मुंडका सीट पर क्या हैं चुनावी समीकरण: जीत-हार में किसकी कितनी भूमिका, बुनियादी समस्याएं बदल सकती हैं खेल

Mundka Assembly Seat Election Equation
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मुंडका विधानसभा सीट पर चुनावी समीकरण।
Mundka Assembly Seat: मुंडका विधानसभा सीट पर चुनाव दिलचस्प होने वाले हैं। कांग्रेस, भाजपा, आप और निर्दलीय प्रत्याशी एक दूसरे को कड़ी टक्कर देंगे। आइए जानते हैं चुनावी समीकरण...

Mundka Assembly Seat: दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुंडका विधानसभा क्षेत्र अपने आप में ही बेहद खास है। इसके एक तरफ हरियाणा का बॉर्डर है तो दूसरी तरफ दिल्ली के कई ग्रामीण इलाके हैं। इस इलाके में अधिकृत और अनधिकृत कालोनियों में मिलीजुली आबादी रहती है। वैसे तो मुंडका दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा प्रत्याशी प्रवेश वर्मा के पिता साहिब सिंह वर्मा का पुश्तैनी गांव है लेकिन यहां के हालात कुछ खास अच्छे नहीं हैं।

इन इलाकों से घिरा है मुंडका

मुंडका सीट में नांगलोई, मदनपुर डबास, कंझावला, निजामपुर, समेत 20 गांव और सुखबीर नगर, महावीर विहार, राम विहार, जैन नगर समेत लगभग 62 कॉलोनियां हैं। यह विधानसभा क्षेत्र 2008 के परिसीमन के बाद बना और तब से यहां पर चार बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। इस सीट पर आम आदमी पार्टी ने दो बार जीत दर्ज की, एक बार भाजपा और एक बार निर्दलीय उम्मीदवार ने चुनाव जीता। 2011 में हुई जनगणना के अनुसार मुंडका सीट पर 57,590 लोग थे। इसमें 56 फीसदी पुरुष आबादी, 44 फीसदी महिला आबादी थी। वहीं 78 फीसदी साक्षरता थी।

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इलाके में क्या हैं समस्याएं

बता दें कि रोहतक रोड, जो मुंडका की मुख्य सड़क है, वो काफी समय से खराब है। दिल्ली को हरियाणा से जोड़ने वाली ये मुख्य सड़क डैमेज कंडीशन में है। यहां जलभराव और बड़े-बड़े गड्ढों के कारण आए दिन लोगों को जाम जैसी स्थिति देखने को मिलती है। यहां अवैध कॉलोनी के बढ़ते वर्चस्व, सीमित संसाधन और बढ़ती जनसंख्या भी एक बड़ी समस्या है। इन मुद्दों को लेकर काफी राजनीति भी होती रही है लेकिन इसके बावजूद इनका कोई समाधान नहीं हो पाया। इसके अलावा गांव-देहात की सड़क, नाले, पार्क में फैसी गंदगी भी इस बार के चुनावी मुद्दों में काफी चर्चित हैं और ये इस इलाके के लोगों के लिए एक बड़ा मुद्दा है। इसके अलावा राम विहार, मुबारकपुर और जैन नगर जैसे इलाकों में सड़क, नाली और नालों में भरा गंदा पानी और सीवरेज बड़ा मुद्दा हैं। इस गंदे पानी की निकासी न होने के कारण काफी बीमारियां पनपती हैं। इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का भी काफी अभाव है और साथ ही ट्रांसपोर्ट सुविधा का अभाव होना भी एक बड़ा मुद्दा है।

क्या हैं राजनीतिक मिजाज

यह विधानसभा सीट 2008 में वर्चस्व में आई और तब से अब तक चार बार चुनाव हो चुके है। पहली बार भाजपा ने जीत दर्ज की थी और एक बार निर्दलीय उम्मीदवार रामवीर शौकीन ने जीत हासिल की। इसके बाद पिछले दो बार से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार ने चुनाव जीता। वहीं इस बार भाजपा ने अपने मौजूदा पार्षद गजेंद्र दराल को चुनावी मैदान में उतारा है। आम आदमी पार्टी ने हैट्रिक लगाने की कोशिश करते हुए जसबीर कराला को टिकट दी है। वहीं कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से बगावत कर चुके पूर्व विधायक धर्मपाल लाकड़ा को टिकट दिया है। इसके अलावा निर्दलीय विधायक रामवीर शौकीन भी इसी सीट से चुनावी मैदान में हैं और वो 2013 में जीत हासिल कर विधायक रह चुके हैं। इस सीट पर बसपा की सुमनलता सहरावत समेत 13 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं।

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