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Delhi lok sabha election 2024: देश की राजधानी दिल्ली की उत्तर पूर्व दिल्ली लोकसभा सीट अस्तित्व में आने के बाद से सुर्खियों में रहती है। इसका मुख्य कारण यहां से राजनीतिक दलों की ओर से कद्दावर नेताओं को चुनाव लड़ाया जाना है। इस बार भी यह सीट खास चर्चा में बनी हुई है।

North East Delhi Lok Sabha Seat: देश की राजधानी दिल्ली की सात लोकसभा सीट के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने  उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से सांसद मनोज तिवारी को छोड़कर सभी मौजूदा सांसद का टिकट काट दिया है। मनोज तिवारी को तीसरी बार उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाए जानें पर यह सीट काफी चर्चा में है। ऐसे में सबके जहन में अब यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इस सीट का इतिहास क्या है, मनोज तिवारी से पहले इस सीट पर कौन सांसद रहा है। तो चलिए इन सभी सवालों का जवाब जानते हैं...

उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट का इतिहास

जानकारी के मुताबिक 2002 में गठित भारत के परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद 2008 में उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र अस्तित्व में आया। इस संसदीय क्षेत्र में बुराड़ी, सीलमपुर, करावल नगर, रोहतास नगर समेत 10 विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है। 2009 में यहां पहली बार लोकसभा  के लिए मतदान हुआ। जिसमें  कांग्रेस के प्रत्याशी जयप्रकाश अग्रवाल ने इस सीट पर जीत दर्ज की। उन्होंने 3 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी। बीजेपी के बीएल शर्मा को उन्होंने हराया था। इसके बाद 2014 के चुनाव में बीजेपी ने यहां से मनोज तिवारी को उतारा।  

2014 से बीजेपी का है दबदबा

इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव से यह सीट बीजेपी के कब्जे में है। यहां से मनोज तिवारी मोदी लहर में साल 2014 में सांसद बने। इसके बाद 2019 में भी पार्टी ने मनोज तिवारी पर दोबारा दांव लगाया, इस बार भी मनोज तिवारी जीत हासिल करते हुए कांग्रेस की दिग्गज नेता और दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित को शिकस्त देते हुए दूसरी बार जीत दर्ज की थी। मनोज तिवारी को 7,85,262 वोट मिले थे, जबकि शीला दीक्षित के खाते में 4,21,293 वोट आए थे। अब पार्टी ने तीसरी बार भी मनोज तिवारी को लोकसभा का टिकट दिया है। हालांकि, अब देखना होगा कि वे हैट्रिक लगाने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं।

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इस बार होगा दिलचस्प मुकाबला

मालूम हो कि कांग्रेस ने अभी अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है। उम्मीद जताई जा रही है कि कांग्रेस इस बार भी किसी कद्दावर नेता को टिकट देगी। बता दें कि दिल्ली में आप और कांग्रेस का गठबंधन हैं। दिल्ली की सात सीटों पर दोनों दल 4:3 के फार्मूले पर चुनाव मैदान में हैं। इसके तहत उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट कांग्रेस के हिस्से में गई है। इस बार क्षेत्र में इस बार भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा। 2011 की जनगणना के मुताबिक, उत्तर पूर्वी दिल्ली में करीब 23 लाख लोग रहते हैं। यहां पर 17 लाख वोटर्स हैं। इसमें से 9 लाख पुरुष मतदाता और करीब 8 लाख महिला मतदाता हैं।

पूर्वांचल के लोगों का है दबदबा

बता दें कि बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश से आकर बसे पूर्वांचली मतदाताओं की संख्या इस सीट पर काफी ज्यादा है। यानी कहा जा सकता है कि इस सीट पर पूर्वांचल के मतदाताओं का दबदबा है। जानकारी के मुताबिक करीब 28 फीसदी पूर्वांचली मतदाता हैं, जो इस सीट पर निर्णायक भूमिका में रहते है। यही कारण है कि भाजपा पूर्वांचली चेहरे पर लगातार दांव लगाती आ रही है। जिसका लाभ भी बीजेपी को मिलता है। हालांकि, उत्तर पूर्वी दिल्ली के मुस्तफाबाद, बाबरपुर, सीमापुरी और सीलमपुर जैसे इलाकों में मुस्लिम आबादी ज्यादा है। यहां पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 23 फीसदी तक है। 

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