ये कैसी उल्टी चाल : रविवि अब ऑनलाइन नहीं ऑफलाइन लेगा प्रवेश परीक्षाएं, कारण-अज्ञात ! 

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रविवि ने आदेश जारी कर यह स्पष्ट किया है कि, शैक्षणिक सत्र 2025-26 में विवि अध्ययनशाला में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षा ऑनलाइन नहीं होकर ऑफलाइन मोड में होगी। 

रायपुर। नैक ग्रेडिंग में ए श्रेणी से फिसलकर बी ग्रेड में पहुंच चुके रविवि की उल्टी चाल किसी को समझ में नहीं आ रही है। रविवि ने आदेश जारी कर यह स्पष्ट किया है कि शैक्षणिक सत्र 2025-26 में विवि अध्ययनशाला में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षा ऑनलाइन नहीं होकर ऑफलाइन मोड में होगी। रविवि द्वारा शैक्षणिक सत्र 202-21 से प्रवेश परीक्षाओं को ऑनलाइन कर दिया गया है। जिन अज्ञात कारणों से विवि द्वारा यह फैसला लिया गया है, उसे अब तक स्पष्ट नहीं किया गया है। प्रवेश परीक्षाएं 22 से 24 मई तक दो पालियों में होगी। विवि ने इसके लिए समय-सारिणी भी जारी कर दी है।

गौरतलब है कि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत अधिकतर कार्यों को पेन-पेपरलेस करने
अर्थात ऑनलाइन मोड में संचालित करने प्रोत्साहित किया गया है। प्रवेश परीक्षाओं में बहुवैकल्पिक प्रश्न पूछे जाते हैं। छात्रों को प्रश्न के दिए गए 4 विकल्पों में से सही उत्तर का चुनाव करना होता है। ऑनलाइन प्रवेश परीक्षाओं में जांच के दौरान छात्रों को अतिरिक्त अंक दिए जाने अथवा किसी तरह की हेर-फेर की आशंका कम होती है। नई व्यवस्था से इनकी आशंका फिर बढ़ जाएगी।

प्रबंधन ने स्पष्ट नहीं किया कारण

रविवि द्वारा ऑनलाइन परीक्षाओं को ऑफलाइन मोड में कराए जाने का आदेश तो जारी कर दिया गया है, लेकिन इसके पीछे का कारण स्पष्ट नहीं किया गया है। सत्र 2025-26 में यह पहली बार नहीं है, जब रविवि की प्रवेश परीक्षाएं विवादों में हैं। इसके पूर्व निशुल्क परीक्षा को सशुल्क किए जाने और मनमानी राशि लिए जाने को लेकर भी विवाद हुआ था। छात्रों द्वारा व्यापक पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन के बाद रविवि ने प्रवेश परीक्षा की राशि में कटौती की थी।

प्रश्नपत्र छपाई-उत्तरपुस्तिका का अतिरिक्त खर्च

ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों को अपने साथ मोबाइल या लैपटॉप लेकर आना होता था। रविवि द्वारा विद्यार्थियों को एक लिंक दिया जाता था। इस लिंक में क्लिक करने के साथ ही प्रश्नपत्र खुल जाता था, जिसे तय समय में हल करके छात्रों को ऑनलाइन ही सब्मिट करना होता था। इस दौरान रविवि द्वारा जैमर लगाया जाता था, जिससे छात्र लिंक के अलावा गूगल, यू-ट्यूब अथवा कोई भी अन्य वेबसाइट नकल के लिए नहीं खोल पाते थे। पूर्व कुलसचिव डॉ. गिरीशकांत पांडेय के कार्यकाल में यह प्रयोग किया गया था। अब सिस्टम ऑनलाइन किए जाने के बाद रविवि को प्रश्नपत्र छपाई तथा उत्तरपुस्तिका अथवा ओएमआर शीट का अतिरिक्त व्यय भी उठाना पड़ेगा

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