनके खिलाफ जांच कार्यवाही जारी है। इसमें सतबीर राविश निवासी किछाना द्वारा लोकायुक्त में शिकायत की थी। इस पर लोकायुक्त द्वारा आइपीएस श्रीकांत जाधव की अध्यक्षता में 15 सदयीय कमेटी का गठन किया। इसके साथ ही मामले में रघुबीर सिंह निवासी नीमवाला भी शिकायतकर्ता हैं। उन्हें 2007 में जानकारी मिली कि आबकारी एवं कराधान विभाग में बड़े स्तर पर घोटाला हो रहा है। इसके बाद उन्होंने शिकायत दी।

2016 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में डाला गया केस

शिकायतकर्ता की शिकायत पर 2011 के बाद तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद 2016 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में केस गया। उनके केस की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप रापड़िया कर रहे हैं। मंगलवार को केस में सुनवाई थी, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। हालांकि उनके अधिवक्ता ने एक शपथ पत्र दिया। इसके बाद उन्हें जानकारी मिली कि सिरसा में नौ जगह पर ईडी ने दबिश दी। इसके साथ ही कैथल में ईडी जांच करने के लिए पहुंची है। रघुबीर सिंह ने बताया कि इस मामले में 69 अधिकारी आरोपी हैं। सरकार में उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई और न ही कोई कार्रवाई की गई। उन्हें कई बार मुख्यमंत्री आवास पर तो बुलाया गया, लेकिन केवल आश्वासन मिला।

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